कुकरैल नदी डी-शिल्टिंग का निरीक्षण करते मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब

मंडलायुक्त ने किया कुकरैल नदी का औचक निरीक्षण

डी-शिल्टिंग कार्य से सुधारी जाएगी कुकरैल नदी की स्थिति

आयुक्त ने कठौता झील की जलधारण क्षमता बढ़ाने पर दिया जोर

कल्बे आबिद ‘मोजिस’

लखनऊ। राजधानी लखनऊ के जल निकायों की दशा सुधारने और जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने कठौता झील और कुकरैल नदी का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने झील और नदी में चल रहे डी-शिल्टिंग और ड्रेजिंग कार्यों का जायजा लिया और मौके पर उपस्थित अधिकारियों को कार्य में तेजी लाने के सख्त निर्देश दिए।
शिल्ट हटने से बढ़ेगी झील की जलधारण क्षमता
मंडलायुक्त सबसे पहले गोमती नगर स्थित कठौता झील पहुंचे, जहां डी-शिल्टिंग कार्य के तहत पोकलैंड मशीनों और अन्य यंत्रों के माध्यम से झील की तलहटी से गाद (शिल्ट) हटाई जा रही थी। निरीक्षण के दौरान डॉ. जैकब ने पाया कि कार्य प्रगति पर है, लेकिन मशीनरी और मानव संसाधनों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि इस कार्य को युद्धस्तर पर पूरा किया जाए ताकि आगामी वर्षा ऋतु से पहले झील की पूरी क्षमता के साथ जल संचयन किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि कठौता झील के जल स्तर और उपयोगिता को देखते हुए इसके रख-रखाव में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। संबंधित अधिकारियों ने मंडलायुक्त को जानकारी दी कि शिल्ट हटने के बाद झील की जलधारण क्षमता में लगभग तीन गुना वृद्धि हो सकती है, जिससे स्थानीय जलसंकट को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।

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4.4 किमी लंबाई में सफाई प्रस्तावित
कठौता झील के निरीक्षण के बाद मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब कुकरैल नदी पहुंचे, जहां नदी की 4.4 किलोमीटर लंबाई में डी-शिल्टिंग का कार्य प्रस्तावित है। निरीक्षण के दौरान सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि यह कार्य भीखमपुर से शुरू होकर खुर्रम नगर तक किया जाना है। मंडलायुक्त ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि आगामी डेढ़ महीने के भीतर यह कार्य हर हाल में पूर्ण हो, जिससे मानसून के दौरान शहर में जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो। उन्होंने विशेष रूप से यह निर्देश भी दिया कि जिन स्थानों पर जल का प्रवाह बाधित हो रहा है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर साफ किया जाए।
नगर आयुक्त व अन्य विभागीय अधिकारी भी रहे मौजूद
निरीक्षण के दौरान नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह सहित सिंचाई, नगर निगम और जलकल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। मंडलायुक्त ने सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए ताकि निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण हो सके। उन्होंने कहा कि हर साल मानसून में लखनऊ शहर के कई हिस्सों में जलभराव की समस्या गंभीर हो जाती है, जिससे नागरिकों को भारी असुविधा होती है। डी-शिल्टिंग कार्य समय से पूरा होने पर इस समस्या से काफी हद तक राहत मिलेगी।

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स्थानीय नागरिकों से भी सहयोग की अपील
डॉ. जैकब ने यह भी कहा कि जल निकायों की समय-समय पर सफाई न केवल जल संचयन और बाढ़ नियंत्रण के लिए आवश्यक है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता के संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्थानीय नागरिकों से अपील की कि वे जल निकायों में कूड़ा न डालें और स्वच्छता बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करें। कठौता झील और कुकरैल नदी में डी-शिल्टिंग कार्य लखनऊ की जल समस्या के समाधान की दिशा में एक अहम कदम है। मंडलायुक्त द्वारा की गई यह पहल न केवल मानसून में जलभराव को रोकने में सहायक होगी, बल्कि शहर के जल स्रोतों की दीर्घकालिक स्थिरता और स्वच्छता सुनिश्चित करने में भी मददगार साबित होगी।

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