सरकार के फैसले से धान समेत 14 फसलों के दाम में उछाल
नेशनल डेस्क
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को खरीफ सीजन की 14 प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की घोषणा कर किसानों को बड़ी राहत दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि धान, कपास, सोयाबीन, अरहर समेत जिन फसलों की MSP बढ़ा दी गई है, उनसे किसानों की आय में सुधार होगा और बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव से उन्हें सुरक्षा मिलेगी।
सरकार के इस फैसले से कृषि क्षेत्र को नया उत्साह मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने की उम्मीद है। इसके साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड पर भी सस्ती ब्याज दर पर लोन मिलने की सुविधा को मजबूत किया गया है।
MSP बढ़ा तो फसलों का मूल्य भी बढ़ा
इस बार खरीफ सीजन में सरकार ने धान की MSP 2,369 रुपए प्रति क्विंटल तय की है, जो पिछले सीजन से 69 रुपए अधिक है। कपास की नई MSP 7,710 रुपए है, जबकि इसकी उच्च गुणवत्ता वाली किस्म की कीमत 8,110 रुपए कर दी गई है, जो पिछली कीमत से 589 रुपए अधिक है।
सरकार के अनुसार, इस वृद्धि से सरकारी खजाने पर कुल 2.07 लाख करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। यह पिछले वर्ष की तुलना में 7,000 करोड़ रुपए अधिक है।
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MSP बढ़ा तो मिली कीमत की गारंटी
MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस, किसानों को उनकी फसलों पर न्यूनतम गारंटीड मूल्य देता है। बाजार की स्थिति चाहे जो हो, किसान को फिक्स रेट मिलना तय होता है। यह नीति किसानों को बाजार की अनिश्चितता से बचाती है।
कई बार फसल की बंपर पैदावार से कीमतें गिर जाती हैं, तब MSP किसानों के लिए ‘सेफ्टी नेट’ की तरह कार्य करता है। सरकार MSP की घोषणा CACP यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेज की सिफारिश पर करती है।
MSP में 23 फसलें शामिल हैं:
7 प्रकार के अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ)
5 प्रकार की दालें (चना, अरहर/तुअर, उड़द, मूंग और मसूर)
7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड)
4 व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)
जून-जुलाई में बोई जाने वाली ये फसलें सितंबर-अक्टूबर में तैयार होती हैं। MSP में हुई यह वृद्धि मौजूदा खेती सीजन में किसानों के लिए भरोसे का काम करेगी।
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MSP बढ़ा तो सरकार को भी आया भरोसा
सरकार का कहना है कि इस वृद्धि के पीछे स्पष्ट उद्देश्य है—फसलों की लागत पर कम से कम 50% अतिरिक्त मूल्य सुनिश्चित करना। इससे किसान अपनी लागत निकालने के साथ ही लाभ कमा सकें। कृषि मंत्री के अनुसार, इससे कृषि उत्पादकता को भी बढ़ावा मिलेगा। केंद्र सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना को भी इससे जोड़ा है, ताकि किसान आसानी से सस्ते लोन ले सकें और फसल की तैयारी में कोई बाधा न हो।
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MSP बढ़ा तो आने वाले चुनावों पर क्या असर पड़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि MSP बढ़ा देने से सरकार को आगामी चुनावों में किसानों की नाराजगी दूर करने में मदद मिल सकती है। इससे उन राज्यों में सीधा असर दिख सकता है, जहां खेती प्रधान आबादी है।
MSP बढ़ा लेकिन चुनौतियां बाकी
हालांकि MSP बढ़ा है, लेकिन अभी भी किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रमुख समस्या यह है कि कई राज्यों में मंडियों में किसानों को MSP से कम मूल्य मिलता है। दूसरी बड़ी समस्या यह है कि सरकार सभी फसलों की पूरी खरीद नहीं कर पाती। इसलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि MSP की घोषणा के साथ-साथ उसकी जमीनी निगरानी और क्रियान्वयन भी उतना ही जरूरी है।
कुल मिलाकर MSP बढ़ा देने से किसानों को राहत मिली है। सरकार की यह नीति खेती को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। अब देखना यह होगा कि यह निर्णय जमीनी स्तर पर कितना असरदार साबित होता है।

MSP क्या होता है?
MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह तय कीमत है, जिस पर सरकार किसानों से उनकी उपज खरीदने की गारंटी देती है। इसका उद्देश्य किसानों को फसलों की लागत से अधिक मूल्य देकर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। यदि बाजार में किसी फसल की कीमत गिर भी जाती है, तो भी किसान को MSP के आधार पर भुगतान मिलता है। इससे उन्हें घाटे का सामना नहीं करना पड़ता।
MSP की सिफारिश कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेज (CACP) द्वारा की जाती है और सरकार हर फसल सीजन से पहले इसे घोषित करती है। MSP किसानों के लिए एक तरह की न्यूनतम गारंटी है, ताकि वे बाजार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रह सकें। वर्तमान में सरकार 23 फसलों के लिए MSP घोषित करती है, जिनमें अनाज, दालें, तिलहन और नकदी फसलें शामिल हैं। MSP का मकसद खेती को लाभकारी बनाना और किसानों की आय में स्थिरता लाना है।
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