वैक्सीनेशन पर आई चौंकाने वाली नई रिपोर्ट
नेशनल डेस्क
नई दिल्ली। देशभर में Covid-19 की वापसी एक बार फिर से डराने लगी है। जहां एक ओर संक्रमण के नए मामलों में निरंतर इजाफा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों की चेतावनी और शोध रिपोर्ट्स ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। शनिवार (14 जून) को जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में Covid-19 के सक्रिय मामलों की संख्या 7400 पार कर गई है। पिछले 24 घंटे में जहां 269 नए केस सामने आए हैं, वहीं 9 लोगों की मौत भी हो चुकी है। यह संकेत साफ हैं कि महामारी अब भी खत्म नहीं हुई है और इसकी अनदेखी गंभीर परिणाम ला सकती है।
Covid-19 वैक्सीनेशन पर आई चौंकाने वाली रिपोर्ट!
Covid-19 को लेकर सामने आई नई शोध रिपोर्ट ने सभी का ध्यान खींचा है। यूसीएलए हेल्थ द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि कोविड वैक्सीनेशन न केवल संक्रमण से बचाता है, बल्कि यह किडनी से जुड़ी जटिलताओं के खतरे को भी कम करता है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सोशल मीडिया पर वैक्सीन को लेकर भ्रम और नकारात्मकता फिर से फैलने लगी है।
किडनी रोगियों के लिए वैक्सीन बनी जीवनरक्षक
इस अध्ययन के तहत मार्च 2020 से मार्च 2022 के बीच अस्पताल में भर्ती लगभग 3,500 मरीजों के डेटा का विश्लेषण किया गया। Covid-19 से संक्रमित लेकिन टीकाकरण न करवाने वाले मरीजों को Continuous Renal Replacement Therapy (CRRT) यानी नॉन-स्टॉप डायलिसिस की आवश्यकता 16% अधिक थी। यह एक गहन डायलिसिस प्रक्रिया है, जो तब की जाती है जब किडनी पूरी तरह फेल हो जाए।
डॉ. निलोफर नोबख्त, जो यूसीएलए में नेफ्रोलॉजी के प्रोफेसर हैं, ने इस शोध का नेतृत्व किया। उनके अनुसार, Covid-19 वैक्सीनेशन किडनी रोगियों को मौत की दहलीज से वापस खींचने में मदद कर सकती है।
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कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए खतरा बरकरार
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि Covid-19 की मौजूदा लहर बुजुर्गों, कोमोरबिडिटी से पीड़ितों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए घातक साबित हो सकती है। ऐसे लोगों को न केवल मास्क पहनना चाहिए, बल्कि अपने चिकित्सक की सलाह पर बूस्टर डोज भी लगवानी चाहिए। हालिया मौतों में कई ऐसे मरीज शामिल थे जो या तो वैक्सीन से वंचित थे या बूस्टर नहीं ले पाए थे।
संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी सावधानियां
जैसे-जैसे Covid-19 के केस बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे मास्क, सैनिटाइज़र और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोविड अनुरूप व्यवहार को फिर से अपनाने की जरूरत बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछली लहरों की तरह ही इस बार भी Covid-19 का ग्राफ बढ़ने से पहले जागरूकता जरूरी है।
बच्चों में भी बढ़ा जोखिम
पहले के अध्ययनों में पाया गया था कि Covid-19 का संक्रमण बच्चों में भी किडनी फेलियर का कारण बन सकता है। आंकड़ों के अनुसार, संक्रमित बच्चों में 6 महीनों के भीतर क्रोनिक किडनी डिजीज का जोखिम 35% तक बढ़ जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि टीकाकरण केवल बड़ों के लिए नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा में भी अत्यंत आवश्यक भूमिका निभाता है।
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