विश्वविद्यालय परीक्षा पर पसरा कुहासा छटा!
द्वितीय सेमेस्टर की विश्वविद्यालय परीक्षा पुराने यूनिवर्सिटी से ही
विश्वविद्यालय परीक्षा की तस्वीर स्पष्ट होने से विद्यार्थियों ने ली राहत की सांस
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। विश्वविद्यालय परीक्षा को लेकर देवीपाटन मंडल के चारों जिलों में उच्च शिक्षा संस्थानों और छात्रों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन अवध और सिद्धार्थ विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा का जिम्मा लेने से विद्यार्थियों को अस्थायी राहत मिल गई है। नवस्थापित मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय को सरकार से द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं कराने की अनुमति न मिलने के कारण, पुराने विश्वविद्यालय ही यह दायित्व निभा रहे हैं।
अयोध्या के डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की ओर से गोंडा व बहराइच जिलों के स्नातक और परास्नातक छात्रों के लिए परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। छात्रों को 17 अप्रैल तक फॉर्म भरकर कॉलेज में जमा करने का निर्देश दिया गया है। दूसरी ओर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय ने बलरामपुर और श्रावस्ती जिले के कॉलेजों से 9 से 13 अप्रैल के बीच परीक्षा फॉर्म भरवा लिए हैं।
श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज गोंडा की वेबसाइट : https://lbsdc.org.in/Web/Default.aspx
विश्वविद्यालय परीक्षा को लेकर सबसे अधिक भ्रम तब पैदा हुआ जब नवस्थापित मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने परीक्षा आयोजन की बात कही थी। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रमोद कुमार के अनुसार, अभी उच्च शिक्षा विभाग से अनुमति नहीं मिली है, इसलिए परीक्षाएं नहीं कराई जाएंगी।
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इस निर्णय से सबसे बड़ा असर उन 167 कॉलेजों के विद्यार्थियों पर पड़ा है जो देवीपाटन मंडल के चार जिलों में फैले हैं। इनमें गोंडा के 87, बहराइच के 45, बलरामपुर के 24 और श्रावस्ती के 11 कॉलेज शामिल हैं। ये सभी कॉलेज अवध और सिद्धार्थ विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं।
श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आरके पांडेय ने बताया कि छात्रों को 17 अप्रैल तक परीक्षा फॉर्म भरकर उसकी प्रति कॉलेज में जमा करनी होगी। साथ ही, परीक्षा भी पूर्व निर्धारित अवध विश्वविद्यालय के पैटर्न पर ही आयोजित की जाएगी। असमंजस्य के इस दौर में विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। विद्यार्थियों को परीक्षा पैटर्न, सिलेबस और मूल्यांकन को लेकर कई तरह की शंकाएं थीं।
कई कॉलेजों में तो मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के पैटर्न के अनुसार आंतरिक मूल्यांकन भी शुरू कर दिया गया था। अब जबकि परीक्षा फिर से अवध और सिद्धार्थ विश्वविद्यालयों के अधीन हो गई है, तो कॉलेजों ने पूर्ववर्ती पाठ्यक्रम पर पढ़ाई दोबारा शुरू कर दी है। विद्यार्थियों को आंशिक राहत जरूर मिली है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय परीक्षा प्रणाली की तैयारियों और समन्वय पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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कुलसचिव प्रमोद कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन अभी कॉलेजों के संबद्धीकरण, प्रवेश प्रक्रिया और कक्षाओं के संचालन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जैसे ही परीक्षा आयोजन की अनुमति मिलेगी, उसी समय परीक्षा कार्यक्रम घोषित किया जाएगा। फिलहाल विश्वविद्यालय परीक्षा का भविष्य पुराने विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी में सुरक्षित दिख रहा है, लेकिन नए विश्वविद्यालय की प्रक्रियागत अड़चनों ने विद्यार्थियों के मन में अनिश्चितता की भावना गहरी कर दी है। छात्र संगठनों का कहना है कि किसी भी नए विश्वविद्यालय को स्थापित करने से पहले उसकी प्रशासनिक तैयारियों और संसाधनों की पूरी पड़ताल होनी चाहिए।
इस अस्थायी समाधान के बावजूद छात्रों को पूरी तरह संतुष्टि नहीं मिल सकी है। परीक्षा को लेकर अब भी कई छात्रों को फॉर्म भरने, फीस जमा करने और परीक्षा पैटर्न को लेकर संशय बना हुआ है। सरकार की ओर से यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो यह स्थिति आने वाले समय में और जटिल हो सकती है। ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन को समन्वय के साथ पारदर्शी रणनीति बनानी होगी ताकि विद्यार्थियों को बार-बार असमंजस की स्थिति का सामना न करना पड़े।

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