दर्दनाक मौत से गांव में पसरा मातम; राप्ती योजक नहर बनी काल
संवाददाता
श्रावस्ती (उप्र)। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जनपद में शनिवार को राप्ती सरयू योजक नहर में नहाने गए दो सगे भाइयों की दर्दनाक डूबने से मौत हो गई। यह श्रावस्ती हादसा न सिर्फ एक परिवार को उजाड़ गया, बल्कि सरकारी लापरवाही और चेतावनी तंत्र की कमी को भी उजागर कर गया।
हरदत्त नगर गिरंट थाना क्षेत्र के ग्राम देवरा के मजरा भाटन देवरा निवासी सरवर (24 वर्ष) और उसका छोटा भाई बसारत (22 वर्ष) शनिवार दोपहर गर्मी से राहत पाने के लिए गांव के पास बह रही राप्ती योजक नहर में नहाने गए थे। दोनों भाइयों ने किनारे अपने चप्पल, कपड़े, साबुन और तौलिया उतारे, लेकिन नहाने के दौरान एक भयावह मोड़ ने उन्हें मौत के मुंह में धकेल दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक नहाते समय सरवर का पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में चला गया। उसे बचाने के लिए बसारत भी कूद पड़ा, लेकिन तेज बहाव ने दोनों को अपने आगोश में ले लिया। इस श्रावस्ती हादसा की सूचना आसपास चरवाहों ने दी, जिसके बाद गांव और परिवार में कोहराम मच गया।
गांववालों की सूचना पर नायब तहसीलदार विजय प्रकाश गुप्ता, थानाध्यक्ष सौरभ सिंह के साथ मौके पर पहुंचे। स्थानीय गोताखोरों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। देर शाम तक दोनों युवकों के शव नहर से बरामद कर लिए गए। शवों को सीएचसी मल्हीपुर पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इस श्रावस्ती हादसा से गांव में मातम छा गया है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी इस नहर में हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई चेतावनी बोर्ड या सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई।

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यह श्रावस्ती हादसा न सिर्फ एक हृदयविदारक घटना है, बल्कि प्रशासनिक विफलता का जीता-जागता उदाहरण भी है। जहां एक ओर सरकारें जल स्रोतों को सुरक्षित बनाने के दावे करती हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा के नाम पर कुछ भी व्यावहारिक कदम नहीं उठाए जाते। राप्ती सरयू योजक नहर जैसी तेज बहाव वाली जगहों पर कोई चेतावनी बोर्ड तक नहीं लगाया गया है।
शवों के अंतिम संस्कार की तैयारी के बीच परिजनों ने मांग की है कि इस नहर पर स्पष्ट चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं और ऐसे खतरनाक स्थलों पर बच्चों और युवाओं के लिए बैरिकेडिंग या सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में देर हुई, जिससे दोनों की जान नहीं बच पाई।
गांव ही नहीं, आस-पास के इलाकों में भी इस श्रावस्ती हादसा की खबर से शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोग यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि आखिर ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जाए। प्रशासन के पास इस सवाल का जवाब नहीं है।

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