Saturday, July 12, 2025
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Gonda News : फर्जी डिग्री से 28 साल की नौकरी का चौंकाने वाला खुलासा!

मंडलायुक्त ने दिए जांच के सख्त आदेश, शिक्षक की भूमिका पर उठे सवाल

संवाददाता

गोंडा। फर्जी डिग्री के आधार पर मदरसे में 28 वर्षों तक नौकरी करने के सनसनीखेज आरोप ने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। देवीपाटन मंडल के मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उप निदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण को जांच के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि शिकायत में लगाए गए आरोपों की साक्ष्य सहित पुष्टि कर 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

यह मामला गोंडा जनपद के बाबागंज क्षेत्र के ग्राम पूरे राजापुर निवासी अनवर खान की शिकायत के बाद प्रकाश में आया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ग्राम देवरिया अलावल, बग्गी रोड स्थित मदरसा दारुल उलूम हबीबुर्रजा में नियुक्त शिक्षक मोहम्मद शहाबुद्दीन विगत 28 वर्षों से फर्जी डिग्री व प्रमाणपत्रों के आधार पर सेवा में बने हुए हैं।

शिकायतकर्ता ने पहले भी किया था प्रयास, नहीं हुई थी कोई ठोस कार्रवाई
अनवर खान ने वर्ष 2024 में ही जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को शिकायती पत्र देकर संबंधित शिक्षक के शैक्षिक प्रमाण-पत्रों की वैधता की जांच की मांग की थी। उनका आरोप है कि उस समय भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी। बाद में उन्होंने जिलाधिकारी गोंडा और मुख्य विकास अधिकारी को भी शिकायती पत्र सौंपा, परंतु शिक्षक की पत्रावली अब तक डीएम कार्यालय को नहीं सौंपी गई।

अब जबकि यह मामला सीधे मंडलायुक्त के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तत्काल उप निदेशक को निर्देश देते हुए कहा कि फर्जी डिग्री के आधार पर की गई नियुक्ति की निष्पक्ष जांच की जाए और यदि आरोप सही पाए जाएं तो आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जाए।

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मंडलायुक्त ने दिए सख्त निर्देश, कहा पर्सनली देखें
मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने अपने पत्र में स्पष्ट कहा है कि संबंधित अधिकारी इस प्रकरण को व्यक्तिगत रूप से देखें और शिकायत में दिए गए सभी तथ्यों की साक्ष्य सहित पुष्टि करें। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट उनके कार्यालय को उपलब्ध कराई जाए।

यह मामला न केवल एक संभावित फर्जी डिग्री के सहारे शिक्षा व्यवस्था को गुमराह करने का है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा आर्थिक अनियमितता का संकेत भी देता है। यदि शिक्षक द्वारा प्रस्तुत किए गए अंकतालिकाएं व प्रमाण-पत्र फर्जी पाए जाते हैं, तो यह न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन होगा, बल्कि सरकारी धन का भी दुरुपयोग माना जाएगा।

शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता पर उठे सवाल
इस पूरे प्रकरण से शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। शिकायत के बाद कई स्तरों पर पत्राचार और शिकायतें होने के बावजूद कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आना चिंता का विषय है। यदि समय रहते कार्रवाई की जाती, तो शायद यह मामला इतना लंबा न खिंचता।

अब देखना यह है कि फर्जी डिग्री के आधार पर लंबे समय से शिक्षक पद पर कार्यरत व्यक्ति के विरुद्ध क्या कार्रवाई होती है। मंडलायुक्त के हस्तक्षेप से निश्चित रूप से जांच की दिशा तय हो गई है, और आने वाले दिनों में पूरे मामले पर रोशनी पड़ने की संभावना बढ़ गई है।

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