Saturday, June 14, 2025
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यूपी में अपने दम पर पंचायत चुनाव लड़ेगी निषाद पार्टी

अब हर गांव में लहराना है निषाद पार्टी का झंडा – डॉ. संजय निषाद

जानकी शरण द्विवेदी

गोंडा। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार के मत्स्य पालन मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने ऐलान किया है कि उनकी आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। रविवार को शहर के टाउन हॉल में मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित मंडलीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अब निषाद पार्टी को जमीनी स्तर पर अपनी राजनीतिक पहचान को और अधिक सशक्त करना है, और इसके लिए पंचायत चुनाव संगठन के विस्तार का सर्वोत्तम मंच है।

डॉ. निषाद ने साफ किया कि निषाद पार्टी का भाजपा से गठबंधन केवल विधानसभा और लोकसभा चुनावों तक सीमित था, लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों में निषाद पार्टी अपनी स्वतंत्र रणनीति और जनाधार के साथ आगे बढ़ेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया, ‘हर गांव, हर वार्ड, हर बूथ पर निषाद पार्टी का झंडा लहराना है। अब वक्त है कमर कसने का।’ उन्होंने कहा कि पंचायत चुनावों में सफलता, 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की निर्णायक भूमिका का मार्ग प्रशस्त करेगी।

जातीय जनगणना और अनुसूचित जातियों के अधिकारों पर बोलते हुए डॉ. संजय निषाद ने तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना केवल आंकड़ों का मसला नहीं है, बल्कि यह अधिकार और प्रतिनिधित्व की लड़ाई है। उन्होंने दोहराया कि जब तक मछुआ समाज की वास्तविक संख्या दर्ज नहीं की जाएगी, तब तक उन्हें सरकारी योजनाओं में उचित भागीदारी नहीं मिल सकती।

उन्होंने मझवार, तुरैहा, तारमाली, पासी, शिल्पकार सहित 17 उपजातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने की मांग उठाई और स्पष्ट किया कि 1961 की जनगणना मैनुअल, उत्तराखंड शासनादेश और राज्यपाल द्वारा 2016 में जारी अधिसूचना के अनुसार ये जातियां शिल्पकार वर्ग में आती हैं, और अनुसूचित जाति के लिए पात्र हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन उपजातियों को तत्काल ओबीसी सूची से हटाकर एससी वर्ग में सम्मिलित किया जाए तथा जिन अधिकारियों ने RGI की स्पष्टता के बावजूद प्रमाण पत्र रोक रखे हैं, उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए।

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निषाद पार्टी के कार्यक्रम में उपस्थित पदाधिकारी और कार्यकर्ता

मंत्री ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में मत्स्य योजनाओं में अनुसूचित जाति वर्ग को 60 प्रतिशत तक का अनुदान अवश्य मिलना चाहिए। उन्होंने ‘मछुआ विज़न डॉक्युमेंट’ को सरकारी नीति के रूप में लागू करने की पुरजोर मांग रखी। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. निषाद ने सामाजिक चेतना को बल देते हुए कहा, ‘यह सिर्फ़ कार्यक्रम नहीं, सामाजिक क्रांति का पड़ाव है। अब मछुआ समाज नेतृत्व करेगा, नीति बनाएगा और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेगा।’

उन्होंने यह भी कहा कि मत्स्य पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और युवाओं को इसे केवल रोजगार के तौर पर नहीं, बल्कि एक उद्यम के रूप में अपनाना चाहिए। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे मत्स्य पालन को आत्मनिर्भरता का माध्यम बनाएं और सरकार की योजनाओं का भरपूर लाभ लें। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री मत्स्य योजना, निषाद राज बोट योजना, दुर्घटना बीमा योजना, शैक्षिक सहायता योजना और विवाह अनुदान योजना जैसी विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी और बताया कि कैसे ये योजनाएं मछुआ समुदाय के जीवन स्तर को बेहतर बना सकती हैं।

इस अवसर पर उपस्थित युवाओं ने योजनाओं पर गहन चर्चा की और अपनी जिज्ञासाएं साझा कीं। मंत्री ने उनके प्रश्नों का उत्तर देकर उन्हें योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि युवा इन योजनाओं का लाभ लें तो वे न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं, बल्कि समाज में नेतृत्व की भूमिका भी निभा सकते हैं।

उन्हांने कहा कि निषाद पार्टी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल मत्स्य उत्पादन को प्रोत्साहित करना था, बल्कि ग्रामीण युवाओं को इसके माध्यम से आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करना भी था। कार्यक्रम में विभागीय अधिकारी, शिक्षाविद, प्रबुद्धजन, विभिन्न जिलों के युवा मत्स्य पालक एवं समाज के प्रतिनिधियों की उल्लेखनीय भागीदारी रही।

भारत की अर्थव्यवस्था का ग्राफ
संवाद सूत्र भर्ती सूचना

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