Saturday, June 14, 2025
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आसिम मुनीर का प्रमोशन, शहबाज कैबिनेट का चौंकाने वाला फैसला

दूसरे फील्ड मार्शल बनाए गए आसिम मुनीर, अयूब खान थे पहले फील्ड मार्शल

इंटरनेशनल डेस्क

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर का प्रमोशन हो गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कैबिनेट ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया है। फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अब पाकिस्तान सेना के इतिहास में अयूब खान के बाद दूसरे फाइव-स्टार अधिकारी बन गए हैं। यह फैसला एक तरफ पाकिस्तान के राजनीतिक समीकरणों को झकझोर रहा है, तो दूसरी ओर सैन्य प्रतिष्ठान की शक्ति को लेकर नए सवाल भी खड़े कर रहा है। यह प्रमोशन फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को भारत के खिलाफ ऑपरेशन बुनयान-उम-मार्सूस के नेतृत्व में मिली सफलता के बाद दिया गया है। इस ऐतिहासिक निर्णय ने पाकिस्तान के सैन्य ढांचे को एक बार फिर नई दिशा दी है।

फील्ड मार्शल का दर्जाः संवैधानिक अधिकार नहीं
फील्ड मार्शल का पद पाकिस्तान में केवल विशेष परिस्थितियों में ही दिया जाता है। यह एक प्रतीकात्मक और सम्मानजनक पद होता है, जिसमें कोई अतिरिक्त संवैधानिक अधिकार नहीं जुड़े होते। इसके बावजूद फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का यह प्रमोशन एक निर्णायक क्षण साबित हो सकता है। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, किसी भी अधिकारी को फील्ड मार्शल बनाने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और रक्षा मंत्रालय की सहमति आवश्यक होती है। इसके अतिरिक्त, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से भी संवैधानिक आदेश लिया जाता है।

अयूब खान के बाद फील्ड मार्शल बने मुनीर
साल 1959 में तत्कालीन सैन्य शासक अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल घोषित किया था। अब 65 साल बाद फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का नाम इस सूची में दर्ज हुआ है। यह घटनाक्रम पाकिस्तान के सैन्य-सियासी इतिहास में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।

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फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की यात्रा
फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का जन्म 1968 में हुआ था। उनके पिता सैयद सरवर मुनीर भारत के पंजाब स्थित जालंधर से 1947 में पाकिस्तान गए थे। मुनीर ने शुरुआती पढ़ाई मदरसे में की और फिर रसालपुर में स्कूलिंग पूरी की। इसके बाद उन्होंने सर सैयद कॉलेज, रावलपिंडी से पढ़ाई की, जहां से पूर्व आर्मी चीफ बाजवा ने भी पढ़ाई की थी। मुनीर ने जापान के फूजी स्कूल, क्वेटा के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, मलेशिया के आर्म्ड फोर्सेज कॉलेज और इस्लामाबाद की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने पब्लिक पॉलिसी और स्ट्रैटजिक सिक्योरिटी मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री हासिल की।

सेना में सफरः आइएसआई से लेकर फील्ड मार्शल तक
25 अप्रैल 1986 को फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पाकिस्तान सेना में शामिल हुए। उन्हें फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में कमीशन मिला। बाद में उन्हें सऊदी अरब स्थित पाक दूतावास में तैनाती मिली। 2014 में वे मेजर जनरल बने और फिर मिलिट्री इंटेलिजेंस के डायरेक्टर जनरल बने। सितंबर 2018 में उन्हें आइएसआई का प्रमुख नियुक्त किया गया। हालांकि, वहां से उनका कार्यकाल केवल 8 महीने चला, क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ उनका विवाद हो गया था।

पाकिस्तान में फील्ड मार्शल बनाए गए जनरल आसिम मुनीर
पाकिस्तान में फील्ड मार्शल बनाए गए जनरल आसिम मुनीर

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फील्ड मार्शल आसिम मुनीर और इमरान खान का टकराव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुनीर ने इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को उजागर किया था। इसके बाद इमरान के कहने पर जनरल बाजवा ने उन्हें आइएसआई प्रमुख पद से हटा दिया। हालांकि, इमरान ने इस बात को झूठ करार दिया। आइएसआई से हटाए जाने के बाद मुनीर को गुजरांवाला कोर का कमांडर बनाया गया। 2021 से 2022 तक वे क्वार्टरमास्टर जनरल रहे, जो रसद और साजो-सामान की जिम्मेदारी निभाता है।

सेना प्रमुख की कुर्सी तक सफर और फील्ड मार्शल का ताज
10 अप्रैल 2022 को इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के तहत हटाया गया और शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने। फील्ड मार्शल आसिम मुनीर उनके करीबी माने जाते हैं। 24 नवंबर 2022 को उन्हें आर्मी चीफ के लिए नामित किया गया और 29 नवंबर को वे पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख बन गए। फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ऐसे पहले अधिकारी हैं जो आइएसआई और मिलिट्री इंटेलिजेंस दोनों के प्रमुख रह चुके हैं। दिसंबर 2022 में उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया, जो अब तक केवल दो अधिकारियों को मिला था।

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इस्लामी पहचान पर जोर : वेस्टर्न कल्चर के खिलाफ आवाज
आसिम मुनीर वेस्टर्न कल्चर के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। जनवरी 2025 में अपने एक भाषण में उन्होंने कहा था, अगर हमें वेस्टर्न कल्चर ही अपनाना था, तो फिर हिंदू संस्कृति से अलग क्यों हुए थे? मुनीर हर भाषण में कुरान और इस्लामिक धर्मग्रंथों का हवाला देते हैं। उनकी स्पीच में अक्सर इकबाल के शेर और धार्मिक चेतावनी सुनाई देती है।

फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का पद प्रमोशन या सियासी चाल?
पाकिस्तान में आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बना जाने को लेकर बहस जारी है। जहां कुछ इसे सैन्य रणनीतिक मजबूती का प्रतीक मानते हैं, वहीं कुछ इसे एक सियासी स्टंट बता रहे हैं। शहबाज सरकार के इस कदम से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तानी सेना की भूमिका सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं रही। फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की यह पदोन्नति न केवल पाकिस्तान की सत्ता-संरचना को प्रभावित करेगी, बल्कि भारत के लिए भी यह संकेत है कि पड़ोसी देश की सैन्य नीति किस ओर जा रही है।

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