UP News:एसएसपी कार्यालय के सामने ध्वस्तीकरण का मलवा न हटाने व भूमि की प्रकृति बदलने पर रोक
प्रयागराज(हि.स.)। हाईकोर्ट ने एसएसपी कार्यालय के सामने ध्वस्तीकरण कार्रवाई से पड़ा मलवा नहीं हटाने और भूमि की प्रकृति नहीं बदलने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस भूखंड को लेकर याची की आपत्तियों पर डीएम का निस्तारण सम्बंधी आदेश भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही पीडीए व राज्य सरकार को पूरे मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस एवं न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की विशेष खंडपीठ ने विवादित भूखंड पर दावा करने वाले संजय अग्रवाल की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए तीन नवम्बर की तारीख लगाई है। साथ ही जिला प्रशासन को तब तक वहां से मलवा न हटाने और भूमि की प्रकृति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडे का कहना था की याची ने विवादित भूखंड को 22 दिसम्बर 2004 और 20 दिसम्बर 2008 को खरीदा था। इसकी सेल डीड उसके पास है और म्युनिसिपल रिकॉर्ड में उसका नाम भी दर्ज है। छह जुलाई 2018 को याची और ललित मोहन एवं मधु गुप्ता को नोटिस देकर कहा गया कि उन्होंने भूखंड पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को याची की आपत्तियों का निस्तारण कर उचित आदेश करने का निर्देश दिया। इसके बाद 24 अक्टूबर 2020 को एसडीएम सदर व पीडीए के अधिकारियों ने विवादित स्थल पर याची का निर्माण ढहा दिया। याचिका में कहा गया है कि याची का सामान अब भी मलवा में पड़ा है, जिसे उसे उठाने की अनुमति दी जाए। सरकारी वकील का कहना था कि जिलाधिकारी ने 18 सितम्बर 2020 को हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार याची की आपत्तियों पर सुनवाई के बाद उन्हें खारिज कर दिया। उसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई।