Saturday, July 19, 2025
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मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति का बहराइच में बड़ा ऐलान

मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल हो सकते हैं राजा सुहेलदेव और महर्षि बालार्क, मसूद गाजी नहीं

अत्याचारी शासक था अकबर, उसे महान बताना वामपंथी इतिहासकारों की देन, महान कहने पर शर्म आती है-कुलपति

संवाददाता

बहराइच। धर्म संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक साहसी कदम उठाते हुए मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय बलरामपुर के कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह ने घोषणा की है कि विश्वविद्यालय में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मुस्लिम स्टेज की तर्ज पर अब ‘हिंदू स्टेज’ विकसित किया जाएगा, जिसमें भारत की धर्म संस्कृति, दर्शन और भाषाओं को प्रमुखता से पढ़ाया जाएगा। एक दिवसीय दौरे पर 14 जून को बलरामपुर पहुंचे मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा, ‘अब इतिहास नहीं, तथ्यों से प्रमाणित है कि अकबर ने ऐसे-ऐसे अत्याचार किए हैं कि अकबर महान कहने में शर्म आती है।’

बहराइच के सैयद सालार गाजी मसूद को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि यह मामला अब राजनीतिक ज्यादा होता जा रहा है। किंतु उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में गाजी मसूद को पराजित करने वाले महाराजा सुहेलदेव तथा महर्षि बालार्क को शामिल किया जाएगा। विदेशी आक्रांता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने का कोई औचित्य नहीं। कुलपति ने बताया कि इस कोर्स के अंतर्गत तमिल, उड़िया, कन्नड़ जैसी भारतीय भाषाओं को भी जोड़ा जाएगा। यह प्रयास देश की विविध संस्कृति को समझने और जोड़ने की दिशा में एक मजबूत पहल माना जा रहा है।

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भारतीय धर्म, संस्कृति और दर्शन पर आधारित मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय भारत के पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भाषा-संस्कृति के आधार पर रोटी-बेटी संबंधों को भी सशक्त करेगा। इसका उद्देश्य केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुल तैयार करना भी है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के अंतर्गत शोध कार्यों के लिए प्रवेश परीक्षा कराई जा रही है। इसके साथ ही दोहरे पाठ्यक्रम की व्यवस्था की गई है, जिसके अंतर्गत छात्र जुलाई और जनवरी दोनों सत्रों में प्रवेश ले सकेंगे। धर्म संस्कृति आधारित अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थी एक पाठ्यक्रम कैंपस से और दूसरा ऑनलाइन कर सकेंगे। यह लचीलापन शिक्षा को समावेशी और व्यापक बनाने की दिशा में अहम कदम है।

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उन्होंने यह भी बताया कि बहराइच में केडीसी के प्राचार्य को विश्वविद्यालय की नियमावली निर्धारण समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही शिक्षक व परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी और गुणवत्ता युक्त बनाने की दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं। देवीपाटन मंडल में इस समय मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय से 171 महाविद्यालय संबद्ध हैं, जिनमें बहराइच जनपद के 45 राजकीय, वित्तपोषित तथा वित विहीन मान्यता प्राप्त कालेज शामिल हैं। छात्रों का समर्थ पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह तकनीकी और निष्पक्ष हो सके।

मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्राचार्यों से स्पष्ट शब्दों में कहा कि धर्म संस्कृति को लेकर बनाई गई नीतियों और नियमों का पालन सभी महाविद्यालयों को सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि फैकल्टी उपस्थिति और शिक्षण गुणवत्ता में लापरवाही करने वाले कॉलेजों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। प्रोफेसर सिंह ने किसान पीजी कॉलेज बहराइच में जिले भर के महाविद्यालयों के प्राचार्यों के साथ बैठक भी की। इस बैठक में कालेज के सचिव मेजर डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य प्रो. विनय सक्सेना, रिसिया डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रो. दिव्य दर्शन तिवारी, उपप्राचार्य डॉ. उस्मान और पंकज सिंह सहित कई शिक्षक मौजूद रहे।

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