जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। जिले की एक अदालत ने छेड़खानी का विरोध करने पर हत्या करने के दोषी एक व्यक्ति को सश्रम आजीवन कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि अभियोग में शामिल दो अन्य आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
विशेष लोक अभियोजक (एससी एसटी एक्ट) कृष्ण प्रताप सिंह व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) हर्षवर्धन पाण्डेय ने संयुक्त रूप से बताया कि जिले के मनकापुर थाना क्षेत्र के ग्राम बल्लीपुर में 14 अगस्त 2020 को बहन के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर राहुल (20) पुत्र राम बिलास पासवान की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी। प्रकरण में मृतक की मां श्रीमती मैनावती ने सुमित्रा नंदन (30), राकेश चौहान व अब्दुल कादिर के खिलाफ स्थानीय थाने पर सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराया था।
अधिवक्ता द्वय के अनुसार, बल्लीपुर हतवा निवासी सुमित्रा नंदन उसकी पुत्री के साथ आए दिन छेड़छाड़ किया करता था। इसकी जानकारी होने पर उनके बेटे राहुल ने इसकी शिकायत सुमित्रा नंदन के परिजनों से की थी। इस पर उसे जान से मारने की धमकी दी गई थी और बाद में सुमित्रा नंदन ने दो अन्य लोगों के साथ मिलकर राहुल की बहन के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर हत्या कर दी। पुलिस ने घटना के अगले दिन ही आला कत्ल के साथ मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल रवाना किया तथा प्रकरण की विवेचना के उपरांत नामजद तीनों अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया।
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सत्र परीक्षण के दौरान विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) सूर्यप्रकाश सिंह ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का परिशीलन करते हुए बचाव व अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं और गवाहों को सुनकर शुक्रवार को छेड़खानी का विरोध करने पर दलित युवक की हत्या के मामले में सुमित्रा नंदन को दोषी ठहराते हुए सश्रम आजीवन कारावास व 16 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड की अदायगी न किए जाने पर नौ माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समायोजित समझी जाएगी।
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