सरकार 7 दिन में रखे वक्फ कानून पर अपना पक्ष, पांच दिन में लगेगा काउंटर
वक्फ कानून पर पांच मई को होगी अगली सुप्रीम सुनवाई, नई नियुक्तियों पर रहेगी रोक
नेशनल डेस्क
नई दिल्ली। वक्फ कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को कड़ा रुख अपनाते हुए सात दिन का समय दिया है। गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर कहा कि इस दौरान केंद्रीय वक्फ परिषद या बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। वक्फ कानून पर बढ़ते विवाद और संसद में तीखी बहस के बाद यह मामला अब देश की सर्वोच्च अदालत में गरमाया हुआ है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
वक्फ कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 को केंद्र सरकार ने हाल ही में अधिसूचित किया था। इस कानून को संसद के दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद पारित किया गया। लोकसभा में इसके पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े, जबकि राज्यसभा में 128 सदस्यों ने पक्ष में और 95 ने विरोध में मतदान किया। 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर अपनी मंजूरी दी।
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72 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा सुप्रीम कोर्ट
हालांकि, वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देते हुए 72 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं। इनमें एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए 1995 के मूल अधिनियम के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
सुनवाई के दौरान, प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 1995 के वक्फ अधिनियम के तहत पंजीकृत किसी भी वक्फ संपत्ति को छेड़ा नहीं जाएगा। इसके अलावा, ’वक्फ बाय डीड’ और ’वक्फ बाय यूजर’ को अगली सुनवाई तक गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से एक सप्ताह का समय मांगा ताकि वह प्रारंभिक जवाब और दस्तावेज जमा कर सकें।
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सरकार को मिला सात दिन का समय
कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए सरकार को सात दिन का समय दिया। मेहता ने यह भी आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक संशोधित वक्फ कानून के तहत कोई नई नियुक्ति या बोर्ड गठन नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इतनी सारी याचिकाओं पर सुनवाई संभव नहीं है। इसलिए, केवल पांच प्रमुख याचिकाओं पर ही विचार किया जाएगा। सीजेआई ने कहा, “हम केवल पांच याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे। बाकियों को या तो आवेदन के रूप में माना जाएगा या निपटाया जाएगा।“ अगली सुनवाई के लिए 5 मई, 2025 की तारीख तय की गई है।
वक्फ कानून पर केंद्र सरकार की दलील
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से पहले इसके परिणामों पर विचार करे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को ठुकरा दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा और यथास्थिति बरकरार रहेगी। सुनवाई के दौरान, तुषार मेहता ने यह भी आश्वस्त किया कि वक्फ कानून के तहत कोई नया बोर्ड या परिषद नहीं बनेगी। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि सरकार को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करना होगा, और याचिकाकर्ताओं को इसके बाद पांच दिनों के भीतर प्रतिउत्तर देना होगा।
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वक्फ कानून पर इतना हंगामा क्यों?
वक्फ कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता के नाम पर उनके अधिकारों को कमजोर करता है। विशेष रूप से, ’वक्फ बाय यूजर’ और ’वक्फ बाय डीड’ जैसे प्रावधानों पर सवाल उठाए गए हैं। वहीं, केंद्र सरकार का दावा है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और दुरुपयोग को रोकने के लिए जरूरी है। सरकार ने 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक ’कैविएट’ दायर कर यह सुनिश्चित करने की मांग की थी कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न हो।
आगे क्या होगा?
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम आदेश इस मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश और सरकार को सात दिन का समय देना यह दर्शाता है कि कोर्ट इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। 5 मई, 2025 को होने वाली सुनवाई में इस मामले पर और स्पष्टता आने की उम्मीद है। वक्फ कानून के इस विवाद ने न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक और सामाजिक चर्चा को भी जन्म दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार अपने जवाब में क्या दलीलें पेश करती है और सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होता है।

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