एमएलके पीजी कॉलेज के सभागार में 02 जून से शुरू होगी कथक कार्यशाला
अम्बुज भार्गव
बलरामपुर। जिले में पहली बार कथक कार्यशाला अपनी धमाकेदार मौजूदगी दर्ज कराने जा रही है, जहां जिले के युवाओं और छात्राओं को शास्त्रीय नृत्य की बारीकियों से परिचित कराया जाएगा। एमएलके पीजी कॉलेज के सभागार में 02 जून से शुरू हो रही यह सात दिवसीय निःशुल्क ग्रीष्मकालीन कार्यशाला कला प्रेमियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। इस कार्यशाला का आयोजन पंडित बिरजू महाराज कथक संस्थान संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश एवं एमएलके पीजी कॉलेज बलरामपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य शास्त्रीय नृत्य को जन-जन तक विशेषकर ग्रामीण अंचलों के छात्र-छात्राओं तक पहुँचाना लक्ष्य है।
कथक कार्यशाला में निःशुल्क मिलेगा मौका
कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर जेपी पाण्डेय ने ‘हिंदुस्तान डेली न्यूज’ को यह जानकारी देते हुए बताया कि कथक कार्यशाला बलरामपुर के लिए किसी प्रकार की कोई फीस नहीं ली जाएगी। यह कार्यशाला उन विद्यार्थियों के लिए सुनहरा अवसर है, जो शास्त्रीय नृत्य में रुचि रखते हैं लेकिन संसाधनों के अभाव में सीख नहीं पाते। यह कार्यशाला 02 जून से 08 जून तक चलेगी। इसका संचालन कॉलेज के मनोविज्ञान स्मार्ट कक्ष में किया जाएगा। नृत्य के साथ-साथ इसकी मुद्राओं, हस्तकों, तालों और भाव भंगिमाओं की भी जानकारी दी जाएगी। कार्यशाला प्रतिदिन डेढ़ घंटे की होगी।
कथक कार्यशाला बलरामपुर में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
कार्यशाला संयोजक लेफ्टिनेंट डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान, जो कि महाविद्यालय के एसोसिएट एनसीसी अधिकारी भी हैं, ने बताया कि कथक कार्यशाला बलरामपुर में हिस्सा लेने के लिए सीमित सीटें निर्धारित की गई हैं। इसलिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 01 जून 2025 निर्धारित की गई है। इच्छुक प्रतिभागी मोबाइल नंबर 9839753879 एवं 7007335349 पर संपर्क कर सकते हैं। कार्यशाला में महाविद्यालय के अलावा कक्षा 6 से 12 तक की छात्राएं भी प्रतिभाग कर सकती हैं।
कथक कार्यशाला में प्रतिभागियों को मिलेगा प्रमाणपत्र
संस्थान की ओर से कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं को कथक संस्थान संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश की ओर से आधिकारिक प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जाएगा, जो भविष्य में उनकी कला यात्रा को नई दिशा दे सकता है। प्रख्यात व कुशल कथक गुरु कार्यशाला में प्रशिक्षण देंगे। उनके माध्यम से प्रतिभागी शास्त्रीय नृत्य की उन तकनीकों को सीख पाएंगे, जो आमतौर पर केवल उच्च प्रशिक्षण संस्थानों में ही सिखाई जाती हैं।

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