Terrorist in Kashmir - Hidden Danger in Forests

Trained Terrorist ने बढ़ाई खतरे की डेडली इनसिक्योरिटी

पहाड़ी गुफाओं और मुश्किल लोकेशन में अजेय मोर्चा बना रहे हैं Terrorist

Terrorist संगठन कर रहे हाइब्रिड भर्ती, युवाओं को फंसा रहे साइकोलॉजिकल ट्रैप में

अतुल द्विवेदी

खुफिया सूत्रों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में Terrorist नेटवर्क दिन-ब-दिन खतरनाक होता जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है कि घाटी में करीब 76 आतंकवादी सक्रिय हैं, जिनमें 55 पाकिस्तानी और 21 लोकल हैं। इनमें से अधिकांश आतंकियों को अफगानिस्तान फ्रंट पर ट्रेनिंग मिली है। सुरक्षा बलों के लिए इन्हें पकड़ पाना बेहद कठिन होता जा रहा है। घाटी में मौजूद ये Terrorist, न केवल अपनी लोकेशन को बेहद रहस्यमयी रखते हैं बल्कि कई बार उनके पास लोकल स्तर पर ऐसी मदद भी होती है, जो उन्हें समय रहते भागने में मददगार साबित होती है।

पहलगाम हमले से लेकर कोकेरनाग मुठभेड़ तक, Terrorist की नई रणनीति सामने आई है जिसमें वे पहले आईईडी ब्लास्ट करते हैं, फिर अंधाधुंध फायरिंग करते हैं। सुरक्षा बलों को इस ट्रैप में डालना, उनका मुख्य उद्देश्य होता है। People’s Anti-Fascist Front (PAFF) जैसे संगठन इन हमलों की जिम्मेदारी लेकर वीडियो भी जारी कर रहे हैं।
सुरक्षा बलों को अक्सर जानकारी मुखबिरों से ही मिलती है। लेकिन जब इंटेलिजेंस इनपुट स्पष्ट नहीं होते, तब कार्रवाई में देरी होती है और जान का खतरा बना रहता है। कोकेरनाग मुठभेड़ इसका एक बड़ा उदाहरण है जिसमें सेना के कमांडिंग अफसर सहित कई जवान शहीद हो गए थे।

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गौरतलब है कि 2014 से 2024 तक हजारों आतंकवादी मारे गए, लेकिन हर साल Terrorist गतिविधियां फिर से जोर पकड़ती हैं। इसका कारण है पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का निरंतर हस्तक्षेप और हाइब्रिड आतंकी रणनीति।
युवाओं को बरगलाने के लिए आतंकवादी संगठनों का एक पैटर्न बन गया है। पहले युवक को गायब किया जाता है, फिर कुछ समय बाद उसकी तस्वीर हथियार के साथ वायरल की जाती है। इससे वह युवा पुलिस की नजर में Terrorist बन जाता है, चाहे वह असल में आतंक की राह पर चला हो या नहीं। कुछ युवक बाद में मुख्यधारा में लौटना भी चाहते हैं, लेकिन वायरल तस्वीर के बाद वापसी असंभव हो जाती है।

सुरक्षा बलों ने नई भर्ती पर काफी हद तक रोक लगाई है, लेकिन पहले से मौजूद Terrorist, स्लीपर सेल और हाइब्रिड नेटवर्क के जरिए वारदात को अंजाम दे रहे हैं। अब नेपाल मार्ग का भी उपयोग संभव माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक इन अफगान-पाक ट्रेंड Terrorist का नेटवर्क पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जाता, तब तक घाटी को सुरक्षित घोषित नहीं किया जा सकता।

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