भारत अब एक मजबूत वैश्विक ताकत बन चुका है और इसके पीछे है PM Modi की दूरदर्शी विदेश नीति। उनकी रणनीतिक यात्राओं ने न सिर्फ भारत की छवि बदली, बल्कि आतंकवाद, सुरक्षा और निवेश जैसे मुद्दों पर भारत को दुनिया का नेता बना दिया है। विश्लेषण कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार Amit Sharma
एक समय था जब भारत को केवल एक विकासशील और शांत राष्ट्र के रूप में देखा जाता था, लेकिन आज वह वैश्विक मंच पर दृढ़ता से अपनी भूमिका निभा रहा है। पहलगाम हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में PM Modi के नेतृत्व में सेना द्वारा की गई आतंक पर की गई स्ट्राइक की गूंज दुनिया में सुनाई दी। लगभग एक दशक पहले शायद ही किसी ने अनुमान लगाया होगा कि नेतृत्व परिवर्तन का भारत की वैश्विक पहचान पर इतना बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
आज, हम गर्व से कह सकते हैं कि विश्व भारत की ताकत को जान चुका है, पहचान चुका है और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की सच्चाई भी अब छिपी नहीं रही। इस बदलाव के केंद्र में हैं- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अनवरत विदेश दौरे किए, आज जिन दौरों का असर हम सबके सामने है। PM Modi की विदेश यात्राएं केवल प्रतीकात्मक नहीं रहीं, वे दीर्घकालिक वैश्विक निहितार्थों के साथ सुनियोजित कदम थे। यही वजह है कि पिछले एक दशक में, अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति – राष्ट्रीय शक्ति के साधन में बदल गई।
एक सोच, जिसने दुनिया बदल दी
आज, भारत पहले से कहीं ज़्यादा मजबूती से खड़ा हुआ है, दुनिया उसे सम्मान की दृष्टि से देख रही हैI भारत शक्तिशाली गठबंधन बना रहा है और कथानक बदल रहा है, ख़ास तौर पर क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मामले में। लेकिन अगर थोड़ा सा पीछे जाएं तो 2014 में 26 मई को जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तब भारत की विदेश नीति सीमित और धीमी गति से चल रही थी लेकिन PM Modi ने शुरू से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वे सिर्फ भारत को नहीं, बल्कि दुनिया को भी बदलने की सोच के साथ आए हैं।
यही वजह है कि उनकी विदेश यात्राएं किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की तुलना में न केवल अधिक रही हैं, बल्कि कहीं अधिक प्रभावशाली भी रही हैं। जब मई 2014 में PM Modi ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तब शायद ही किसी ने कल्पना की थी कि आने वाले वर्षों में भारत की वैश्विक पहचान इतनी सशक्त और प्रभावशाली हो जाएगी।
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PM Modi की हर यात्रा ने की भारत की ब्रांडिंग
पहलगाम आतंकी हमले के बाद दुनिया को यह समझने में कतई देर नहीं लगी कि इसके पीछे किसका हाथ है। पाकिस्तान के अलावा पहलगाम आतंकी हमले को लेकर किसी भी देश ने अनर्गल सवाल नहीं उठाए। भले ही हमेशा की तरह पाकिस्तान ने एक बार फिर पुराना हथकंडा अपनाते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से क्लोज-डोर मीटिंग बुलाने की मांग कर फेस सेविंग की कोशिश की लेकिन इस मीटिंग के अपने सुनियोजित मकसद में भी इस बार वो कामयाब नहीं हो पाया।
इसरायल, रूस और जापान जैसे कई देश पहले ही खुलकर भारत के रुख का समर्थन कर चुके थे तो वहीं एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अमेरिका के पूर्व एनएसए जॉन बोल्टन और एक अलग मंच पर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष माइक जॉनसन ने भी भारत के आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के संकल्प का समर्थन किया था। ये इस बात का प्रमाण है कि पीएम मोदी की विदेश यात्राएं केवल ‘राजनयिक यात्राएं’ नहीं थीं, बल्कि रणनीतिक ‘भारत ब्रांडिंग’ का हिस्सा थीं। आज जब हम पीछे देखते हैं, तो साफ दिखता है कि मोदी की हर यात्रा ने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया है।
इज़रायल को लेकर दिखाई गई दूरदर्शिता असरकारक साबित हुई
14 मई, 1948 को इसरायल को स्वतंत्रता मिलने के बाद 1950 में भारत ने उसे एक देश के रूप में अपने यहां मान्यता दी इसके बाद भी राजनयिक संबंध कायम नहीं हुए। 42 साल यह काम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में 1992 में हुआ। इसके बाद इजरायल से हमारे संबंध परवान बीजेपी की सरकार में चढ़े। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2003 में पहली बार किसी इसरायली प्रधानमंत्री का पहला भारत दौरा हुआ। इसके बाद और गहरे संबंध नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुए।
तमाम मिथकों और बैरियर को तोड़ते हुए PM Modi ने भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर इसरायल का पहला दौरा किया, इससे पहले कोई भारतीय प्रधानमंत्री इजरायल नहीं गया था। ये साबित करता है कि पीएम मोदी की विदेश यात्राएं कितनी सुनियोजित थीं। इतना ही नहीं 2023 में जब यूरोप के कई देशों ने इसरायल का साथ नहीं दिया तब हमास के हमले से निपटने के लिए भारत ही आगे आया। परिणाम आज सबके सामने हैं। इसरायल आतंक की इस लड़ाई में खुलकर भारत के साथ रहा।
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अब तक कितने देशों की यात्रा कर चुके हैं नरेंद्र मोदी?
PM Modi साल 2014 से मई 2025 तक 88 विदेशी यात्राएं कर चुके हैं। जिनमें उन्होंने 73 देशों की ज़मीन पर भारत की आवाज़ बुलंद की। इन यात्राओं में उन्होंने कई देशों का बार-बार दौरा किया, जिनमें प्रमुख हैं- अमेरिका। पीएम मोदी ने अमेरिका का 10 बार दौरा किया, जापान का सात बार, रूस का सात बार और संयुक्त अरब अमीरात का सात बार दौरा किया। फ्रांस, जर्मनी, चीन, ऑस्ट्रेलिया के भी पीएम मोदी ने कई बार दौरे किए।
इन यात्राओं में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को भी विशेष रूप से प्राथमिकता दी गई, जिससे यह साफ हो गया कि भारत अब केवल पश्चिम पर निर्भर नहीं है, बल्कि एक संतुलित और व्यापक नीति अपना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रत्येक यात्रा को रणनीतिक दूरदर्शिता के साथ चुना।
आज की विदेश नीति के पीछे की सोच?
विश्व पटल पर उभरी भारत की छवि को देखें तो साफ समझ में आता है कि PM Modi का प्राथमिक उद्देश्य भारत की एक हिचकिचाहट भरी वैश्विक शक्ति की छवि को खत्म करना था। मैडिसन स्क्वायर गार्डन में एनआरआई की भारी भीड़ को संबोधित करना हो या संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलना हो, मोदी ने भारत को आत्मविश्वासी, दूरदर्शी और नेतृत्व के लिए तैयार ‘विश्व गुरु’ के रूप में पेश किया। उनकी वैश्विक उपस्थिति ने यह सुनिश्चित किया कि भारत अब जी7 आउटरीच सेशन, क्वाड शिखर सम्मेलन, ब्रिक्स, एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन), सीओपी जलवायु सम्मेलन जैसे महत्वपूर्ण मंचों पर नियमित रूप से आमंत्रित किया जाता है।
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वैश्विक राजनीति के केंद्र में भारत
भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर भारत के ग्लोबल राजनीति में केंद्रीय भूमिका में स्थापित होना भी PM Modi की विदेश नीति का ही परिणाम है। उनकी हर यात्रा में यह संदेश साफ रहा कि ‘भारत अब चुप नहीं बैठेगा, बल्कि नेतृत्व करेगा।’ UNGA में दिए गए भाषण, विदेशों में लाखों प्रवासी भारतीयों के बीच भावनात्मक संवाद, योग को वैश्विक मंच पर पहुंचाना, यह सब एक सोच के तहत हुआ।
अमेरिका और रूस दोनों के साथ राजनीतिक संतुलन
PM Modi ने एक संतुलित नीति अपनाई जिसमें अमेरिका के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी बनी और साथ ही रूस और ईरान जैसे पारंपरिक मित्र देशों के साथ भी मजबूत संबंध बनाए रखे। उन्होंने क्वाड (Quad) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) दोनों में भागीदारी निभाकर भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दुनिया के सामने रखा।
आतंकवाद पर वैश्विक सहमति बनाना
PM Modi की सबसे बड़ी कूटनीतिक जीत यह रही कि उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब किया। उरी और पुलवामा हमलों के बाद उन्होंने न केवल कड़ी कार्रवाई की, बल्कि दुनिया को भी यह समझाया कि पाकिस्तान सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी खतरा है। इतना ही नहीं राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन से लेकर ऑस्ट्रेलिया और जापान के प्रधानमंत्रियों तक वैश्विक नेताओं ने भारत की चिंताओं को दोहराना शुरू कर दिया।
FATF द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालना, अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का भारत के रुख का समर्थन, UN में आतंकवाद पर भारत के प्रस्तावों को समर्थन ऐसे बदलाव हैं जो किसी भी देश के निर्णायक नेतृत्व की गवाही देते हैं।
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भारत की वैश्विक छवि बदली
अगर बात करें कि PM Modi की विदेश यात्राओं से भारत को क्या मिला तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ’डिप्लोमेटिक डायलॉग’ और उनकी नजबूत उपस्थिति का ही नतीजा है कि अब भारत एक ‘सुनने वाला देश’ नहीं, बल्कि ‘बोलने और नेतृत्व करने वाला देश’ बन गया है। भारत को जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा, डिजिटल टेक्नोलॉजी और वैश्विक व्यापार में प्रमुख भूमिका दी जा रही है।
रणनीतिक साझेदारियां और रक्षा सहयोग
फ्रांस से राफेल डील, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ नौसेना अभ्यास, इजरायल, रूस से रक्षा उपकरणों का आयात, LOGISTICS समझौते (LEMOA) जिससे भारत की वैश्विक ठिकानों तक पहुंच बड़ी। ये ऐसे कदम हैं जिनसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की रणनीतिक साझेदारी और रक्षा सहयोग में अभूतपूर्व बदलाव हुए हैं।
निवेश और तकनीकी विकास
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की मजबूत छवि का ही परिणाम है जापान से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए 88,000 करोड़ रुपए का निवेश। इतना ही नहीं UAE से अरबों डॉलर का इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और भारत-अमेरिका टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप भी बदलते भारत की तस्वीर बयां करती है।
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COVID काल में ‘वैक्सीन मैत्री’
कोरोना काल में जब दुनिया त्राहिमाम कर रही थी, पाकिस्तान जैसा देश रहमो करम की भीख मांग रहा था। चीन दुनिया से मुंह छिपाए घूम रहा था उस समय भारत ने मानवता को बचाने का संकल्प लिया। भारत ने 100 से अधिक देशों को वैक्सीन भेजकर दिखाया कि भारत सिर्फ अपनी नहीं, बल्कि दुनिया की भी चिंता करता है। ऋषि-मुनियों की धरती से यह ‘वैश्विक जन कल्याण’ की नीति थी जिसे दुनिया ने मानवता की मिसाल माना।
सबसे बड़ी ताकत ‘भावनात्मक जुड़ाव’
PM Modi की विदेश यात्राओं की सबसे बड़ी ताकत ‘भावनात्मक जुड़ाव’ है। जब एक भारतीय प्रधानमंत्री मैडिसन स्क्वायर गार्डन में खड़े होकर कहते हैं कि ‘मैं 1.4 अरब भारतीयों का प्रतिनिधि हूं’, तो प्रवासी भारतीयों की आंखें नम हो जाती हैं। उनको इस बात का अहसास होता है कि भले ही वो सात समंदर पार हों लेकिन उनके देश का नेता उनकी चिंता करता है। किसी भी देश के नेतृत्व का अपने लोगों से जुड़ाव महसूस करा पाना उसकी लोकप्रियता व विश्वसनीयता को साबित करता है।
एक दशक, एक दृष्टि, एक वैश्विक भारत
PM Modi की विदेश यात्राएं भारत की विदेश नीति का स्वर्णिम अध्याय हैं। इन यात्राओं ने भारत को सिर्फ कूटनीतिक लाभ नहीं दिया, बल्कि साबित हुआ कि एक मजबूत नेतृत्व जब दूरदृष्टि के साथ काम करता है तो वह भारत को एक क्षेत्रीय शक्ति से ग्लोबल लीडर बना सकता है। आज भारत को वैश्विक मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है और यह संभव हुआ है अदम्य इच्छा, दृढ़ निश्चय और अडिग नेतृत्व के कारण। ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए भारत ने संदेश दिया है कि वह आतंक के खिलाफ लड़ाई में पीछे हटने वाला नहीं।
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