Saturday, July 19, 2025
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Sexual Harassment पर हाई कोर्ट ने सुनाया चौंकाने वाला फैसला!

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच का बड़ा झटका! कहा-आई लव यू बोलना अपराध नहीं

Sexual harassment पर आरोपी को मिली राहत; कोर्ट ने कहा-प्रेम का इजहार यौन उत्पीड़न नहीं

राज्य डेस्क

नागपुर! Sexual harassment से जुड़े एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए यह साफ किया कि ‘आई लव यू’ कहना अपने आप में अपराध की श्रेणी में नहीं आता। इस फैसले ने कानूनी विशेषज्ञों और आम लोगों के बीच नई बहस छेड़ दी है।

मामला 2015 का है, जब नागपुर के एक व्यक्ति पर 17 वर्षीय किशोरी के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था। उस व्यक्ति ने कथित तौर पर लड़की का हाथ पकड़ कर कहा कि वह उससे प्यार करता है। इस मामले में निचली अदालत ने उसे भारतीय दंड संहिता और POCSO एक्ट के तहत दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने Sexual harassment की परिभाषा पर नए सिरे से विचार करते हुए आरोपी को राहत दी।

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के ने की, ने कहा कि ‘आई लव यू’ शब्द केवल भावना की अभिव्यक्ति है और इसे Sexual harassment के बराबर नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट कहा कि यौन अपराध तब माना जाएगा जब कोई व्यक्ति जान बूझकर किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से अश्लील हरकत करे, जबरन स्पर्श करे या अभद्र इशारे करे।

कोर्ट ने पाया कि आरोपी ने लड़की का हाथ पकड़ा जरूर, लेकिन कोई यौन कृत्य या अश्लील हरकत नहीं की। उसने केवल ‘आई लव यू’ कहा, जो कोर्ट के अनुसार सीधे तौर पर Sexual harassment नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि किसी भी अपराध को साबित करने के लिए नीयत यानी इंटेंट का होना जरूरी है। इस मामले में ऐसा कोई मजबूत साक्ष्य नहीं था जो यौन अपराध की नीयत को सिद्ध कर सके।

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Sexual harassment मामलों में यह फैसला मील का पत्थर माना जा रहा है। इसने न केवल आरोपी को बरी किया बल्कि समाज में भी यह संदेश दिया कि हर affection या प्रेम के इजहार को यौन उत्पीड़न की नजर से देखना उचित नहीं है। हालांकि, इस फैसले ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर ऐसा कोई इजहार अनुचित परिस्थिति में या गलत नीयत से किया जाए, तब मामला अलग होगा।

नागपुर की सत्र अदालत ने 2017 में आरोपी को दोषी करार दिया था और उसे तीन साल कैद की सजा दी थी। लड़की के पिता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। लड़की ने बताया था कि आरोपी ने स्कूल से लौटते समय उसका हाथ पकड़ा और अपने प्रेम का इजहार किया।

Sexual harassment की मौजूदा परिभाषाओं में अक्सर भावनाओं और शारीरिक उत्पीड़न के बीच की सीमा रेखा धुंधली हो जाती है। हाई कोर्ट ने इस फैसले से साफ संदेश दिया कि किसी भी प्रेम प्रस्ताव को तुरंत यौन अपराध का नाम नहीं दिया जाना चाहिए। इसके लिए परिस्थितियों, नीयत और घटना की गहराई से जांच जरूरी है। आदेश में यह भी कहा गया कि प्रेम का इजहार व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है। अगर कोई व्यक्ति केवल अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है, तो वह अपने आप में अपराध नहीं है।

यह यौन अपराध की श्रेणी में तब आएगा जब इरादा यौन उत्पीड़न करने का हो। यह फैसला उन मामलों के लिए भी एक नजीर बनेगा, जहां प्रेम प्रस्ताव और यौन उत्पीड़न के बीच की रेखा धुंधली होती रही है। कानून के जानकार मानते हैं कि Sexual harassment से जुड़े मामलों में अब न्यायालय और भी सटीकता से नीयत और परिस्थिति का आकलन करेंगे।

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