जीपी मिश्रा का असमय जाना: एक अविस्मरणीय व्यक्तित्व के क्रूर अंत पर भावुक श्रद्धांजलि
दोस्तों को अब कभी नहीं मिलेंगे जीपी मिश्रा
शिवाकांत मिश्र ‘विद्रोही’
जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता, सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके और सम्प्रति शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह इंटर कालेज में प्रबंधक का दायित्व निर्वहन कर रहे गंगा प्रसाद मिश्र (जीपी मिश्रा), जिन्हें हम प्यार से गंगा भाई कहा करते थे, कल दोपहर अचानक चले गए। शायद यही इस क्षणभंगुर जीवन और संसार के साथ निर्मम-क्रूर नियति का कटु सत्य है क्योंकि- No body knows When where and how any one goes. No drug and medicine of death and it’s dose.
गंगा भाई भी यों रूठे
क्लासमेट क्या दोस्त अनूठे
क्या इस जीवन का सच यह ही
सारे रिश्ते नाते झूठे।
अभी तीन दिन पहले ही तो जीपी मिश्रा मिले थे लोहिया धर्मशाले के सामने मन्दिर के पास अपने घर की ओर मुड़ते गली के मोड़ पर।वही चिर परिचित निश्छल हंसी और उन्मुक्त हास परिहास की बातों के साथ…….
अबे शिवाकान्त! सारी ….. साहित्य भूषण महान सुप्रसिद्ध कवि विद्रोही जी। इधर कैसे महापुरुष?
अरे यार तुमसे ही मिलने तो गया था तुम्हारे घर लेकिन बाहर से दरवाजा जब बंद मिला तो लौटकर वापस जा रहा था क्योंकि मालूम हो गया कि तुम अभी कचेहरी से नहीं लौटे हो।
तो फिर वापस चलो एक कप चाय साथ-साथ पीते हैं।
अरे यार अब आज नहीं। कुछ बहुत जरूरी काम है इसलिए फिर कभी।
शिवाकान्त अब तो जिन्दगी में कुछ ठहराव लाओ यार। क्यों इस तरह बेतहाशा भागते फिर रहे हो। चलो घर चलते हैं। लेकिन मुझे वाकई जल्दी थी इसलिए जिला अस्पताल की ओर मुड़कर तेजी से चल पड़ा। नहीं पता था कि किशोरावस्था और छात्र जीवन के सहपाठी और जिगरी दोस्त जिसके साथ कक्षा 9-10 में दिनभर एक साथ कौड़िया बाजार के एक स्कूल के एक कमरे में बैठने से लेकर ज़िन्दगी आज उम्र के आठवें दशक के इस मोड़ पर आ पहुंची वह दोस्त जीपी मिश्रा आज इस तरह मेरी ज़िन्दगी से हाथ छुड़ाकर हमेशा के लिए मुझसे दूर जाने वाला है और वह भी इतनी दूर कि फिर हम कभी नहीं मिलने वाले अन्यथा हमेशा की तरह गंगा के घर जाकर एकाध घंटे तो बिता ही लेता।
यह भी पढें: योगी सरकार की ऐतिहासिक पहल: वनटांगिया गांव की अंधेरी रातें खत्म
यह संसार कितना और कैसा क्षणभंगुर है साथ ही नियति व कालचक्र कितना निष्ठुर और क्रूर कि 53-54 सालों के अटूट रिश्ते को इस तरह कच्चे धागे की तरह तोड़कर पल भर में फेंक सकता है निर्दयता के साथ। जीपी मिश्रा और हम दूसरी पीढ़ी के अभिन्न दोस्त थे पट्टीदार और एक ही कुल खानदानी रिश्ते में। दूसरी पीढ़ी के इसलिए क्योंकि हम दोनों के ब्रह्मलीन पिताश्री भी आजीवन एक दूसरे के गहरे दोस्त और भाई जैसे ही रहे! यद्यपि हमारे पैतृक गांव और घरों में लगभग 22-23 किमी की दूरी है। संयोग से जीपी मिश्रा पढ़-लिखकर वकालत के प्रोफेशन में आ गए और मेरे कवि को सरकारी नौकरी में जीवन यापन करना रहा, फिर भी हम रिटायर होने के बाद फिर एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे। यहां तक कि यदि रोज नहीं तो दूसरे तीसरे दिन मिलते अवश्य रहे कचेहरी से लेकर अपने घरों गोंडा तक।
यह भी पढें: यूरोपीय संघ के दूतों से मिले राजा भैया
जीपी मिश्रा के ऊपर जगज्जननी मां वाग्देवी सरस्वती की असीम कृपा पैतृक विरासत में थी क्योंकि आपके पिता स्व. मुन्ना चाचा यद्यपि एकेडमिक शिक्षा में न के बराबर थे, लेकिन रामचरितमानस के मर्मज्ञ थे! यहां तक कि अगर कहा जाए तो यह रामायण उन्हें लगभग कण्ठस्थ था! यह मेरे कवि ने अपनी जिन्दगी में स्वयं देखा और अनुभव किया है। इसीलिए उनकी मेरे ब्रह्मलीन पिताश्री पं. आद्या प्रसाद मिश्र जैसे बहुत उच्च कोटि के संस्कृत विद्वान् कथावाचक से इतनी घनिष्ठ मैत्री और लगभग दांत काटी रोटी जैसा सहोदरवत् अग्रज-अनुज का रिश्ता था। जीपी मिश्रा के सहोदर अग्रज इंजीनियर अयोध्या प्रसाद मिश्र व पूर्व एमडी यूपीएसईबी उप्र को समूचे उत्तर प्रदेश में कौन नहीं जानता जो इंजीनियर होने के साथ-साथ हिन्दी साहित्य व रामचरितमानस के बहुत उच्च कोटि के विद्वान् ही नहीं, अब तक कई चर्चित व प्रकाशित पुस्तकों के लेखक ही नहीं, उप्र सरकार व हिन्दी संस्थान से पुरस्कृत सम्मानित विद्वान् भी हैं। यहां एक बात और भी गौर करने लायक कि जो गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने अपने रामचरितमानस में कहा है कि
बरसहिं जलद भूमि नियराए
जथा नवहिं बुधि बिद्या पाए।
यह भी पढें: कभी भारत के कब्जे में रहा रहस्यमय द्वीप Katchatheevu island, अब श्रीलंका के पास
विद्या ददाति विनयं साथ ही विद्यानां नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्न गुप्तं धनम्।तो ये उक्तियां भी इस परिवार पर चरितार्थ होती हैं। जैसे मेरे स्व. मुन्ना चाचा थे स्वभाव से निहायत सरल व विनम्र वैसे ही इंजीनियर श्री अयोध्या प्रसाद मिश्र जी भी जो उप्र सरकार के एक विभाग में सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी मुझे ऐसा लगता है कि बिल्कुल ठेठ देहाती गांव के इंसान हों! सरलता व विनम्रता की मूर्ति निरहंकार व्यक्तित्व के धनी। गंगा भाई को यह गुण अपने आप मिले पैतृक व पारिवारिक विरासत में इसलिए यद्यपि जीपी मिश्रा भी रामचरित मानस के जबरदस्त अध्येता और विद्वान् अधिवक्ता थे, लेकिन अहंकार उन्हें छू भी नहीं गया था! इसलिए देखने और मिलने पर मुझे ही क्या जहां तक मेरी जानकारी है. अन्य लोगों के मुंह से गंगा भाई से जो भी मिला उसने मुझसे यही कहा कि वकील साहब मिश्र जी मिलने व बातचीत से ऐसा लगता ही नहीं कि शहीदे आज़म भगत सिंह इंटर कालेज गोंडा जैसे सबसे पुराने सुप्रसिद्ध बड़े स्कूल के मैनेजर या बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हो सकते हैं।
यह भी पढें: मोदी का वादा था! योगी से आशा!!मां हिंगलाज का तीर्थ मिले!!!
अचानक कल सहोदरवत् अनुज और अभिन्न मित्र सुप्रसिद्ध विद्वान् और जनपद के अत्यन्त लोकप्रिय ऐतिहासिक महत्व के पत्रकार शिरोमणि श्री जानकी शरण द्विवेदी से जब जीपी मिश्रा के इस तरह महाप्रयाण की सूचना फोन पर गोंडा कचेहरी में मिली तो मैं हक्का बक्का रह गया और शोक मिश्रित दुख के महासागर में समा गया हूं! इसलिए मन ही मन अनुमान भी लगा सकता हूं कि दिवंगत महात्मा के इस परिवार पर क्या बीत रही होगी। इसलिए परमपिता परमात्मा से करबद्ध प्रार्थना है कि गंगा बाबू के परिवार को इस अपार दुख से उबरने के लिए असीम धैर्य और शक्ति प्रदान करें।अश्रुपूरित मेरे कवि के नयनों से अभिन्न और अंतरंग ब्रह्मलीन सहोदरवत् मित्र जीपी मिश्रा को शत् शत् नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि।
यह भी पढें: BIMSTEC में भारत की भूमिका अब अपरिहार्य
पोर्टल की सभी खबरों को पढ़ने के लिए हमारे वाट्सऐप चैनल को फालो करें : https://whatsapp.com/channel/0029Va6DQ9f9WtC8VXkoHh3h अथवा यहां क्लिक करें : www.hindustandailynews.com
कलमकारों से: तेजी से उभरते न्यूज पोर्टल www.hindustandailynews.com पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे : जानकी शरण द्विवेदी (प्रधान संपादक) मोबाइल- 9452137310 E-Mail : hindustandailynews1@gmail.com