शर्मनाक साइबर फ्रॉड से दहल उठा बिहार! सोशल मीडिया पर चलता था विज्ञापन
राज्य डेस्क
पटना। बिहार में साइबर फ्रॉड की एक शर्मनाक और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। नवादा जिले में एक ऐसा साइबर गिरोह पकड़ा गया है जो ‘नि:संतान महिलाओं को गर्भवती करने पर 5 लाख रुपये’ का लालच देकर लोगों से मोटी ठगी कर रहा था। यह गिरोह सोशल मीडिया पर फर्जी विज्ञापन डालकर भोले-भाले लोगों को जाल में फंसाता था। गृह मंत्रालय के पोर्टल पर दर्ज मोबाइल नंबरों की ट्रैकिंग, तकनीकी निगरानी और मानवीय खुफिया सूचनाओं के आधार पर पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया है।
SIT की छापेमारी में हुआ खुलासा
साइबर थाना की एसआईटी ने शनिवार को नवादा के रोह थाना क्षेत्र स्थित कुंज गांव के बधार इलाके में छापेमारी की। इस दौरान चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से तीन नाबालिग हैं। मुख्य आरोपी राजेश कुमार (26) संजय सिंह का पुत्र है। गिरफ्तार आरोपियों से 5 मोबाइल और एक की-पैड फोन बरामद किए गए हैं। ये गिरोह “ऑल इंडिया प्रेग्नेंट जॉब” नाम की फर्जी कंपनी चला रहा था। इस गिरोह का सरगना फिलहाल फरार है, जिसकी तलाश जारी है।
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साइबर फ्रॉड का नायाब तरीका: भावनात्मक शोषण के जरिए ठगी
फर्जी कंपनी के जरिए साइबर फ्रॉड करने वाला यह गिरोह सोशल मीडिया पर विज्ञापन डालता था। वीडियो में एक लड़की भावुक अपील करते हुए कहती थी कि जो महिलाएं मां नहीं बन सकतीं, उन्हें गर्भवती कराने पर पांच लाख रुपये मिलेंगे। एक बार कोई व्यक्ति इस झांसे में फंस जाता, तो उससे रजिस्ट्रेशन फीस और अन्य शुल्कों के नाम पर ठगी की जाती थी। पुलिस ने इस तरह के कई वीडियो आरोपी के फोन से बरामद किए हैं।
घर बैठे नौकरी और मुफ्त लैपटॉप का सपना दिखाकर भी ठगते थे
यह गिरोह सिर्फ एक ही स्कीम से साइबर फ्रॉड नहीं कर रहा था। सोशल मीडिया और अखबारों में विज्ञापन देकर देश की टॉप टेलीकॉम कंपनियों के नाम पर घर बैठे नौकरी का झांसा भी दिया जाता था। 22,500 से 75,500 रुपये मासिक वेतन, मुफ्त लैपटॉप और मोबाइल देने की बात कहकर युवाओं, महिलाओं और छात्रों को फंसाया जाता था।
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SIT की टीम में कौन-कौन शामिल रहे
इस ऑपरेशन का नेतृत्व साइबर पुलिस की सीनियर डीएसपी प्रिया ज्योति ने किया। उनकी टीम में एसआई रूपेश कुमार, सिपाही कृष्णा कुमार, विकेश कुमार, चुनचुन कुमार, नीतीश कुमार, महिला सिपाही रूपम कुमारी और चालक सिपाही सुभाष कुमार शामिल रहे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों पर साइबर थाना कांड संख्या 85/25 के तहत आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
पूछताछ में खुली पोल, सरगना देता था मोबाइल नंबर और स्क्रिप्ट
पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि पूरे साइबर फ्रॉड रैकेट को फरार सरगना संचालित करता था। वही सोशल मीडिया पर विज्ञापन तैयार करवाता, मोबाइल नंबर उपलब्ध कराता और पूरे गिरोह को निर्देश देता था। पुलिस को आरोपियों के मोबाइल में कई महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। इनकी डिजिटल फोरेंसिक जांच चल रही है। संभावना जताई जा रही है कि इस गिरोह के तार अन्य राज्यों तक फैले हो सकते हैं।
बिहार में बढ़ रहे साइबर फ्रॉड, आम लोगों की सतर्कता जरूरी
बिहार में पिछले कुछ समय से साइबर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़े हैं। कभी नौकरी के नाम पर, तो कभी भावनात्मक मुद्दों को भुनाकर लोगों को ठगा जा रहा है। यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि समाज की उन कमजोरियों को उजागर करती है, जिनका फायदा उठाकर साइबर अपराधी करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी प्रकार के ऑफर या विज्ञापन पर विश्वास करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें।
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