मुस्लिम महिलाओं द्वारा भगवान राम की आरती करते हुए दृश्य

UP : भगवान राम की मुस्लिम महिलाओं ने की आरती

कहा-भगवान राम की कृपा से मिली तीन तलाक से मुक्ति

प्रादेशिक डेस्क

वाराणसी। भगवान राम के जन्म दिन पर उत्तर प्रदेश की पावन धरती काशी, एक बार फिर से सामाजिक सौहार्द और एकता का मिसाल बना। यहां कलं एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने न केवल लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि यह भी दिखाया कि भगवान श्रीराम की कृपा और उनके आदर्श हर धर्म, हर समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। छह अप्रैल 2025 को राम नवमी के पावन अवसर पर कुछ मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की आरती की और अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान राम की कृपा से ही उन्हें तीन तलाक जैसी कुप्रथा से मुक्ति मिली। इसके साथ ही, उन्होंने हाल ही में पारित हुए वक्फ संशोधन बिल को भी एक ऐतिहासिक कदम बताया, जिसने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का मार्ग प्रशस्त किया।
श्रीराम की आरती में शामिल हुईं मुस्लिम महिलाएं
राम नवमी के दिन काशी में हर तरफ भक्ति और उत्साह का माहौल था। मंदिरों में भक्तों की भीड़ थी और राम भक्ति के गीत गूंज रहे थे। इसी बीच, एक अनोखा दृश्य देखने को मिला जब कुछ मुस्लिम महिलाएं, जिन्होंने हाल के वर्षों में सामाजिक और कानूनी बदलावों का लाभ उठाया, भगवान राम की आरती में शामिल हुईं। इन महिलाओं ने भगवान राम की मूर्ति के सामने दीप जलाए, आरती की और अपनी श्रद्धा व्यक्त की। यह दृश्य न केवल हृदयस्पर्शी था, बल्कि यह भी दर्शाता था कि भारत में धर्म और समुदाय की दीवारें अब धीरे-धीरे कम हो रही हैं।
इन महिलाओं में से एक, रेहाना बेगम, ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया, “हमारे लिए भगवान राम केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वह मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिनके आदर्श हमें जीवन में सही रास्ता दिखाते हैं। तीन तलाक जैसी कुप्रथा ने हमारी जिंदगी को नर्क बना दिया था। लेकिन जब से यह कानून खत्म हुआ, हमें एक नई आजादी मिली। हम मानते हैं कि यह सब श्रीराम की कृपा से ही संभव हुआ।” रेहाना की तरह कई अन्य महिलाओं ने भी अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे कानूनी सुधारों ने उनके जीवन को बेहतर बनाया।

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तीन तलाक का अंत : एक ऐतिहासिक बदलाव
तीन तलाक को खत्म करने वाला कानून, जिसे 2019 में लागू किया गया, मुस्लिम महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ। इस कानून ने उन महिलाओं को नया जीवन दिया, जो एकतरफा तलाक के डर में जी रही थीं। अयोध्या में आरती करने वाली इन महिलाओं ने इस कानून को न केवल अपनी आजादी का प्रतीक बताया, बल्कि इसे भगवान राम के न्याय और समानता के सिद्धांतों से जोड़ा। उनके लिए यह कानून केवल एक कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक सम्मान और स्वतंत्रता की गारंटी है।
वक्फ संशोधन बिलः पारदर्शिता की ओर कदम
मुस्लिम महिलाओं ने वक्फ संशोधन बिल को भी अपनी बातचीत का हिस्सा बनाया। हाल ही में संसद में पारित यह बिल वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए लाया गया है। इन महिलाओं का मानना है कि इस बिल से न केवल वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग होगा, बल्कि इसका लाभ समाज के कमजोर वर्गों, खासकर महिलाओं और बच्चों को मिलेगा। एक अन्य महिला, शबाना खातून, ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल अक्सर गलत तरीके से होता था। लेकिन अब इस बिल के जरिए हमें उम्मीद है कि इन संपत्तियों का लाभ शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के लिए होगा।

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सामाजिक एकता का संदेश
इस घटना का सबसे बड़ा संदेश है सामाजिक एकता और आपसी भाईचारा। काशी में इन मुस्लिम महिलाओं का भगवान राम के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना और उनकी आरती में शामिल होना यह दर्शाता है कि भारत की आत्मा में सभी धर्मों के लिए सम्मान और सहअस्तित्व की भावना बसी है। यह घटना उन लोगों के लिए भी एक जवाब है जो धर्म के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश करते हैं।
भगवान राम के आदर्शों की प्रासंगिकता
इन महिलाओं के लिए भगवान राम केवल एक धार्मिक चरित्र नहीं, बल्कि एक ऐसे प्रतीक हैं जो न्याय, समानता और मर्यादा का पाठ पढ़ाते हैं। उनकी कहानियों से यह स्पष्ट होता है कि रामायण के मूल्य आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने प्राचीन काल में थे। चाहे वह तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई हो या वक्फ संपत्तियों के सही उपयोग की बात, इन महिलाओं ने श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की कोशिश की है।
मजबूत हो रही देश की साझी विरासत
काशी में मुस्लिम महिलाओं द्वारा भगवान राम की आरती करना और तीन तलाक से मुक्ति व वक्फ बिल के लिए श्रीराम की कृपा को श्रेय देना एक ऐसी घटना है जो भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को दर्शाती है। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि सच्ची प्रगति तभी संभव है जब समाज में हर वर्ग को बराबरी का हक मिले। इन महिलाओं की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत का भविष्य एकता और समानता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।

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