Monday, November 17, 2025
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खतरनाक ‘Zina कानून’ ने तोड़ी पाक हिंदू लड़कियों की रीढ़

जिना कानून की दहशत में जी रही हैं हिंदू लड़कियां, ‘Zina कानून’ बना भय का पर्याय

पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का एक सबसे भयावह और दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय है Zina कानून

इंटरनेशनल डेस्क

इस्लामाबाद। Zina कानून : विशेषकर हिंदू लड़कियों के लिए यह कानून किसी फांसी के तख्ते से कम नहीं रहा। जबरन संबंध, अपहरण, धर्म परिवर्तन और निकाह जैसी घटनाएं कानून की ढाल में आज भी जारी हैं। Zina कानून न केवल महिलाओं के मानवाधिकारों को कुचलता है, बल्कि बलात्कार पीड़िताओं को अपराधी बना देने वाली यह प्रणाली समाज की न्याय व्यवस्था पर गहरी चोट है।

क्या है हुदूद ऑर्डिनेंस और Zina कानून की उत्पत्ति
1977 में पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट के बाद जनरल जिया उल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को गिराकर सत्ता संभाली। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान का इस्लामीकरण तेज़ी से शुरू किया। इसी दिशा में 1979 में Hudood Ordinances लाए गए। इन्हीं में से एक था Zina कानून।

Zina कानून के तहत विवाहेतर यौन संबंधों और बलात्कार को एक ही अपराध की श्रेणी में डाल दिया गया। शरीयत आधारित इस कानून ने महिलाओं के अधिकारों को रौंदते हुए उनके लिए न्याय तक पहुंच को लगभग असंभव बना दिया। Zina कानून से सबसे ज्यादा प्रभावित वे महिलाएं रहीं जो बलात्कार का शिकार हुईं, लेकिन चार पुरुष गवाह न होने के चलते उन्हें ही दोषी करार दे दिया गया।

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इस्लामिक व्याख्या में Zina और उसकी सज़ा
इस्लाम के अनुसार विवाह के बाहर शारीरिक संबंध Zina कहलाता है। यदि कोई विवाहित व्यक्ति ऐसा करता है, तो उसे पत्थर मारकर मौत की सजा दी जा सकती है। अविवाहित होने पर सजा सौ कोड़े है। शरीयत के अनुसार चार पुरुषों की गवाही अनिवार्य है। यही गवाही की शर्त जब बलात्कार जैसे अपराध पर थोप दी गई, तो Zina कानून का क्रूर चेहरा सामने आया। बलात्कारी छूट जाते और पीड़िता पर ही झूठे आरोप लगाकर उसे जेल भेज दिया जाता।

जब बलात्कारी आज़ाद, पीड़िता सलाखों में
Zina कानून के तहत 1980 से 2000 तक पाकिस्तान में हजारों महिलाएं बिना गुनाह के जेल भेज दी गईं। चौंकाने वाली बात यह रही कि इनमें अधिकतर वे महिलाएं थीं जिन्होंने खुद के साथ हुए बलात्कार की शिकायत की थी। चार पुरुषों की गवाही न ला पाने पर उन पर झूठा आरोप लगाने का केस दर्ज किया गया। कई मामलों में बलात्कारी खुलेआम घूमते रहे, जबकि पीड़िता को ही Zina कानून के तहत दंड मिला। यह कानून न्याय की अवधारणा को ही नष्ट करता है।

पाकिस्तान में Zina कानून के तहत पीड़ित हिंदू लड़कियां
पाकिस्तान में Zina कानून के तहत पीड़ित हिंदू लड़कियां

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हिंदू लड़कियों पर ज़ुल्म की सबसे बड़ी वजह बना Zina कानून
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक विशेषकर हिंदू लड़कियों के लिए Zina कानून किसी अभिशाप से कम नहीं रहा। जबरन अपहरण, धर्म परिवर्तन और निकाह की घटनाओं को लड़के के परिवार Zina कानून की ढाल में छिपा देते।
अगर कोई हिंदू लड़की अपने साथ बलात्कार की शिकायत करती, तो उसे चार गवाहों की अनिवार्यता में फंसा दिया जाता। शिकायत करना ही उसकी सजा का कारण बन जाता। कई बार अपहरण के बाद धर्मांतरण कर जबरन शादी करने वाले पुरुष अपने बचाव में यही कहते कि लड़की ने Zina कानून के तहत स्वेच्छा से निकाह किया है।

महिलाओं की दुर्दशा को नज़रअंदाज़ करता रहा कानून
Zina कानून का सबसे भयावह पहलू यही रहा कि इसने महिला की बात को कोई कानूनी मान्यता नहीं दी। केवल पुरुष गवाह ही उसकी बात को सच साबित कर सकते थे। ऐसे में बलात्कार के मामलों में पीड़िता की सामाजिक, मानसिक और कानूनी हत्या एक साथ होती रही। इस क्रूर कानून ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति को और भी कमज़ोर किया। पाकिस्तान में मानवाधिकार संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई, लेकिन आज भी जमीनी हकीकत में ज्यादा बदलाव नहीं दिखता।

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2006 में वुमेन प्रोटेक्शन बिल लाया गया, लेकिन…
2006 में पाकिस्तान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवाधिकार संगठनों के विरोध के बाद वुमेन प्रोटेक्शन बिल पास किया। इसके तहत बलात्कार को Zina कानून से अलग कर दिया गया। अब ऐसे मामलों में अलग कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है। हालांकि Zina कानून की परछाई अभी भी पाकिस्तानी समाज में बनी हुई है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस और अदालतें आज भी उसी पुराने ढांचे में काम करती हैं। हिंदू लड़कियां आज भी धर्मांतरण, बलात्कार और जबरन निकाह का शिकार बन रही हैं और कानून उन्हें न्याय नहीं, भय देता है।

Zina कानून: आज भी डर, अन्याय और दहशत का पर्याय
पाकिस्तान में Zina कानून आज भी महिलाओं की आज़ादी और सुरक्षा का सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। यह कानून अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदू महिलाओं के लिए न्याय की बजाय सज़ा का उपकरण साबित हुआ है। जबरन धर्म परिवर्तन, बलात्कार और निकाह के मामलों में यह कानून दोषियों की मदद करता है और पीड़िताओं को अपराधी बना देता है।

यदि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाएं, महिला संगठन और पाकिस्तानी समाज Zina कानून को जड़ से न उखाड़ें, तो आने वाले वर्षों में यह कानून महिलाओं की आवाज़ को पूरी तरह कुचल देगा।

कानून का डर और हिंदू लड़कियों की पीड़ा
Zina कानून के विरोध में हिंदू महिलाओं का प्रतिकार

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