धर्मांतरण से सम्बंधित क्लू तलाशने में जुट गई हैं सुरक्षा एजेंसियां
प्रादेशिक डेस्क
आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा में धर्मांतरण से जुड़ा एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पुलिस से लेकर केंद्रीय खुफिया एजेंसियों तक को सतर्क कर दिया है। सदर क्षेत्र से 24 मार्च को लापता हुईं दो सगी बहनों की तलाश अब एटीएस और आईबी तक पहुंच गई है। प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों ने इस केस को केवल गुमशुदगी न मानकर धर्मांतरण से जुड़ी सुनियोजित साजिश के रूप में बदल दिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह मामला ’द केरल स्टोरी’ फिल्म की कथावस्तु से मिलता-जुलता प्रतीत हो रहा है। जांच एजेंसियां इसे केवल स्थानीय घटना न मानते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से देख रही हैं।
एटीएस और आई की टीम हुई सक्रिय
जैसे ही धर्मांतरण के संभावित एंगल की पुष्टि हुई, एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने इस मामले में एंट्री की। जांच एजेंसियों को आशंका है कि इन बहनों को एक संगठित धर्मांतरण गैंग द्वारा निशाना बनाया गया। पुलिस को पिता ने बताया था कि बड़ी बेटी एम.फिल. पास है, और वह वर्ष 2021 में भी एक बार घर छोड़ चुकी थी। उस वक्त जम्मू-कश्मीर के उधमपुर से उसे वापस लाया गया था। अब दोबारा वही स्थिति बनी है, लेकिन इस बार उसकी छोटी बहन भी साथ लापता है। आरोप है कि यह सब साइमा उर्फ खुशबू नामक युवती के बहकावे में हुआ।
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धर्मांतरण के पक्ष में अभियान चलाने का इनपुट
पुलिस ने शुरुआती जांच में पाया कि युवतियां धर्मांतरण को लेकर काफी सक्रिय थीं और वे दूसरों को भी प्रभावित कर रही थीं। इस पूरे प्रकरण में साइबर सेल ने कुछ अहम सुराग जुटाए हैं। पहले जयपुर में छापेमारी की गई, लेकिन वहां से कोई सफलता नहीं मिली। बाद में पश्चिम बंगाल में दोनों बहनों की मौजूदगी की सूचना मिली है। ध्यान देने योग्य है कि बड़ी बहन वर्ष 2021 में भी धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों में संलिप्त पाई गई थी। उस समय वह अनंतनाग जा रही थी, लेकिन लैंडस्लाइड के चलते पकड़ी गई थी। तभी जांच एजेंसियों को पहली बार उसकी गतिविधियों पर संदेह हुआ था।
धर्मांतरण से जुड़ा पुराना लिंक
इस मामले में साइमा उर्फ खुशबू, जो कि कश्मीर की रहने वाली है लेकिन उसकी पढ़ाई आगरा में हुई है, पर खास निगाह है। माना जा रहा है कि वह ही इस धर्मांतरण नेटवर्क की कड़ी है, जिसने बड़ी बहन को पहले और अब दोनों बहनों को अपने प्रभाव में लिया। सूत्रों का दावा है कि यह सिर्फ दो लड़कियों का मामला नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत युवतियों को ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
धर्मांतरण केस में चुप्पी लेकिन छापेमारी जारी
41 दिन बाद जब पुलिस ने अपहरण का मुकदमा दर्ज किया, तब तक बहुत समय बीत चुका था। अब यह केस गोपनीय तरीके से साइबर क्राइम थाने में विवेचना के तहत है। कोई भी पुलिस अधिकारी इस मामले में खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि, धर्मांतरण के एंगल ने इस केस को बेहद संवेदनशील बना दिया है। अब संयुक्त टीमें अन्य प्रदेशों में छापेमारी कर रही हैं। बहनों की मानसिक स्थिति, संपर्क और संभावित नेटवर्क की गहन जांच जारी है।
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