मोदी बोले-संविधान की भावना को बेरहमी से कुचला गया
‘आपातकाल’ के 50 सालः पीएम मोदी का तीखा हमला, लोकतंत्र को बताया गया बंदी
नेशनल डेस्क
नई दिल्ली। भारत में आपातकाल लगाए जाने की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर इस दौर को भारतीय लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय अध्याय करार देते हुए कांग्रेस पर करारा प्रहार किया। प्रधानमंत्री ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कई पोस्ट कर कहा कि वर्ष 1975 में लगाया गया आपातकाल संविधान की आत्मा और लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने वाला एक क्रूर फैसला था, जिसे कोई भी भारतीय भूल नहीं सकता।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सत्ता के लोभ में संविधान में निहित मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया, प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया और राजनीतिक विरोध को जेलों में डाल दिया।
आपातकाल को बताया ‘संविधान हत्या दिवस’
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भी आपातकाल के विरोध में बलिदान देने वाले लोगों को याद किया गया। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में दो मिनट का मौन रखकर उन अनगिनत लोगों को श्रद्धांजलि दी गई, जिनके अधिकारों को छीन लिया गया और जिन्हें अकल्पनीय यातनाओं का सामना करना पड़ा।
सरकारी प्रस्ताव में कहा गया कि भारतीय संविधान की भावना को कुचलने के प्रयासों के विरोध में जिन लोगों ने साहस दिखाया, उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। यह दमनचक्र 1974 में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू हुए संपूर्ण क्रांति आंदोलन को बर्बर तरीके से दबाने के प्रयासों से शुरू हुआ था।
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लोकतंत्र की हत्या की एक भयानक मिसाल बना आपातकाल
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान देशभर में राजनीतिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, पत्रकारों और आम नागरिकों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया। प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप थोप दी गई और न्यायपालिका को भी सरकार के नियंत्रण में लाने का प्रयास हुआ। मोदी ने यह भी कहा कि 42वां संविधान संशोधन आपातकाल के दौर की कांग्रेस सरकार की चालाकियों का सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसे बाद में जनता पार्टी की सरकार ने वापस लिया।
‘द इमरजेंसी डायरीज’ से मोदी ने साझा किया संघर्ष का अनुभव
प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल पर आधारित एक पुस्तक ‘द इमरजेंसी डायरीज-ईयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ के विमोचन कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह दौर उनके लिए सीख देने वाला रहा। उन्होंने कहा कि यह वही समय था जब उन्होंने लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए संघर्ष करना सीखा। यह किताब ब्लूक्राफ्ट द्वारा प्रकाशित की गई है और इसे आपातकाल के एक साक्षात गवाह के रूप में भी देखा जा रहा है।
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कांग्रेस पर तीखा हमला, विपक्ष से मिली प्रतिकिया
जहां प्रधानमंत्री और भाजपा ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस की कड़ी आलोचना की, वहीं विपक्ष ने मोदी सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि देश पिछले 11 वर्षों से एक तरह के ‘अघोषित आपातकाल’ में जी रहा है। जनता दल (यू) और भाजपा ने एकजुट होकर लोकतंत्र की रक्षा करने वाले सेनानियों को सम्मानित करने का संकल्प लिया है, जबकि कांग्रेस ने इसे राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बताया।
आपातकाल एक चेतावनी, न कि इतिहास का केवल एक पन्ना
प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्यों और सरकार के आयोजन ने स्पष्ट कर दिया है कि आपातकाल को केवल इतिहास के रूप में नहीं, बल्कि लोकतंत्र को कमजोर करने वाले खतरनाक प्रयोग के रूप में देखा जाना चाहिए। आज जब देश संविधान के 75 वर्ष पूरे होने की ओर बढ़ रहा है, आपातकाल की यादें एक गहरी चेतावनी देती हैं कि किसी भी कीमत पर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की जानी चाहिए।
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