सार्वजनिक सम्पत्तियों पर अवैध कब्जेदारी कदापि बर्दाश्त नहीं-डीएम नेहा शर्मा
संवाददाता
गोंडा। डीएम नेहा शर्मा ने सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जे के मामलों में Zero Tolerance Policy के तहत ऐसा सख्त कदम उठाया है, जिसने अतिक्रमणकारियों में खलबली मचा दी है। ग्रामसभा मानवनां, चोनपुर की राजस्व भूमि (तालाब) पर अतिक्रमण के गंभीर प्रकरण में जिलाधिकारी के निर्देश पर शुक्रवार को थाना धानेपुर में एफआईआर दर्ज की गई है। मामला 3 मई को संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान मिली शिकायत के बाद प्रकाश में आया, जिसे गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने त्वरित और कानूनी कार्रवाई की।
डीएम नेहा शर्मा के निर्देश पर दर्ज हुई एफआईआर
शिकायतकर्ता शकील अहमद द्वारा यह आरोप लगाया गया कि ग्रामसभा मानवनां, चोनपुर, गाटा संख्या 1225 (0.0454 हेक्टेयर), जो तालाब के रूप में दर्ज है, उसे हजारीलाल पुत्र गिरधारीलाल द्वारा कब्जा कर अन्य व्यक्तियों को विक्रय कर दिया गया। इस पर डीएम नेहा शर्मा ने तत्काल एसडीएम (सदर) अशोक कुमार गुप्ता के नेतृत्व में जांच दल गठित किया।
जांच में आरोप साबित, अतिक्रमण पर कोई माफ़ी नहीं
राजस्व विभाग द्वारा की गई जांच में आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए। लेखपाल हितेश कुमार तिवारी ने थाना धानेपुर में विधिसम्मत प्राथमिकी दर्ज कराई। डीएम नेहा शर्मा ने स्पष्ट किया है कि तालाब जैसी सार्वजनिक भूमि जनहित में आरक्षित होती है, और ऐसे किसी भी अतिक्रमण, विक्रय अथवा कब्जे को क़तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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फर्जी अभिलेखों पर लेन-देन पर भी रहेगा सख्त प्रतिबंध
डीएम के अनुसार, यदि किसी भी प्रकार की भूमि पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लेन-देन होता है, तो उसके विरुद्ध कठोर न्यायिक व विधिक कार्रवाई की जाएगी। इसके अंतर्गत न केवल एफआईआर बल्कि आवश्यकतानुसार भूमि की पुनर्प्राप्ति और राजस्व अभिलेखों में संशोधन भी किया जाएगा।
जनहित सर्वोपरि, अतिक्रमण पर नहीं रहेगी कोई राहत
डीएम नेहा शर्मा ने स्पष्ट किया है कि ग्रामसभा, पंचायत और अन्य सार्वजनिक भूमि को संरक्षित करना जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति इन भूखंडों पर व्यक्तिगत स्वामित्व या विक्रय का अधिकार नहीं रखता। जनहित में लिए गए इन निर्णयों से यह संकेत स्पष्ट है कि गोंडा प्रशासन अवैध कब्जों को लेकर अत्यंत गंभीर है।
Zero Tolerance: अतिक्रमण पर अब एक्शन ही एक्शन
यह कार्रवाई डीएम नेहा शर्मा के प्रशासनिक नेतृत्व की दृढ़ता को दर्शाती है। जिस तरह से शिकायत मिलते ही बिना देरी के जांच, रिपोर्ट, एफआईआर और सार्वजनिक स्पष्टीकरण दिया गया, वह गोंडा प्रशासन की गंभीरता और निष्पक्षता को स्पष्ट करता है।
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