वक्फ कानून संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

वक्फ कानून पर स्थगनादेश देने वाला था सुप्रीम कोर्ट!

बुधवार को वक्फ कानून के खिलाफ दायर 72 याचिकाओं पर हो रही थी सुनवाई

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के कई स्पष्टीकरण से पूर्ण सहमत नहीं है सुप्रीम कोर्ट की पीठ

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। वक्फ कानून की संवैधानिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में बुधवार को उस समय एक अहम मोड़ आया, जब शीर्ष अदालत ने इसके कई प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछे। अदालत ने खास तौर पर वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान पर गंभीर आपत्ति जताई और पूछा कि क्या सरकार हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है?

इस सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की गहराई से पड़ताल की। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह वक्फ कानून के जिन प्रावधानों पर गंभीर आपत्ति दर्ज कर रही है, वे संविधान की भावना और धार्मिक संस्थाओं की आत्मनिर्भरता से मेल नहीं खाते।

गंभीर परिणामों की चेतावनी
पीठ ने कहा कि अदालतों द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्तियों को यदि एकतरफा तरीके से गैर-अधिसूचित किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने साफ कहा कि अदालत सामान्यतः कानून के प्रारंभिक चरणों में हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन इस मामले में अपवाद बनाना पड़ सकता है, क्योंकि वक्फ कानून का नया संशोधन न केवल संवैधानिक मूल्यों से टकराता है बल्कि समुदाय विशेष की धार्मिक पहचान को भी प्रभावित करता है।

यह भी पढें: गौ तस्करी के खौफनाक नेटवर्क पर पड़ा करारा प्रहार

कलेक्टर की भूमिका पर नाराजगी
संशोधित वक्फ कानून के उस प्रावधान पर भी पीठ ने आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया है कि जब तक कलेक्टर यह नहीं घोषित करता कि कोई संपत्ति सरकारी नहीं है, तब तक वह वक्फ नहीं मानी जाएगी। अदालत ने इसे न्यायिक प्रक्रिया में कार्यपालिका का अनावश्यक हस्तक्षेप करार दिया।

Credit : Bar and Bench

वक्फ कानून और गैर-मुस्लिम सदस्य
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा अधिकतम दो गैर-मुस्लिमों को ही नामित किया जाएगा, और यह धार्मिक स्वरूप में हस्तक्षेप नहीं है। हालांकि पीठ ने इसे खारिज करते हुए कहा कि नए अधिनियम के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद के कुल 22 सदस्यों में से यदि केवल आठ मुस्लिम होंगे और दो न्यायाधीश भी मुस्लिम नहीं होंगे, तो स्पष्ट रूप से बहुमत गैर-मुस्लिमों का होगा। इससे वक्फ की धार्मिक पहचान धूमिल होती है।

गरमाया अदालत का माहौल
विधि अधिकारी द्वारा पीठ की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाने पर माहौल और गरमा गया। न्यायमूर्ति खन्ना ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायाधीश जब अदालत में बैठते हैं, तो वे अपनी पहचान को अलग रख देते हैं। उनके लिए सभी पक्ष बराबर होते हैं। ऐसी तुलना पूरी तरह अनुचित है। अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि यदि सरकार वक्फ कानून में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना चाहती है, तो क्या वह हिंदू मंदिरों के सलाहकार बोर्ड में गैर-हिंदुओं को शामिल करेगी?

यह भी पढें: समलैंगिक को प्रेमानंद महाराज का चौंकाने वाला जवाब

प्राचीन वक्फ पर रोक कैसे?
पीठ ने यह भी कहा कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ की घोषणा को मान्यता मिलती रही है। यदि किसी के पास वक्फ घोषित करने के दस्तावेज न हों, तो भी व्यवहारिक रूप से उसे स्वीकार किया जाता रहा है। अदालत ने सवाल किया कि ऐसे मामलों में आप वक्फ को कैसे अस्वीकार करेंगे? इससे न केवल अतीत को दोबारा लिखने की कोशिश होगी, बल्कि वैध धार्मिक दावों को भी मिटा दिया जाएगा।

वक्फ कानून की समीक्षा अपरिहार्य
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सी यू सिंह सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने वक्फ कानून के प्रावधानों को संविधान की भावना के खिलाफ बताया और अदालत से तत्काल दखल की मांग की। अदालत ने संकेत दिया कि वह याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगी, और यदि आवश्यक हुआ तो वक्फ कानून के कुछ हिस्सों पर रोक लगाने में भी संकोच नहीं करेगी।

एसजी ने मांगा समय
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले की रोजाना सुनवाई के लिए भी तैयार है। हालांकि, अदालत ने अब तक कोई औपचारिक आदेश पारित नहीं किया है लेकिन संकेत दिया है कि अंतरिम आदेश पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।

निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर हो रही यह सुनवाई सिर्फ एक विधिक मामला नहीं, बल्कि धर्म, समाज और संविधान की जटिलताओं से जुड़ा बड़ा विमर्श बनती जा रही है। आने वाले दिनों में अदालत का रुख न केवल इस अधिनियम की वैधता को तय करेगा, बल्कि यह भी स्पष्ट करेगा कि लोकतंत्र में धार्मिक स्वायत्तता की सीमाएं क्या होंगी।

यह भी पढें: इनामिया शातिर जालसाज गिरफ्तार, मचा हड़कंप

पोर्टल की सभी खबरों को पढ़ने के लिए हमारे वाट्सऐप चैनल को फालो करें : https://whatsapp.com/channel/0029Va6DQ9f9WtC8VXkoHh3h अथवा यहां क्लिक करें : www.hindustandailynews.com

आवश्यकता है संवाद सूत्रों की

तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com को गोंडा जिले के सभी न्याय पंचायतों, विकास खण्डों व समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों तथा देवीपाटन, अयोध्या, बस्ती तथा लखनऊ मण्डलों के अन्तर्गत आने वाले जनपद मुख्यालयों पर ऐसे युवा व उत्साही संवाद सूत्रों की आवश्यकता है, जो स्मार्ट फोन इस्तेमाल करते हैं। सामाजिक रूप से जागरूक हों। अपने आसपास घटित होने वाली घटनाओं से भिज्ञ रहते हों। मोबाइल पर बोलकर अथवा लिखकर हिंदी टाइपिंग कर लेते हों तथा वीडियो बना लेते हों। इच्छुक युवक युवतियां अपना बायोडाटा निम्न पते पर भेजें : hindustandailynews1@gmail.com जानकी शरण द्विवेदी प्रधान सम्पादक मोबाइल – 9452137310

कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे : जानकी शरण द्विवेदी, प्रधान संपादक मोबाइल- 9452137310 E-Mail : hindustandailynews1@gmail.com

error: Content is protected !!