अम्बुज भार्गव
बलरामपुर। जनपद में मृत्युंजय योगा फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में 15 लोगों ने रक्तदान किया। इसका संदेश अत्यंत प्रेरणादायक और स्वास्थ्य-संबंधी चेतना से भरपूर रहा। इस शिविर का उद्देश्य केवल खून एकत्र करना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करना था कि रक्तदान जीवनदान है। शिविर का नेतृत्व कर रही फाउंडेशन की संस्थापिका मधु मिश्रा ने कहा कि रक्तदान न केवल जीवन बचाता है बल्कि रक्तदाता की सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। उन्होंने बताया कि नियमित रक्तदान से शरीर में आयरन की अधिकता नियंत्रित रहती है, जिससे हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा घटता है।
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मधु मिश्रा ने यह भी बताया कि आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों में रक्त की कमी अक्सर जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे समय में ब्लड बैंकों में स्टॉक होना आवश्यक है और यह तभी संभव है जब आम नागरिक स्वयं आगे आकर नियमित रूप से रक्तदान करें। उन्होंने यह अपील भी की कि समाज के हर नागरिक को साल में कम से कम एक बार रक्तदान अवश्य करना चाहिए ताकि कोई भी मरीज खून की कमी से मौत का शिकार न हो। उन्होंने कहा कि रक्तदान शिविर भले ही छोटे पैमाने पर हुआ हो, लेकिन इसका संदेश व्यापक है और यह समाज में सकारात्मक बदलाव की शुरुआत है।

इस अवसर पर बलरामपुर के विभिन्न सामाजिक और व्यवसायिक पृष्ठभूमि के लोगों ने रक्तदान में भाग लिया। इनमें शामिल थे – विशाल गांधी, आशीष जैन, गीतिका अग्रवाल, नितिन अग्रवाल, मधु मिश्रा, मलय पाहवा, तरूण अग्रवाल, उजाला अग्रवाल, पम्मी गांधी, ज्योति बख्शी, हृदय बख्शी, नीतू चौधरी और नमिता पटवा। इन सभी प्रतिभागियों ने समाज के प्रति अपनी संवेदनशीलता और सेवा भावना का परिचय दिया। रक्तदान शिविर में भाग लेने वालों की संख्या कम अवश्य थी, लेकिन उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक माना गया।
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शिविर में आए स्वयंसेवकों ने बताया कि वे नियमित रक्तदाता नहीं हैं, लेकिन इस आयोजन से उन्हें नई प्रेरणा मिली है और अब वे नियमित रक्तदान करने का संकल्प लेते हैं। मृत्युंजय योगा फाउंडेशन का यह प्रयास न केवल सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सराहनीय रहा, बल्कि आने वाले समय में इससे अनेक लोग प्रेरित होंगे। फाउंडेशन की ओर से बताया गया कि भविष्य में और भी रक्तदान शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिनमें युवाओं और विद्यार्थियों को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा।
शिविर का संचालन सुचारू रूप से हुआ और सभी दाताओं को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए। बलरामपुर जैसे छोटे शहर में इस प्रकार का स्वास्थ्य-संबंधी आयोजन यह दर्शाता है कि नागरिक चेतना अब ग्रामीण और कस्बाई भारत में भी जड़ें जमा रही है। रक्तदान शिविर भले ही छोटे स्तर पर हुआ हो, लेकिन इससे निकला संदेश अत्यंत गहरा और जनकल्याणकारी है।

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