बिजली निजीकरण विरोध में जन जागरण अभियान शुरू
प्रदेशभर में बिजली निजीकरण विरोध के पहले दिन आयोजित की गईं सभाएं
प्रादेशिक डेस्क
लखनऊ। बिजली निजीकरण विरोध में आज से प्रदेशव्यापी व्यापक जन जागरण और ’ज्ञापन दो’ अभियान की शुरुआत हुई। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाएं आयोजित की गईं। इस अभियान के तहत विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री हृदय नारायण दीक्षित को ज्ञापन सौंपकर आंदोलन का शुभारंभ किया गया। लखनऊ में ही राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे और उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य पल्लवी पटेल को भी ज्ञापन दिए गए।
यह जानकारी देते हुए संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि जहां उत्तर प्रदेश में घरेलू बिजली की अधिकतम कीमत रुपए 6.50 प्रति यूनिट है, वहीं निजी क्षेत्र में मुंबई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए रुपए 17 से रुपए 18 प्रति यूनिट, कोलकाता में रुपए 10 से रुपए 12 प्रति यूनिट और दिल्ली में रुपए 8 से रुपए 10 प्रति यूनिट बिजली की दरें हैं। बिजली निजीकरण से सबसे बड़ी चोट गरीब उपभोक्ताओं और किसानों पर पड़ने वाली है। उत्तर प्रदेश में आगरा और ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी काम कर रही है जो किसानों को मुफ्त बिजली की सुविधा नहीं देती और घरेलू उपभोक्ताओं के बिल बढ़ा-चढ़ा कर दिए जाते हैं।

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उन्होंने कहा कि बिजली निजीकरण होने के बाद सबसे बड़ा खतरा 50 हजार संविदा कर्मचारियों पर है जो अत्यंत अल्प वेतन भोगी हैं। निजी कंपनी कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होते ही इन्हें नौकरी से बाहर कर देगी और अत्यंत अल्प वेतन भोगी ये संविदा कर्मी भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जनपदों का निजीकरण होने से लगभग 76 हजार पद सरकारी सेवा से समाप्त हो जाएंगे। निजी कंपनियां बहुत कम वेतन पर ठेके पर कर्मचारियों को रखती हैं। ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश के युवाओं और छात्रों के सामने बेरोजगारी की भारी निराशा खड़ी हो जाएगी।
ज्ञापन में आगरा और केस्को की बिजली व्यवस्था की तुलना करते हुए बताया गया है कि बिजली निजीकरण के बाद जहां आगरा में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का लगभग 1000 करोड़ रुपए का प्रति वर्ष का घाटा हो रहा है, वहीं केस्को की प्रति यूनिट राजस्व वसूली और एटी एंड सी हानियां आगरा के निजी क्षेत्र की तुलना में काफी कम हैं। केस्को में प्रति यूनिट राजस्व वसूली 7.96 रुपए प्रति यूनिट है, जबकि करार के अनुसार आगरा में टोरेंट कंपनी पावर कारपोरेशन को प्रति यूनिट 4.36 रुपए का भुगतान करती है।
संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार, बिजली निजीकरण विरोध जन जागरण पखवाड़े के दौरान 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाओं और प्रदर्शन का क्रम जारी रहेगा। आज प्रदेश भर में व्यापक जन जागरण और ’ज्ञापन दो’ अभियान के साथ विरोध सभाओं का क्रम प्रारंभ हुआ। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने यह संकल्प दोहराया कि प्रदेश के व्यापक हित में निजीकरण के विरोध में आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता।

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