Saturday, June 14, 2025
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आंगनबाड़ी केंद्र की खस्ताहाली पर चुप प्रशासन

जिम्मेदारों की अनदेखी ने उजागर किया System Collapse

अम्बुज भार्गव

बलरामपुर। हरैया सतघरवा विकासखंड के गुगौली कलां ग्रामसभा में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की हालत बेहद चिंताजनक हो चुकी है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण और देखभाल के लिए बना यह आंगनबाड़ी केंद्र अब अपनी बदहाली की कहानी खुद बयां कर रहा है।
जहां यह केंद्र विकास का प्रतीक बनना चाहिए था, वहीं इसकी दीवारें अब भ्रष्टाचार और लापरवाही की मिसाल बन गई हैं। पिछले आठ वर्षों से यह आंगनबाड़ी केंद्र अपनी जर्जर स्थिति के कारण सिर्फ नाम मात्र का रह गया है।

आंगनबाड़ी केंद्र में नहीं रह गई ‘सेवा’ की कोई गुंजाइश
इस केंद्र का मूल उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार व स्वास्थ्य सेवाएं देना था। लेकिन अब यह भवन किसी खंडहर से कम नहीं दिखता। दीवारें गिर रही हैं, छत से प्लास्टर झड़ रहा है, दरवाजे टूट चुके हैं और फर्श में गहरे गड्ढे बन गए हैं।
बच्चों के लिए न तो बैठने की सुविधा है और न ही किसी तरह की सुरक्षित जगह। ऐसी खतरनाक स्थिति में कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को इस केंद्र में भेजने का साहस नहीं कर सकता।

आंगनबाड़ी केंद्र की अनदेखी: जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह
ग्राम प्रधान सियाराम यादव ने बताया कि उन्होंने इस आंगनबाड़ी केंद्र की बदहाल स्थिति के बारे में कई बार विकास खंड अधिकारी (बीडीओ) को पत्र भेजा है। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
उनका कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्र की खस्ता हालत किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा करा सकती है। बावजूद इसके, जिला प्रशासन और बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।

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जर्जर हो चुका आंगनबाड़ी केंद्र भवन
बलरामपुर के हरैया सतघरवा ब्लॉक में खंडहर में तब्दील आंगनबाड़ी केंद्र

आंगनबाड़ी केंद्र : सरकारी दावों की पोल खोल
सरकार बार-बार दावा करती है कि वह बच्चों और महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा सेवाएं मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र की यह भयावह स्थिति सरकार की घोषणाओं को झूठा साबित करती है।
भवन की बदहाली साफ दर्शाती है कि निर्माण के समय घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया। यह भ्रष्टाचार और निगरानी की विफलता का जीता-जागता उदाहरण है।

आंगनबाड़ी केंद्र से दूर होते बच्चे
गांव के लोग बताते हैं कि पहले जहां बच्चे रोज केंद्र आते थे, अब वहां सन्नाटा पसरा रहता है। डर है कि कहीं गिरती दीवार या छत किसी मासूम की जान न ले ले। इस कारण अभिभावक भी बच्चों को केंद्र भेजने से हिचकते हैं।
ऐसी स्थिति में बच्चों के पोषण और प्रारंभिक शिक्षा पर गहरा असर पड़ा है। एक तरफ सरकार ‘पोषण अभियान’ और ‘सक्षम आंगनबाड़ी’ जैसी योजनाओं पर करोड़ों खर्च कर रही है, दूसरी तरफ जमीनी हकीकत इससे एकदम विपरीत है।

स्थानीय प्रशासन की चुप्पी
सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से अब तक कोई दौरा, निरीक्षण या मरम्मत का आदेश नहीं आया है। यह सवाल उठता है कि क्या यह लापरवाही जानबूझकर की जा रही है? या फिर सरकारी तंत्र में संवेदनशीलता ही खत्म हो चुकी है?
यह रिपोर्ट बार-बार स्पष्ट करती है कि आंगनबाड़ी केंद्र की जर्जर अवस्था को सुधारने के लिए ठोस पहल की आवश्यकता है। आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य का केंद्र है। इस आंगनबाड़ी केंद्र की अनदेखी न केवल विकास के मार्ग में रुकावट है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है।

अगर अब भी इस आंगनबाड़ी केंद्र की मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो यह लापरवाही किसी भी दिन कोई बड़ा नुकसान कर सकती है। बलरामपुर जैसे जिले में जहां विकास की बेहद आवश्यकता है, वहां इस तरह के आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों और महिलाओं के प्रति शासन की उदासीनता को उजागर करते हैं।

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संवाद सूत्र भर्ती सूचना

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