कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश: पश्चिम बंगाल शिक्षकों की भर्ती पर बड़ा फैसला

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में सरकार को ‘करारा झटका’

सरकार को 72 घंटे की मोहलत : कहा-पेश करें शिक्षक भर्ती से जुड़े दस्तावेज

हम शिक्षक भर्ती में बर्खास्त शिक्षकों के लिए लड़ती रहूंगी-मुख्यमंत्री

सुप्रीम कोर्ट की शरण में बंगाल बोर्डः पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती आदेश में संशोधन की मांग

राज्य डेस्क

कोलकाता (पश्चिम बंगाल)। पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती में कथित घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को करारा झटका दिया है। अदालत ने सीधे 313 शिक्षकों का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह 72 घंटे के भीतर शिक्षक भर्ती से जुड़ी सारी जानकारी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे। यह आदेश न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु की एकल पीठ ने दिया। अदालत ने जीटीए क्षेत्र (गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन) में की गई पश्चिम बंगाल शिक्षकों की भर्ती में गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की आशंकाओं को देखते हुए यह सख्त निर्देश जारी किया।
सीआईडी कर रही जांच
उल्लेखनीय है कि शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार की जांच सीआईडी कर रही है। अदालत ने इससे पहले भी राज्य सरकार से बार-बार स्पष्ट जानकारी मांगी थी, लेकिन बार-बार मांग के बावजूद संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सोमवार को न्यायालय ने कड़े कदम उठाए। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि तय समय में भर्ती प्रक्रिया की जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई तो आगे और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। इस आदेश से राज्य सरकार की परेशानी और बढ़ गई है, क्योंकि हाल ही में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द होने के बाद यह दूसरी बड़ी कानूनी चुनौती है।

शिक्षक भर्ती मामले में पीड़ित शिक्षक मुख्यमंत्री के पास पहुंचकर रोने लगी
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प्रभावित शिक्षकों ने लड़ाई के लिए बनाया है संगठन

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से प्रभावित हुए हज़ारों शिक्षकों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए ’डिप्राइव्ड टीचर्स एसोसिएशन’ नामक संगठन बनाया है। संगठन का दावा है कि उसके करीब 15 हज़ार सदस्य हैं। कोर्ट के आदेश के बाद एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मुलाक़ात की इच्छा जताई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ख़ुद इस बैठक में शामिल होने की सहमति दी। इसी आधार पर सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी के साथ शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव मनोज पंत और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी सुबह से ही मौजूद थे। बैठक से पहले कथित तौर पर ’योग्य’ और ’अयोग्य’ उम्मीदवारों के बीच तीखी झड़प हुई, जिससे इलाके में अफ़रा-तफ़री मच गई। हालात को देखते हुए ट्रैफ़िक रोकना पड़ा और पुलिस के साथ-साथ रैपिड एक्शन फ़ोर्स के जवानों की तैनाती करनी पड़ी।
पास लेकर स्टेडियम लेकर पहुंचे थे शिक्षक
शहीद मीनार से जुलूस की शक्ल में स्टेडियम पहुंचे उम्मीदवारों के हाथ में एक ’पास’ था, जिस पर लिखा था, ’हम लोग योग्य हैं।’ यह पास किसने जारी किया, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। उम्मीदवारों का दावा था कि यह ’पास’ उन्हें राज्य सचिवालय से मिला है, हालांकि सरकार की ओर से इसकी पुष्टि नहीं हुई। मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने इसी पास को दिखा कर उम्मीदवारों को भीतर जाने की अनुमति दी। ममता बनर्जी के मंच पर पहुंचने के बाद एसोसिएशन की ओर से उन्हें मांगें पढ़कर सुनाई गईं। इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़लिफ़ समीक्षा याचिका दायर की जाए और जब तक इस पर सुनवाई पूरी न हो, किसी भी शिक्षक को नौकरी से नहीं निकाला जाए। साथ ही यह याचिका उसी खंडपीठ के सामने न दायर की जाए जिसने फ़ैसला सुनाया है। संगठन का यह भी कहना था कि इस बीच नए सिरे से कोई बहाली परीक्षा आयोजित न की जाए। उनका दावा था कि सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड में योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों की सूची पहले से मौजूद है, और उसी के आधार पर समीक्षा याचिका दाखिल की जाए।

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ममता का भरोसा – नौकरी नहीं छिनने दूंगी
इधर, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में नौकरी से बर्खास्त किए गए शिक्षकों और कर्मचारियों से संवाद किया। पश्चिम बंगाल शिक्षकों की भर्ती विवाद से प्रभावित इन लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा-‘जब तक मैं जिंदा हूं, किसी योग्य उम्मीदवार की नौकरी नहीं जाने दूंगी।’ मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से अपने-अपने स्कूलों में लौटने और ‘स्वेच्छा से’ फिर से कार्यभार संभालने की अपील की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आगामी दो महीने के भीतर सभी प्रभावितों के लिए वैकल्पिक समाधान निकाल लिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षा व्यवस्था को बदनाम और नष्ट करने की साजिश चल रही है। ममता बनर्जी के इस रुख को उनके राजनीतिक बचाव की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में बंगाल बोर्ड ने दाखिल की याचिका
इधर, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ अब पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह योग्य उम्मीदवारों को कम-से-कम शैक्षणिक सत्र के अंत तक या नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने तक ड्यूटी पर बने रहने की अनुमति दे। हालांकि बोर्ड के चेयरमैन रामानुज गांगुली ने इस विषय पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कोर्ट में याचिका दायर कर यह कहा गया है कि यदि योग्य उम्मीदवारों को हटाया गया तो इससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है।

Shikshak bharti

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