टैरिफ वार: चीन-अमेरिका का प्रतिशोधी टकराव
टैरिफ वार से बढ़ा वैश्विक मंदी का खतरा, चीन ने भी लिया प्रतिशोध
चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ वार अप्रैल 2025 तक एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गया है। यह टकराव टैरिफ, जवाबी कार्रवाइयों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायतों के इर्द-गिर्द घूम रहा है। तो आइये जानते हैं हाल के घटनाक्रम, अधिकारियों के बयान और आर्थिक प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण।
व्यापार युद्ध की शुरुआत
यह टैरिफ वार मार्च 2018 में शुरू हुआ था, जब अमेरिका ने चीन से आयातित सामानों पर टैरिफ लगाए, बौद्धिक संपदा चोरी और अनुचित व्यापार नीतियों का हवाला देते हुए। चीन ने जवाब में अमेरिकी सामानों पर टैरिफ लगाए, जिससे एक टैरिफ की जंग शुरू हुई। चीनी सरकार ने कहा कि अमेरिका का असली लक्ष्य चीन की वृद्धि को रोकना है।

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हालिया टैरिफ वार : समय-सारिणी
2025 में, इस टकराव ने और तेजी पकड़ी। निम्नलिखित तालिका में हाल के टैरिफ वृद्धि की समय-सारिणी दी गई है:
तिथि | घटना | टैरिफ प्रतिशत |
---|---|---|
1 फरवरी, 2025 | अमेरिका ने चीन पर टैरिफ 10% बढ़ाया | कुल 10% |
4 मार्च, 2025 | अमेरिका ने और 10% बढ़ाया | कुल 20% |
2 अप्रैल, 2025 | अमेरिका ने और 34% बढ़ाया | कुल 54% |
9 अप्रैल, 2025 | अमेरिका ने टैरिफ 84% तक बढ़ाया, बाद में स्पष्ट किया कि कुल 145% | कुल 145% |
4 अप्रैल, 2025 | चीन ने अमेरिकी सामानों पर 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की, अप्रैल 10 से प्रभावी | 34% (अतिरिक्त) |
9 अप्रैल, 2025 | चीन ने टैरिफ 84% तक बढ़ाया, अप्रैल 10 से प्रभावी | 84% |
11 अप्रैल, 2025 | चीन ने टैरिफ 125% तक बढ़ाया, अप्रैल 12 से प्रभावी | 125% |
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ट्रंप का टैरिफ वार विराम और भारत की भूमिका
9 अप्रैल 2025 को ट्रंप ने अधिकांश देशों के लिए उच्चतर टैरिफ पर 90 दिवसीय विराम की घोषणा की लेकिन चीन को इससे बाहर रखा गया (NPR)। इस दौरान, भारत के लिए टैरिफ 10% पर सेट किए गए जो भारत को कुछ राहत दे सकता है। इस पर टिपण्णी करते हुए भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर काम कर रहा है और भारत के हितों की रक्षा करेगा।
चीन की टैरिफ वार पर प्रतिक्रिया
इस टैरिफ वार पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए चीन अमेरिका पर केवल टैरिफ बढ़ाने तक सीमित नहीं रहा। उसने कई अमेरिकी कंपनियों को अपनी ‘अविश्वसनीय इकाई सूची’ (Unreliable Entity List) में भी डाल दिया। इससे उन कंपनियों को चीन में कारोबार करने में भी मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं, 4 अप्रैल 2025 को चीन ने सात रेयर अर्थ तत्वों के निर्यात पर लाइसेंसिंग प्रणाली लागू की, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, चीन ने WTO में शिकायतें दर्ज की है।
चीनी अधिकारियों के बयान
चीन के वाणिज्य मंत्री वांग वेंटाओ ने अप्रैल 10, 2025 को सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका के साथ बातचीत में अमेरिकी टैरिफ का सामना करने के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। ग्लोबल टाइम्स की एक X पोस्ट में कहा गया, ‘चीन अमेरिका से आयातित उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% कर देगा, जो 12 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा’।
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आर्थिक प्रभाव और वैश्विक प्रतिक्रिया
इस व्यापार युद्ध ने वैश्विक स्टॉक बाजारों को प्रभावित किया है, जिसमें भारी गिरावट आई है। अप्रैल 4, 2025 को, डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में भारी गिरावट आई क्योंकि निवेशकों का भरोसा डगमगाया। विश्लेषकों ने वैश्विक मंदी की आशंका जताई है और व्यापार में बाधा ने दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाया है। यूरोपीय संघ ने भी चिंता व्यक्त की है और अमेरिका के साथ बातचीत करने का प्कीरयास कर रहा है।
निष्कर्ष
चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध अप्रैल 11, 2025 तक एक महत्वपूर्ण चरण में है, जिसमें दोनों देशों ने अत्यधिक उच्च टैरिफ लगाए हैं। ट्रंप का 90 दिवसीय टैरिफ वार में विराम और भारत की भूमिका ने चीन की स्थिति को अधिक जटिल बना दिया है। पीयूष गोयल के बयानों से पता चलता है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए सक्रिय है। चीन की टैरिफ बढ़ोतरी और अतिरिक्त उपायों ने इस युद्ध को और तीव्र किया है और इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ रहा है।
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