ट्रंप के निर्णय से बढ़ी वैश्विक अशांति!
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर लगाया 104 फीसद टैरिफ
‘ट्रंप के निर्णय’ पर चीन की तीखी प्रतिक्रिया, व्यापार युद्ध भड़कने की आशंका
ट्रंप के टैरिफ निर्णय से अमेरिकी मजदूरों को मिली ताकत, यूनियन ने बताया जीत का पल
इंटरनेशनल डेस्क
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले ने आज अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध को उस समय नए और खतरनाक मोड़ पर पहुंचा दिया, जब ट्रंप ने चीनी आयात पर 104 फीसद का भारी-भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान किया। यह कदम 9 अप्रैल 2025 से लागू होगा और ट्रंप के अनुसार यह ‘बीजिंग की आक्रामक व्यापारिक रणनीति’ का करारा जवाब है। साथ ही ट्रंप ने आयातित कारों और ऑटो पार्ट्स पर 25 फीसद टैरिफ लगाने की घोषणा भी कर दी, जिसे यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स यूनियन ने अमेरिकी मजदूरों के लिए ‘एक बड़ी जीत’ करार दिया। ट्रंप के इस टैरिफ निर्णय ने वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी है और चीन की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। बीजिंग ने अमेरिका पर वैश्विक व्यापार नियमों को कमजोर करने का आरोप लगाया और स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह जवाबी कार्रवाई करेगा। जानकारों का मानना है कि यह व्यापारिक खींचतान अब एक पूर्ण व्यापार युद्ध का रूप ले सकती है, जिसकी कोई समयसीमा नहीं दिख रही।
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अमेरिका-चीन टकराव में फिर उबाल
अमेरिका-चीन के बीच यह व्यापार युद्ध 2018 से चल रहा है, जब ट्रंप प्रशासन ने चीन पर बौद्धिक संपदा की चोरी, भारी सब्सिडी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का आरोप लगाते हुए पहला टैरिफ लगाया था। उस वक्त से दोनों देश अरबों डॉलर के आयात-निर्यात पर टैरिफ थोपते आए हैं। चीन द्वारा हाल में अमेरिकी कृषि और ऊर्जा उत्पादों पर 34 फीसद टैरिफ लगाए जाने को ट्रंप ने ‘सीधा उकसावा’ बताया और अब इतिहास का सबसे बड़ा टैरिफ जवाब दे दिया।
ट्रंप टैरिफ निर्णय का मकसदः चीन को सबक सिखाना
व्हाइट हाउस से दिए गए भाषण में ट्रंप ने स्पष्ट कहा कि अमेरिका अब और चीन की ‘लूट’ नहीं सहेगा। उन्होंने कहा, ‘वे हमारी नौकरियां, तकनीक और मैन्युफैक्चरिंग छीनते रहे हैं। अब उन्हें हमारी जरूरत है, और वे इसकी कीमत चुकाएंगे।’ इस भारी टैरिफ में चीन से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और उपभोक्ता वस्तुएं शामिल हैं। इसके साथ ही, 25 फीसद टैक्स आयातित कारों और ऑटोमोबाइल पार्ट्स पर भी लागू होगा। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यह कदम ‘मेक इन अमेरिका’ को बढ़ावा देगा और विदेशी कंपनियों पर दबाव डालेगा कि वे उत्पादन अमेरिका में शिफ्ट करें।
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यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स ने किया स्वागत
ट्रंप के इस निर्णय को अमेरिकी मजदूर यूनियनों ने खुले तौर पर समर्थन दिया है। यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स यूनियन ने इसे ‘अमेरिकी श्रमिकों के लिए जीत का पल’ करार देते हुए कहा कि आयातित कारों और पार्ट्स पर 25 फीसद टैक्स से घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा। इससे अमेरिका में नौकरियां पैदा होंगी और विदेशी प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा मिलेगी।
चीन की तीखी प्रतिक्रिया-हम चुप नहीं बैठेंगे
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इस निर्णय को गैर-जिम्मेदार और वैश्विक नियमों के विरुद्ध बताया। बीजिंग ने कहा, ‘यह खुला आर्थिक दबाव है और चीन अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा।’ अब बीजिंग भी अमेरिकी निर्यातों पर टैरिफ बढ़ाने पर विचार कर रहा है, विशेषकर कृषि और एयरोस्पेस सेक्टर में।
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वैश्विक बाजारों में भूचाल
ट्रंप टैरिफ निर्णय का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर त्वरित पड़ा है। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 500 अंक गिर गया और एशियाई बाजारों में भी मंदी छा गई। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि यह टैरिफ वैश्विक सप्लाई चेन को बाधित करेगा और अमेरिका में खुदरा कीमतें आसमान छू सकती हैं।
अब आगे क्या?
अमेरिका और चीन मिलकर वैश्विक जीडीपी का लगभग 40 फीसद बनाते हैं। उनका व्यापारिक तनाव अब पूरे वैश्विक आर्थिक संतुलन को चुनौती दे रहा है। जानकारों का मानना है कि अगर यही स्थिति रही, तो दुनिया मंदी की ओर बढ़ सकती है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ आशा कर रहे हैं कि यह टैरिफ दबाव चीन को फिर से वार्ता की मेज पर ला सकता है।

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