Thursday, July 10, 2025
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UP News : 29 से बिजली हड़ताल को लेकर जबरदस्त तनाव

निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का विरोध निर्णायक मोड़ पर

बिजली हड़ताल पर संगठन अड़े, कहा-प्रबंधन जबरन थोपना चाहता है हड़ताल

प्रादेशिक डेस्क

लखनऊ। आगामी 29 मई से बिजली हड़ताल को लेकर प्रदेश भर में ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों और अभियंताओं में आक्रोश अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। बिजली हड़ताल की चेतावनी के बीच रविवार को हुई संगठनों की बैठकों में तीखे तेवर और संगठित विरोध की रणनीति ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि कर्मचारी निजीकरण को लेकर किसी भी स्तर पर झुकने को तैयार नहीं हैं।
राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय किया गया कि बिजली हड़ताल का आरंभ 29 मई से होगा, लेकिन उससे पहले 26 मई से विरोध तेज किया जाएगा। हालांकि अभियंताओं और अन्य कर्मियों ने यह साफ किया कि उनकी लड़ाई निजीकरण के खिलाफ है, उपभोक्ताओं के विरुद्ध नहीं।

उपभोक्ताओं की सेवाएं रहेंगी बहाल
बैठक में यह भी तय किया गया कि 26 मई से सभी अभियंता कार्यालय समय के बाद पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन से पूर्ण असहयोग करेंगे। किसी बैठक, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या योजना प्रक्रिया में वे शामिल नहीं होंगे। अभियंताओं ने प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए कि वह हड़ताल को उकसाने के लिए घाटे के भ्रामक आंकड़े प्रस्तुत कर रहा है और कर्मचारियों में भय का माहौल बना रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि निजीकरण किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा और यह बिजली हड़ताल उसी के खिलाफ लोकतांत्रिक विरोध है।

तीन विकल्प खारिज, अधिकारियों पर दमन के आरोप
बैठक में पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा सुझाए गए तीनों विकल्पों को पूरी तरह खारिज कर दिया गया। अभियंताओं ने कहा कि ये सभी विकल्प उनकी सेवा शर्तों को प्रभावित करते हैं और निजीकरण की दिशा में एक साजिश हैं। इस दौरान उत्पादन निगम के अध्यक्ष को पत्र भेजकर जीएम (एचआर) ए के सेठ के खिलाफ दमनकारी रवैये की जांच और उनका स्थानांतरण करने की मांग की गई।

बिजली हड़ताल से पहले उपभोक्ताओं के साथ जनांदोलन
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने रविवार को हुई बैठक में निर्णय लिया कि बिजली हड़ताल की प्रक्रिया से पहले 26 से 28 मई तक उपभोक्ताओं को साथ लेकर जिलों में जनांदोलन चलाया जाएगा। संघर्ष समिति के संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पीके दीक्षित, सुहैल आबिद आदि ने कहा कि वे किसी भी कीमत पर उपभोक्ताओं को दिक्कत नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि वे बीते छह माह से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं और अब यह आवश्यक हो गया है कि पूरे प्रदेश में जनसमर्थन के साथ बिजली हड़ताल का सामना किया जाए।

जूनियर इंजीनियर भी संघर्ष समिति के साथ
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन की केंद्रीय कार्यसमिति ने भी इस आंदोलन में संघर्ष समिति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की घोषणा की है। बैठक में तय किया गया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में दी गई ध्यानाकर्षण नोटिस के बाद अब सभी आंदोलनात्मक कार्यक्रम मिलकर चलाए जाएंगे।

आवश्यक सेवाओं को नहीं होने देंगे बाधित
अभियंताओं ने दोहराया कि अस्पताल, रेलवे, जल आपूर्ति जैसे आवश्यक सेवाओं को किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं होने देंगे। उन्होंने जल निगम के टैंकरों की आपूर्ति को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सिर्फ आम जनता में भय फैलाने की साजिश है।

प्रबंधन पर साजिश का आरोप, जिलेवार कमेटी गठित
संघर्ष समिति ने बिजली आपूर्ति में संभावित गड़बड़ी को लेकर भी कर्मचारियों को सचेत किया है। समिति का दावा है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन खुद बिजली आपूर्ति में गड़बड़ी करवा सकता है ताकि आंदोलन को बदनाम किया जा सके। इसके लिए सभी जिलों में कमेटियों का गठन किया गया है और उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी उकसावे में आकर अनावश्यक हड़ताल की स्थिति पैदा न होने दें।

निजीकरण के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई की तैयारी
बिजली हड़ताल को लेकर तैयार की गई रणनीति यह दर्शाती है कि अब यह महज संगठनात्मक मुद्दा नहीं, बल्कि कर्मचारियों की अस्मिता, रोजगार सुरक्षा और सेवा शर्तों से जुड़ा निर्णायक संघर्ष बन चुका है। संघर्ष समिति का मानना है कि अगर अब चुप रहे तो भविष्य में कर्मचारियों की कोई गारंटी नहीं बचेगी।

बिजली हड़ताल और निजीकरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश में विरोध
संवाद सूत्र भर्ती सूचना

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