Supreme Court में Waqf Amendment Bill पर विवाद

Supreme Court में Waqf Amendment Bill को Congress देगी चुनौती, मचेगा राजनीतिक घमासान

Waqf Amendment Bill पर SC की दहलीज पर पहुंची कांग्रेस

Jairam Ramesh बोले – Modi सरकार संविधान पर कर रही हमला

BJP का जवाब – Waqf Amendment Bill गरीब मुसलमानों के लिए

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। संसद में हाल ही में पारित Waqf Amendment Bill, 2024 को लेकर देश की राजनीति में जबरदस्त उबाल आ गया है। अब इस बिल की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी हो रही है। पहले डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया था और अब कांग्रेस ने भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “कांग्रेस बहुत जल्द Waqf Amendment Bill, 2024 की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। यह संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध है और हम मोदी सरकार के हर ऐसे कदम का विरोध करेंगे।”

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शुक्रवार की सुबह मिली थी Waqf Amendment Bill को मंजूरी

Waqf Amendment Bill को शुक्रवार सुबह संसद से मंजूरी मिली थी। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी इसे पारित कर दिया। हालांकि, इसे लेकर विपक्ष की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आई है। एमके स्टालिन ने Waqf Amendment Bill के विरोध में विधानसभा में काली पट्टी बांधकर हिस्सा लिया और कहा कि यह संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला है। उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया। कांग्रेस का तर्क है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला करता है। जयराम रमेश ने यह भी कहा कि कांग्रेस इससे पहले CAA 2019, RTI संशोधन 2019, चुनाव संचालन नियम 2024 और पूजा स्थल अधिनियम 1991 जैसे कई मामलों को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है।

संविधान के दायरे में है Waqf Amendment Bill

वहीं, सरकार का पक्ष इससे बिल्कुल भिन्न है। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में इस विधेयक का बचाव करते हुए अपनी बेबाक राय रखी और इस मुद्दे पर विपक्ष को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जो लोग अल्पसंख्यकों के हितों की बात करते हैं, वे पहले उनकी स्थिति को अपने तराजू में तौलते हैं और फिर अपने निहित स्वार्थों के हिसाब से कदम उठाते हैं। त्रिवेदी ने ऐसे लोगों की सोच पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर ये लोग न तो कानून को मानते हैं, न नियमों का सम्मान करते हैं, और न ही अदालतों के फैसलों को स्वीकार करते हैं, तो इसका साफ मतलब है कि ये खुद को किसी अलग ही दुनिया का हिस्सा मानते हैं।” बीजेपी सांसद ने जोर देकर कहा कि सरकार ने वक्फ बिल को लेकर जो भी कदम उठाए हैं, वे पूरी तरह से संविधान के दायरे में और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप हैं।

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मुगलों से हक छीना गया था, तो अब वक्फ का दावा कहां से?

विपक्ष पर हमला बोलते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब ब्रिटिश शासन के दौरान मुगलों से उनका सारा अधिकार छीन लिया गया था, तो अब अचानक गुजरात से लेकर लखनऊ तक वक्फ के मालिकाना हक का दावा कहां से पैदा हो गया? उन्होंने एक चौंकाने वाला उदाहरण देते हुए बताया कि सूरत नगर निगम की संपत्ति पर भी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक दिया है। त्रिवेदी ने इसे संविधान के खिलाफ एक खतरनाक मंसूबा करार देते हुए कहा कि कुछ लोग पुरानी हुकूमतों के फरमानों को संविधान से ऊपर रखने की कोशिश कर रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

भूदान नहीं, यह तो भू हड़प आंदोलन है

बीजेपी नेता ने वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 1948 में जमींदारी प्रथा का खात्मा हो चुका था, लेकिन अब ये नए जमींदार कहां से आ गए? त्रिवेदी ने 2013 के वक्फ एक्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि इस कानून में ऐसी व्यवस्था कर दी गई थी, जिसके तहत गरीबों की जमीन छीनकर वक्फ को सौंप दी गई। इसे उन्होंने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से जोड़ते हुए तंज कसा और कहा, “यह भूदान नहीं, बल्कि भू हड़प आंदोलन है।” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कभी किसी ईसाई समुदाय ने दावा किया कि इंडिया गेट या चर्च गेट उनकी संपत्ति है? फिर वक्फ बोर्ड को ऐसी असाधारण शक्तियां क्यों दी गईं, जो संविधान के मूल भावना के खिलाफ नजर आती हैं?

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देश मजहबी फरमान से नहीं चलेगा

सुधांशु त्रिवेदी ने अपनी बात को मजबूती से रखते हुए कहा कि सरकार द्वारा Waqf Amendment Bill में किए गए संशोधन किसी धार्मिक फरमान या तुष्टिकरण की नीति पर आधारित नहीं हैं, बल्कि ये पूरी तरह से बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा रचित संविधान के अनुरूप हैं। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि जब देश आजाद हुआ था, तब किसी ने वक्फ बोर्ड की मांग नहीं उठाई थी, तो फिर इसे बाद में क्यों और कैसे इतना महत्व दे दिया गया? त्रिवेदी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने से कोई नहीं रोक सकता, लेकिन कुछ लोग अपने निजी स्वार्थों के लिए इस मुद्दे का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, “हमारा देश बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान से चलेगा, किसी मजहबी फरमान से नहीं।” उनका मानना है कि सरकार का मकसद सभी वर्गों को समान अधिकार और सम्मान देना है, न कि किसी एक समूह को अनुचित लाभ पहुंचाना। बिल को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में बहस शुरू हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि Waqf Amendment Bill आने वाले समय में एक बड़ा संवैधानिक और राजनीतिक मुद्दा बनने जा रहा है।

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