आंधी तूफान से प्रभावित गांव वालों में गुस्सा
एक हफ्ते बाद भी आंधी तूफान से बाधित बिजली व्यवस्था नहीं हुई बहाल
कर्नलगंज के 80 से अधिक मजरों में आंधी तूफान से भारी नुकसान, ग्रामीणों ने मांगी राहत
संवाददाता
कर्नलगंज, गोंडा। बीते सप्ताह आए भीषण आंधी तूफान ने कर्नलगंज तहसील के 80 से अधिक मजरों और दर्जनों गांवों में तबाही मचाई है। इस आपदा ने न केवल लोगों के घर उजाड़ दिए, बल्कि जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। सबसे गंभीर चिंता प्रशासन की उदासीनता को लेकर है, जिससे प्रभावित ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
क्षेत्र के सरैंया, सकतपुर और कंजेमऊ जैसे गांवों में आंधी तूफान से टीनशेड, छप्पर और बिजली के खंभे गिरने से घरों का सामान नष्ट हो गया है। पेड़ गिरने से सड़कें अवरुद्ध हैं और विद्युत आपूर्ति पूरी तरह से ठप है। ग्रामीणों का कहना है कि एक सप्ताह बीतने के बाद भी प्रशासन ने सभी प्रभावित गांवों का स्थलीय निरीक्षण नहीं किया है।
ग्राम सरैंया के अघेरवा निवासी देवता प्रसाद मिश्र, गणेश प्रसाद मिश्र, लल्ला तिवारी और संतराम निषाद जैसे कई लोगों के घर आंधी तूफान से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इसी गांव के एक मजरे में सूर्यलाल और माधुरी चोटिल हुए हैं। रामपाल सिंह की गर्भवती गाय घायल है और गोली नामक ग्रामीण की बकरी छप्पर गिरने से मर गई है।
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आंधी तूफान से गांवों में करीब 70 विद्युत पोल और 10 से अधिक ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त हैं। मोबाइल चार्ज न हो पाने के कारण संचार ठप है और भीषण गर्मी में लोग अंधेरे में रातें बिताने को मजबूर हैं। मोल्हे की बेटी की शादी, जो 30 अप्रैल को होनी थी, घर के उजड़ जाने से संकट में है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासनिक सहायता में पक्षपात हो रहा है। केवल चुनिंदा गांवों का सत्यापन किया जा रहा है, जबकि बाकी गांवों की उपेक्षा की जा रही है। इससे नाराज़ होकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर मजरेवार जांच, तत्काल राहत सामग्री और आर्थिक सहायता की मांग की है।
आंधी तूफान से बिजली न होने के कारण बच्चों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। सड़कों पर हाईटेंशन लाइनें गिरी पड़ी हैं, जिससे किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि जब तक सभी गांवों का निरीक्षण नहीं किया जाता और विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं होती, उनका विरोध जारी रहेगा। यह आपदा न केवल भौतिक नुकसान का कारण बनी है, बल्कि सरकारी व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करती है। अब पूरा इलाका सरकार की ओर उम्मीद लगाए बैठा है।

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