राजनाथ बोले-निर्दोषों का खून बहाने वालों को नहीं छोड़ेंगे
एससीओ सम्मेलन में पहुंचे भारत के रक्षा मंत्री, आतंकवाद पर दिखाई सख्ती
इंटरनेशनल डेस्क
बीजिंग। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेते हुए आतंकवाद और सुरक्षा के मसले पर भारत का रुख स्पष्ट किया। गलवां संघर्ष के पांच साल बाद किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है, ऐसे में इसे कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है।
राजनाथ सिंह ने सम्मेलन में कहा कि निर्दोषों का खून बहाने वालों को माफ नहीं किया जाएगा और आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों को मिलकर निर्णायक लड़ाई लड़नी चाहिए।
रक्षा मंत्री ने आतंकवाद पर दिया कड़ा संदेश
सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत द्वारा हाल में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने एससीओ देशों से आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों की अपील करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ी बाधा है। राजनाथ सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण की कमजोर पड़ती गति और बहुपक्षीय प्रणालियों के विघटन ने सुरक्षा चुनौतियों को और जटिल बना दिया है।
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भारत की शांति नीति पर बोले रक्षा मंत्री
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत एससीओ के सिद्धांतों और बहुपक्षीय साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध है। भारत वैश्विक शांति, स्थिरता और विकास के लिए संवाद आधारित कूटनीति का पक्षधर है, लेकिन वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा संप्रभुता के सवाल पर कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि भारत का दृष्टिकोण केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक समाधान का मार्ग प्रशस्त करने वाला है।
द्विपक्षीय बैठकों में चीन और रूस से भी हो सकती है चर्चा
सम्मेलन से इतर रक्षा मंत्री की चीन और रूस के रक्षा मंत्रियों से द्विपक्षीय वार्ता की भी संभावना जताई जा रही है। गलवां के बाद यह पहली बार होगा जब भारतीय और चीनी रक्षा मंत्री आमने-सामने वार्ता करेंगे। इन बैठकों में सीमा विवाद, रक्षा सहयोग और रणनीतिक संवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा संभव है।
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व्यापार और बहुपक्षीय सहयोग पर भी दिया जोर
भारत ने एससीओ देशों के बीच आर्थिक सहयोग, व्यापार विस्तार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी प्राथमिकता देने की बात कही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ आर्थिक भागीदारी को भी मजबूत करना आज की आवश्यकता है। भारत का मानना है कि रक्षा के साथ-साथ व्यापारिक कूटनीति को मजबूती देकर क्षेत्र में स्थायित्व लाया जा सकता है।
सोशल मीडिया पोस्ट से दिए संकेत
रक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वह वैश्विक शांति के लिए भारत का दृष्टिकोण सामने रखने के लिए उत्सुक हैं और सभी सदस्य देशों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान करेंगे। राजनाथ सिंह का यह बयान भारत की दृढ़ और स्पष्ट कूटनीति का प्रतीक है कि वह शांति चाहता है, लेकिन किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय अस्मिता और नागरिकों की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
एससीओ में भारत की भूमिका हो रही है और मजबूत
भारत शंघाई सहयोग संगठन को केवल रणनीतिक मंच के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसे सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंधों के विस्तार के रूप में भी देखता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और सभी सदस्य देशों के साथ समन्वय की दिशा में कार्यरत है।
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