मनोज त्रिपाठी
अयोध्या। राम मंदिर निर्माण से जुड़ी गतिविधियों के बीच एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने शनिवार को आयोजित अपनी बैठक में यह तय किया कि मंदिर के चारों प्रमुख द्वारों को भारत की सनातन परंपरा के चार प्रमुख जगद्गुरुओं के नाम पर समर्पित किया जाएगा। इस निर्णय को राम मंदिर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को और अधिक दृढ़ बनाने वाला कदम माना जा रहा है।
मणिरामदास छावनी में आयोजित राम मंदिर निर्माण से जुड़ी गतिविधियों पर चर्चा के लिए बैठक की अध्यक्षता महंत नृत्यगोपाल दास ने की, जिसमें ट्रस्ट के 15 में से 14 ट्रस्टी उपस्थित रहे। इनमें से 11 ट्रस्टी सशरीर शामिल हुए जबकि तीन अन्य गृह सचिव संजय प्रसाद, वरिष्ठ अधिवक्ता केशव पाराशरन और अयोध्या के राजपरिवार से जुड़े विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। एक ट्रस्टी का पद रिक्त है। इस अहम बैठक के बाद ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि मंदिर के चार द्वारों के नामकरण की प्रक्रिया अब अंतिम रूप में पहुंच चुकी है और सभी द्वार सनातन धर्म के चार स्तंभ माने जाने वाले प्रमुख संतों के नाम पर होंगे।
इनमें पहला द्वार जगद्गुरु रामानंदाचार्य, दूसरा जगद्गुरु मध्वाचार्य, तीसरा जगद्गुरु शंकराचार्य, और चौथा जगद्गुरु रामानुजाचार्य के नाम पर रखा गया है। चम्पत राय ने कहा कि ये चारों महापुरुष भारतीय ज्ञान, भक्ति, कर्म और वेदांत की परंपराओं के साक्षात प्रतीक रहे हैं और उनके नाम पर मंदिर के चारों प्रवेशद्वारों का नामकरण कर देश की आध्यात्मिक विरासत को चिरस्थायी स्वरूप दिया जा रहा है।
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वर्तमान में जिन द्वारों को यह नाम दिए गए हैं, उनमें एक द्वार बिड़ला धर्मशाला के सामने स्थित है, दूसरा द्वार क्षीरेश्वर महादेव मंदिर की दिशा में बन रहा है, तीसरा द्वार मंदिर परिसर के उस ओर बन रहा है जो भविष्य में तीर्थयात्रियों की मुख्य राह होगी और चौथा द्वार रामकोट मोहल्ला की ओर स्थित है। चारों द्वारों का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है और इन पर उकेरी जाने वाली धार्मिक मूर्तियों एवं शिल्पकला से संबंधित योजना भी लगभग तय हो चुकी है।
ट्रस्ट की ओर से जानकारी दी गई कि राम मंदिर के सप्त मंडप का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मंदिर परिसर में प्रमुख ऋषियों, शबरी, निषादराज, अहिल्या और अन्य रामकथा पात्रों की मूर्तियाँ स्थापित की जा चुकी हैं। इन मूर्तियों के माध्यम से मंदिर केवल एक धार्मिक केंद्र न होकर धार्मिक अनुभव का जीवंत स्थल बनने की ओर अग्रसर है।
ट्रस्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर के प्रथम तल पर स्थित श्रीराम सभा मंडप तक श्रद्धालुओं की पहुंच तभी संभव होगी जब वहां की सीढ़ियों पर रेलिंग और लिफ्ट की व्यवस्था पूर्ण हो जाएगी। चम्पत राय ने जानकारी दी कि मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण का आयोजन नवंबर 2025 में प्रस्तावित है। यह आयोजन एक भव्य धार्मिक समारोह के रूप में होगा, जिसमें देश-विदेश से साधु-संतों, वैदिक आचार्यों, राजनीतिक प्रतिनिधियों और लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति का अनुमान है।
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इसके अतिरिक्त, राम मंदिर परिसर की चार किलोमीटर लंबी परकोटा, एक ऑडिटोरियम, तीर्थ क्षेत्र कार्यालय, जलप्रबंधन, प्रकाश व्यवस्था और यातायात नियंत्रण जैसे अनेक निर्माण कार्य आगामी एक वर्ष के भीतर पूर्ण करने की योजना है। इन सभी कार्यों में निर्माण एजेंसियों की सक्रियता तेज हो गई है और लगभग सभी गतिविधियों को निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करने का लक्ष्य तय किया गया है।
ट्रस्ट की बैठक में लिया गया यह निर्णय ऐसे समय आया है जब देश और दुनिया के करोड़ों श्रद्धालु राम मंदिर के उद्घाटन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चारों द्वारों का नामकरण केवल सांस्कृतिक नहीं बल्कि धार्मिक चेतना को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में स्थापित करने वाला कार्य माना जा रहा है। यह उन विचारों को केंद्र में लाता है जिनके द्वारा भारत की आध्यात्मिक धारा सदियों से पोषित होती रही है। यह फैसला यह भी दर्शाता है कि राम मंदिर केवल ईंट और पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा का जीवंत प्रतीक बन रहा है, जिसमें ज्ञान, कर्म, भक्ति और त्याग की सनातन परंपरा जीवित है।
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