झूठा मुकदमा लिखाने वालों सावधान!
भारी पड़ सकता है किसी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराना
झूठा मुकदमा लिखाने वालों को बख्शने के पक्षधर नहीं हैं स्पेशल जज (पाक्सो एक्ट)
चंद्र प्रकाश तिवारी
गोंडा। झूठा मुकदमा लिखाने वालों पर अब अदालतें सख्त हो रही हैं। यदि आपने किसी को मात्र प्रताड़ित करने अथवा पैसा लेकर अदालत में सुनवाई के दौरान सुलह कर लेने के उद्देश्य से झूठा मुकदमा लिखाना चाहते हैं, तो सावधान हो जाइए। अदालतें अब ऐसे मामलों को बहुत गंभीरता से ले रहीं हैं और झूठा मुकदमा लिखाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें सजा भी सुना रही हैं। जिले में अपर सत्र न्यायाधीश/स्पेशल जज (पाक्सो एक्ट) की अदालत लगातार दो दिन से अलग-अलग मामलों में झूठी गवाही देने वालों को दंडित करते हुए सजा सुना रही है।
महिला ने की छेड़छाड़ की झूठी शिकायत
झूठा मुकदमा लिखाने पर अदालत की सख्ती का हवाला देते हुए विशेष लोक अभियोजक अशोक कुमार सिंह व सुनील कुमार मिश्र ने बताया कि झूठा मुकदमा लिखाने वालों के खिलाफ अदालतें काफी सख्त हो रही हैं। उन्होंने बताया कि जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र के नगवा (ज्ञानदास पुरवा) निवासी संजू यादव पत्नी शीतला प्रसाद ने वर्ष 2020 में गांव के ही पांच लोगों के खिलाफ दर्ज में घुसकर नकदी व अंगूठी लूट लेने तथा उनकी नाबालिग पुत्री के साथ छेड़छाड़ किए जाने के सम्बंध में अभियोग दर्ज कराने के लिए अदालत से फरियाद किया था। अदालत ने प्रार्थनापत्र को परिवाद के रूप में दर्ज कर परीक्षण शुरू किया।
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पांचों आरोपियों को अदालत ने कर दिया था बरी
विशेष लोक अभियोजक द्वय ने बताया कि अदालत ने सभी आरोपियों को तलब कर मुकदमे का परीक्षण शुरू किया तो वादी पक्ष आरोप को युक्तियुक्त संदेह से परे सिद्ध करने में विफल रहा। परिणाम स्वरूप अदालत ने 23 अगस्त 2024 को सभी पांच आरोपियों को रिहा करते हुए वादी मुकदमा के खिलाफ न्यायालय में झूठी गवाही देने के जुर्म में धारा 22 पाक्सो एक्ट के तहत प्रकीर्ण वाद दर्ज किए जाने का आदेश दिया। अदालत के आदेश पर झूठा मुकदमा लिखाने वाली वादी मुकदमा संजू यादव के खिलाफ प्रकीर्ण वाद दर्ज कर नोटिस जारी कर तलब किया गया, किंतु वह उपस्थित नहीं हुईं।
संजू को भरना होगा पांच हजार का जुर्माना
उन्होंने बताया कि झूठा मुकदमा लिखाने वाली संजू यादव के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने पर वह जरिए अधिवक्ता अदालत में उपस्थित आईं और अपना जुर्म इकबाल करते हुए कम से कम अर्थदंड के साथ प्रकरण को समाप्त किए जाने की अदालत से याचना की। पीठासीन अधिकारी अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) राजेश नारायण मणि त्रिपाठी ने प्रार्थना पत्र पर सम्यक विचारोपरांत तथा उभय पक्ष के अधिवक्ताओं को सुनकर आरोपी महिला को तीन दिन का साधारण कारावास तथा पांच हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड की अदायगी न करने पर तीन दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
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जलील खां को भी हुई तीन दिन की सजा
इसी प्रकार, झूठा मुकदमा लिखाकर अदालत में गवाही देने के एक अन्य मामले में अदालत ने कल भी एक व्यक्ति को तीन दिन का साधारण कारावास और पांच हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। विवरण के अनुसार, कटरा बाजार थाना क्षेत्र के ग्राम जयरामजोत (तक्सीम पुरवा) निवासी जलील खां ने थाने में एक युवक के खिलाफ छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कराया था। सत्र परीक्षण के दौरान वादी मुकदमा व अभियोजन पक्ष अपराध का साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सका। परिणाम स्वरूप 12 नवंबर 2024 को पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी इरफान को दोषमुक्त करते हुए वादी जलील खां के खिलाफ प्रकीर्ण दांडिक वाद दर्ज किए जाने का आदेश दिया।
एनबीडब्लू जारी होने पर हुई गिरफ्तारी
झूठा मुकदमा लिखाने वाले जलील खां अदालत से नोटिस जारी होने के उपरांत भी उपस्थित नहीं हुए। गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद स्थानीय पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर अदालत के समक्ष पेश किया। जलील खां ने अदालत के समक्ष अपना जुर्म स्वीकार करते हुए कम से कम दंड देने की याचना की। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट राजेश नारायण मणि त्रिपाठी ने इस प्रकरण में भी कोई रहम न करते हुए जलील खां को दोषी करार दिया तथा तीन दिन के साधारण कारावास और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माने की रकम अदा न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
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सकारात्मक सामाजिक संदेश
आज देश की अदालतें न्याय की परिभाषा को और अधिक सशक्त बना रही हैं। झूठा मुकदमा दर्ज कराना सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, पूरे न्याय प्रणाली को गुमराह करता है और वास्तविक पीड़ितों के लिए न्याय की राह कठिन बना देता है। इस प्रवृत्ति को गंभीरता से लेते हुए अदालतें अब ऐसे झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपना रही हैं। झूठी शिकायतें दर्ज कराने वालों को सजा देकर अदालतें यह स्पष्ट संदेश दे रही हैं कि न्याय का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह एक सकारात्मक संकेत है कि अब सच और झूठ में फर्क करने वाला कानून, समाज को ईमानदारी और पारदर्शिता की ओर ले जा रहा है। हमें चाहिए कि हम अपने अधिकारों का प्रयोग करते समय अपने कर्तव्यों को न भूलें। सत्य ही वह आधार है, जिस पर एक न्यायपूर्ण और सभ्य समाज की नींव रखी जाती है।

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