कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह का ऐलान-भारतीय संस्कृति पर फोकस रहेगी शिक्षा
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालय में विदेशी आक्रमणकारियों का इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा। एक दिवसीय दौरे पर गोंडा पहुंचे कुलपति एलबीएस डिग्री कालेज में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जिन्होंने भारतीय संस्कृति को नष्ट किया है, उन्हें विश्वविद्यालय की पाठ्यपुस्तकों (पाठ्यक्रमों) में महिमामंडित नहीं किया जाएगा। उनका पूरा फोकस भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं पर रहेगा।
श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज में आयोजित महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की एक बैठक में प्रतिभाग करने के लिए गोंडा आए प्रो. रविशंकर सिंह ने कहा कि अब विश्वविद्यालय में विदेशी आक्रमणकारियों के वह पाठ नहीं होंगे, जो भारतीय संस्कृति का दमन करते हैं। इसके स्थान पर विद्यार्थियों को भारतीय गौरवशाली इतिहास, वैदिक परंपरा, संत परंपरा और स्वतंत्रता संग्राम के अनछुए पहलुओं पर केंद्रित अध्ययन कराए जाएंगे।
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प्रो. रविशंकर सिंह ने जोर देकर कहा कि शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्र की आत्मा के अनुरूप ढालना आवश्यक है, न कि उन लोगों के अनुसार जो केवल विनाश और उपनिवेशवाद लेकर आए। प्रो. सिंह ने स्पष्ट कहा, अब समय आ गया है कि पाठ्यक्रम में वही बातें रहें, जो देश की आत्मा से जुड़ी हैं। विदेशी आक्रमणकारियों के महिमामंडन की बजाय भारतीय संस्कार, आचार, ग्रंथ, समाज और शौर्य को महत्व दिया जाएगा।
प्रो. रविशंकर सिंह ने बताया कि श्रावस्ती को बौद्ध व जैन शिक्षा का प्राचीन केंद्र माना जाता है। वहां तिब्बती समुदाय और बौद्ध तीर्थयात्रियों की निरंतर उपस्थिति को देखते हुए विदेशी भाषाओं का विभाग खोला जाएगा, जिससे श्रावस्ती को इंटरनेशनल लैंग्वेज हब के रूप में विकसित किया जा सकेगा।
प्रो. रविशंकर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय त्रिभुवन विश्वविद्यालय (नेपाल) के साथ एमओयू करने की प्रक्रिया में है, जिससे विदेशी छात्रों विशेषकर नेपाली विद्यार्थियों को भी लाभ मिले। इसके अतिरिक्त बनारस के एक केंद्रीय विश्वविद्यालय से भी करार की तैयारी की जा रही है।
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कुलपति ने कहा कि वर्तमान समय में विश्वविद्यालय 10 फैकल्टी संचालित कर रहा है और कार्यक्षमता के अनुसार कार्य परिषद का भी गठन हो चुका है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी कोर्स की मांग तेजी से बढ़ी है।
विश्वविद्यालय ने इस मांग को समझते हुए रोजगारपरक शिक्षा देने के लिए इन कोर्सों की शुरुआत की है। प्रो. रविशंकर सिंह ने बताया कि गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती के सभी संबद्ध महाविद्यालयों में आगामी 23 जून को शोध प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी। इससे छात्रों को उच्च शिक्षा और शोध की दिशा में बेहतर अवसर मिलेंगे।
मां पाटेश्वरी राज्य विश्वविद्यालय की यह नीति न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से एक परिवर्तन है, बल्कि यह वैचारिक दृष्टि से भी एक साहसिक कदम है। विदेशी आक्रमणकारियों को इतिहास से हटाने और भारतीय संस्कृति को प्रमुखता देने की यह नीति आने वाले समय में अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी मार्गदर्शक साबित हो सकती है।

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