बिजली निजीकरण के खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक संघर्ष

बिजली निजीकरण का विरोध गहराया

बिजली निजीकरण विरोध में ‘ज्ञापन दो’ अभियान और जन जागरण तेज

बिजली निजीकरण के लिए ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की फर्जी नियुक्ति का मामला तत्काल निरस्त करने की मांग

प्रादेशिक डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण को लेकर चल रही खींचतान ने एक नया मोड़ ले लिया है। ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद विरोध तेज हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इस फर्जीवाड़े को बेहद गंभीर बताते हुए कंसल्टेंट की नियुक्ति तत्काल निरस्त करने की मांग की है। इसी मुद्दे पर राज्यभर में ‘ज्ञापन दो’ अभियान और व्यापक जन जागरण पखवाड़ा जारी है। बिजली निजीकरण के खिलाफ इस व्यापक जन आंदोलन ने सरकार और पावर कॉर्पोरेशन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि बिजली निजीकरण की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और भ्रष्टाचार से ग्रसित है।

फ्रॉड साबित होने के बाद भी नहीं हुई रद्द कंसल्टेंट की नियुक्ति
संघर्ष समिति का दावा है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए नियुक्त की गई मेसर्स ग्रांट थॉर्टन नामक ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ने फरवरी 2025 में एक झूठा शपथपत्र सौंपा था। इसमें कहा गया कि विगत तीन वर्षों में उस पर कोई पेनाल्टी नहीं लगी, जबकि अब उसने स्वीकार किया है कि अमेरिका में उस पर 40,000 डॉलर की पेनाल्टी लगाई गई थी। यह स्वीकारोक्ति समिति के अनुसार एक फ्रॉड का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसके बावजूद, बिजली निजीकरण की जिम्मेदारी उठाने वाली इस कंसल्टेंसी की नियुक्ति अब तक रद्द नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश है।

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ज्ञापन दो अभियान में कई जनप्रतिनिधियों को सौंपा गया विरोध-पत्र
बिजली निजीकरण के खिलाफ आज राजधानी लखनऊ में संघर्ष समिति ने सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, विधान परिषद सदस्य अवनीश सिंह और पवन सिंह चौहान को ज्ञापन सौंपा। इसी क्रम में अन्य जनपदों में विधायक दुर्गा प्रसाद यादव, नफीस अहमद और हरिओम पांडेय को भी ज्ञापन देकर इस भ्रष्ट प्रक्रिया का विरोध किया गया। संघर्ष समिति ने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे सरकार पर दबाव बनाएं ताकि बिजली निजीकरण के पीछे के भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जा सके।

जन जागरण पखवाड़े के अंतर्गत प्रदेशव्यापी प्रदर्शन
बिजली निजीकरण के विरोध में संघर्ष समिति के आह्वान पर आज राज्य के तमाम जनपदों और परियोजनाओं में प्रदर्शन किए गए। ग्राम प्रधानों, कर्मचारियों, पंचायत सदस्यों और आम जनता को इस आंदोलन में जोड़ा गया। हर जगह एक ही मांग उठाई गई कि फ्रॉड कंसल्टेंट की नियुक्ति तत्काल रद्द की जाए और निजीकरण की प्रक्रिया को पूर्ण रूप से निरस्त किया जाए।

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सरकार के जीरो टॉलरेंस सिद्धांत पर उठे सवाल
बिजली निजीकरण के विरोध में संघर्ष समिति ने सरकार को घेरते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार स्वयं को भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली सरकार कहती है। लेकिन, जब एक फर्जी कंसल्टेंसी की नियुक्ति सामने आ चुकी है, तब भी पावर कॉर्पोरेशन इसे रद्द नहीं कर रहा। समिति ने कहा कि यह सीधा संकेत है कि बिजली निजीकरण की प्रक्रिया में कुछ गंभीर गड़बड़ियां हैं और सरकार को इस पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। आने वाले दिनों में इस फर्जीवाड़े की जानकारी सभी सांसदों, विधायकों और संबंधित विभागों को दी जाएगी।

बिजली निजीकरण के खिलाफ संघर्ष और तेज होगा
संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि बिजली निजीकरण के विरोध में आने वाले दिनों में और अधिक जोरदार अभियान चलाए जाएंगे। जनप्रतिनिधियों, पंचायत स्तर के नेताओं और आम जनता को इस प्रक्रिया की सच्चाई से अवगत कराते हुए इसे पूरी तरह से असफल करने की रणनीति बनाई जा रही है। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि यह लड़ाई सिर्फ कर्मचारियों की नहीं बल्कि प्रदेश की ऊर्जा सुरक्षा और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए है।

बिजली निजीकरण के खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक संघर्ष
भाजपा के विधान परिषद सदस्य को मांग पत्र सौंपते संघर्ष समिति के पदाधिकारी।

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