महिला कैदी के जेल में गर्भवती होने की घटना से हड़कंप

जेल में महिला कैदी हुई गर्भवती, मचा हड़कंप

महिला कैदी के अविवाहित होने से गहराया रहस्य

जेल में निरुद्ध महिला कैदी की सुरक्षा को लेकर उठे सवाल

मानवाधिकार आयोग ने भी लिया संज्ञान, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग

जेल प्रशासन में मचा हड़कंप, जांच के आदेश, मेडिकल रिपोर्ट से हुआ खुलासा

संवाददाता

बस्ती (उत्तर प्रदेश)। जिला कारागार में निरुद्ध एक महिला कैदी के गर्भवती होने की जानकारी मिलने के बाद हड़कम्प मच गया। जेल में बंद एक 22 वर्षीय अविवाहित महिला कैदी के गर्भवती होने की घटना ने जेल प्रशासन से लेकर शासन तक को सकते में डाल दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उक्त महिला कैदी को कुछ माह पूर्व एक आपराधिक मामले में गिरफ्तार कर बस्ती जेल भेजा गया था। हाल ही में जेल के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान जब महिला कैदी की तबीयत बिगड़ी, तो उसे जिला अस्पताल में जांच के लिए भेजा गया। मेडिकल परीक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि वह गर्भवती है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि महिला अविवाहित है और जेल में रहते हुए उसकी गर्भावस्था सामने आई है।
जेल में ही हुई गर्भवती?
इस घटनाक्रम के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर महिला कैदी जेल के अंदर रहते हुए कैसे गर्भवती हुई? क्या जेल के भीतर ही किसी कैदी या जेलकर्मी के साथ उसका कोई संपर्क हुआ, या फिर वह पहले से ही गर्भवती थी और जेल में आने के समय यह तथ्य छुपा रह गया? जेल प्रशासन की ओर से मिली प्रारंभिक जानकारी में दावा किया गया है कि महिला कैदी के जेल में दाखिल होने के समय उसकी मेडिकल जांच कराई गई थी, लेकिन उस वक्त प्रेगनेंसी का कोई संकेत नहीं था। इससे यह आशंका और गहरा गई है कि गर्भधारण जेल में ही हुआ है।

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जेल कर्मियों से होगी पूछताछ
महिला कैदी के गर्भवती होने की घटना के प्रकाश में आने के बाद जिला प्रशासन और जेल अधीक्षक ने संयुक्त रूप से मामले की जांच शुरू कर दी है। जेल परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है और उन कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है जिनकी ड्यूटी महिला बैरक के आसपास रही है। बस्ती के जेल अधीक्षक ने कहा कि हम मामले की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष जांच कर रहे हैं। यदि किसी भी कर्मचारी की इसमें संलिप्तता पाई गई तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल महिला कैदी को चिकित्सा निगरानी में रखा गया है और उसका बयान दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
महिला कैदी के गर्भवती होने की घटना की गूंज लखनऊ तक पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दोनों ने इस पर संज्ञान लिया है। महिला आयोग की एक सदस्य ने कहा कि अगर यह साबित होता है कि महिला कैदी जेल में गर्भवती हुई है, तो यह बेहद निंदनीय और खतरनाक मामला है। महिला कैदियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जेल प्रशासन की है और इसमें चूक साफ दिख रही है।

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डीएनए जांच की संभावना
सूत्रों की मानें तो प्रशासन मामले में डीएनए टेस्ट कराने पर विचार कर रहा है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि महिला कैदी गर्भधारण किसके कारण हुआ है। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह साबित किया जा सकता है कि महिला के साथ कोई जबरदस्ती हुई है या नहीं। जेल की यह घटना न सिर्फ स्थानीय प्रशासन के लिए बल्कि समूची जेल व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है। यह स्पष्ट करता है कि महिला कैदियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर खामियां हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच, जिम्मेदारों की पहचान और कठोर कार्रवाई ही जनता का भरोसा बहाल कर सकती है। यह घटना भविष्य में जेलों की निगरानी व्यवस्था को और मजबूत बनाने की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
देश भर की जेलों में गर्भवती हो रही महिलाएं
बताते चलें कि बीत नौ फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने की खबरों पर स्वतः संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए सभी राज्य सरकारों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश जारी किए। अदालत ने पाया कि पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न सुधार गृहों में महिला कैदी के गर्भवती होने की घटनाएँ निरंतर बढ़ रही हैं, जिससे न केवल कैदियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, बल्कि जेल प्रशासन के मानदंडों पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को केवल पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं रखा, बल्कि पूरे देश में महिलाओं की कैद स्थितियों की व्यापक जांच की मांग की।

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कलकत्ता उच्च न्यायालय से हुई शुरुआत
आठ फरवरी 2024 को कलकत्ता उच्च न्यायालय में यह मामला उछला, जहाँ एमाइकस क्यूरे (न्याय मित्र) ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में बंद कई महिला कैदियाँ जेल में ही गर्भवती हो रही हैं। उच्च न्यायालय ने इस मामले को आपराधिक मुकदमों की सुनवाई वाली खंडपीठ को स्थानांतरित करते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए। अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कुछ मामलों में कैदियों को पैरोल पर छोड़ा गया और लौटने पर वे गर्भवती मिलीं, जो जेल के बाहर के हालात की ओर भी इशारा करता है। साथ ही, कई मामलों में महिला कैदियों ने जेल में प्रवेश करते समय ही गर्भधारण किया हुआ था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जेलों में स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और देखभाल की कमी गंभीर रूप ले रही है।
केवल की बंगाल जेलों में जन्मे 62 बच्चे
वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि पिछले चार वर्षों में पश्चिम बंगाल की जेलों में कुल 62 बच्चे जन्म ले चुके हैं, और वर्तमान में 181 बच्चे अपनी माँओं के साथ विभिन्न सुधार गृहों में रह रहे हैं। वहीं, एमाइकस क्यूरे की ओर से कुल 196 बच्चों के होने का भी आंकड़ा प्रस्तुत किया गया, जो यह दर्शाता है कि जेलों में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। ये आंकड़े जेल प्रशासन की मौजूदा व्यवस्थाओं की असमर्थता को उजागर करते हैं, जहाँ न केवल मातृत्व संबंधी देखभाल की कमी है, बल्कि बच्चों के पालन‑पोषण की सुविधाएँ भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे हालात में जेलों में बंद माताओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।

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मानवाधिकार एवं यौन शोषण के आरोप
इस मामले ने जेलों में महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण और सुरक्षा की कमी के गंभीर आरोपों को भी पुनः प्रकाश में लाया है। द गार्जियन की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद महिला कैदियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएँ लगातार हो रही हैं, जिनमें से कई के परिणामस्वरूप गर्भधारण हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया कि जेल अधिकारियों द्वारा कथित रूप से ‘हश मनी’ लेकर इन मामलों को दबाया जाता रहा है, जिससे पीड़ितों की आवाज़ दब जाती है। शीर्ष अदालत ने इन आरोपों की भी गंभीरता से जांच करने का संकेत दिया है, ताकि जेलों में मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।
सुझाव और सुधार की दिशा
वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल की रिपोर्ट में जेल सुधारों के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। इनमें नियमित स्वास्थ्य जांच, महिला कैदियों के लिए गर्भावस्था‑कालीन देखभाल सुविधाएँ, पर्याप्त महिला पुलिसकर्मी और जेल कर्मचारियों की तैनाती, तथा बच्चों के लिए पोषण एवं शिक्षा कार्यक्रम शामिल हैं। अदालत ने इन सुझावों को अपनाते हुए जिला स्तर की समितियों को इन पहलुओं पर विशेष ध्यान देने को कहा है। साथ ही, जेलों में सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था, सुरक्षा बलों में महिला अनुपात बढ़ाने और स्वास्थ्य केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

महिला कैदी के गर्भवती पाए जाने से मचा हड़कंप
महिला कैदी के गर्भवती पाए जाने से मचा हड़कंप

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