UP News : सीएमएस आवास में नौकर को बंधक बनाकर दबंगों ने मचाया ताडंव

अम्बेडकरनगर (हि.स.)। जिला चिकित्सालय परिसर में स्थित मुख्य चिकित्सा अधीक्षक आवास में रविवार की देर रात घुसे आधा दर्जन दबंगों ने नौकर को बंधक बनाकर मारा-पीटा व जमकर ताडंव मचाया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक आवास पर गार्ड के साथ साथ उनके आवास का भी काम देख रहे कालिका को दबंगों ने बंधक बना लिया तथा पूरे आवास में किसी कागज की तलाश में लगभग घंटे भर खाक छानते रहे।

बेखौफ दबंगों ने कमरे में स्थित सभी कागजों को तितर-बितर कर डाला। अपनी आवश्यकता का कागज ना पाने के बाद वह बाहर निकल गए। दबंगों के बाहर निकल जाने के बाद नौकर कालिका ने इसकी जानकारी प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ मनोज कुमार शुक्ला को दी, जिसके बाद उन्होंने अपर पुलिस अधीक्षक को पूरी घटना से अवगत कराया। 
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने रात में ही घटनास्थल का निरीक्षण किया और नौकर से आवश्यक जानकारी हासिल की। इस घटना से पूरे अस्पताल परिसर में सनसनी मच गई है।
जिला अस्पताल परिसर में ही पुलिस चौकी स्थापित है, लेकिन यहां मौजूद पुलिसकर्मियों को घटना की भनक तक नहीं लग सकी। जानकारी के अनुसार रात लगभग 11 बजे किसी ने दरवाजे पर बेल बजाया। कालिका के अनुसार उसने गार्ड को जानकर जैसे ही दरवाजा खोला, लगभग आधा दर्जन लोग अचानक कमरे के अंदर प्रवेश कर गए। कमरे में घुसते ही उन्होंने पहले सीएमएस के बारे में पूछा। जब उसने बताया कि वे बाहर गए हैं तो उन्होंने उसे बंधक बनाकर पूरे कमरे में तलाशी लेना शुरू किया। वे सब किसी कागज के बारे में आपस में बात कर रहे थे। काफी देर तलाशी करने के बाद जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो वह गाली गलौज करते हुए बाहर निकल गए। 
अब सवाल यह उठता है कि आखिर वे कौन लोग थे जो कागज की तलाश में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के आवास में घुस गए थे। क्या उन्हें मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के रहने की जानकारी थी अथवा नहीं थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि सीएमएस डॉ ओमप्रकाश शुक्रवार से ही आवश्यक कार्य से दिल्ली गए हुए हैं। इस घटना से जिला अस्पताल परिसर की सुरक्षा को लेकर गम्भीर प्रश्न खड़े हो गए हैं। प्रभारी सीएमएस ने बताया कि घटना की तहरीर अकबरपुर थाने में दे दी गई है। 
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी सीएमएस रहे डॉक्टर एनके त्रिपाठी के साथ भी इसी आवासीय परिसर में अभद्रता किये जाने का मामला सामने आ चुका था लेकिन यह मामला परिसर के बाहर तक नहीं गया था। फिलहाल घटना से स्पष्ट है कि इस पूरे प्रकरण में या तो चिकित्सालय प्रशासन के किसी व्यक्ति का हाथ है या तो अस्पतालों में सामानों अथवा दवाओं की आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों का हाथ है।

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