सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह बहराइच मेला स्थगित

बहराइच के सालार मसूद गाजी मेले पर प्रतिबंध

जिला प्रशासन का कठोर निर्णय, नहीं दिया मेले के आयोजन की अनुमति

शांति व्यवस्था व सुरक्षा कारणों के हवाले से सालार मसूद गाजी मेले पर लगाया गया प्रतिबंध

जानकी शरण द्विवेदी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हर वर्ष आयोजित होने वाला ऐतिहासिक सैयद सालार मसूद गाजी मेला इस वर्ष नहीं लगेगा। जिला प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से मेला स्थगित करने का निर्णय लिया है। इससे संबंधित आदेश सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर और क्षेत्राधिकारी नगर पहुंच सिंह ने संयुक्त रूप से जारी किया। प्रशासन का यह कदम उस समय सामने आया है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे राज्य में सुरक्षा सतर्कता बढ़ा दी गई है। इससे पूर्व संभल में नेजा मेले की अनुमति भी इसी वर्ष रद्द की गई थी।

सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने शनिवार को बताया कि दरगाह प्रबंध समिति द्वारा सालार मसूद गाजी मेले के आयोजन के लिए पत्र भेजा गया था, जिस पर खुफिया विभाग के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई। किसी भी अधिकारी ने इस आयोजन को अनुमति देने की संस्तुति नहीं दी। खुफिया एजेंसियों, एएसपी सिटी रामानंद कुशवाहा, एसडीएम पूजा चौधरी, नगर पालिका ईओ प्रमिता सिंह और जिला पंचायत अधिकारी सहित सभी ने इसे असुरक्षित बताया। परिणाम स्वरूप प्रशासन ने यह निर्णय लिया।

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प्रशासनिक निर्णय के पीछे कड़े तर्क
क्षेत्राधिकारी नगर पहुंच सिंह के अनुसार, पहलगाम की घटना के साथ-साथ वक्फ बिल संशोधन और संभल की हिंसा के चलते इस समय जनता में आक्रोश व्याप्त है। सालार मसूद गाजी मेले में सामान्यतः पांच लाख से अधिक की भीड़ जुटती है, जिससे कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यही कारण रहा कि इस बार सैयद सालार मसूद गाजी मेला आयोजित नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, डीएम और देवीपाटन मंडल के आयुक्त के साथ बैठक के बाद दरगाह प्रबंधन समिति ने भी मेला न लगाने का निर्णय लिया है। इससे जुड़े ठेकों को भी तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है।

इतिहास और विवादों में उलझी गाजी मियां की विरासत
सैयद सालार मसूद गाजी मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण रहा है। इसे ‘गाजी मियां का मेला’ कहा जाता है। यह हर वर्ष 15 मई से 15 जून तक आयोजित होता था। लेकिन इसके इतिहास को लेकर लंबे समय से विवाद बना रहा है।
सालार मसूद गाजी को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। वह महमूद गजनवी का भांजा था, जिसने सोमनाथ मंदिर को कई बार लूटा और अयोध्या पर चढ़ाई का प्रयास किया था। वर्ष 1034 ईस्वी में अयोध्या के उपराजा महाराजा सुहेलदेव ने उसे बहराइच में परास्त कर मार गिराया था। ऐसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में मेले की संवेदनशीलता और बढ़ जाती है।

सालार मसूद गाजी की ऐतिहासिक दरगाह
सालार मसूद गाजी

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योगी आदित्यनाथ का बयान भी चर्चा में
20 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहराइच के मोतीपुर इलाके में आयोजित लोकार्पण समारोह में आए थे। उन्होंने अपने संबोधन में आक्रांताओं के महिमा मंडन से बचने और इतिहास को तथ्यों के आधार पर देखने की बात कही थी। इस बयान को भी प्रशासन के ताजा फैसले से जोड़ा जा रहा है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय जनता की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। एलआईयू की रिपोर्ट, स्थानीय खुफिया तंत्र और जन भावनाओं को देखते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया।

संभल के नेजा मेले पर भी लगी थी रोक
इससे पूर्व उप्र के संभल में भी इस वर्ष नेजा मेला आयोजित नहीं किया जा सका। पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए इस आयोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। नेजा कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी ने इसका दावा किया। दोनों मेलों पर रोक ने सरकार की नीति और खुफिया सतर्कता के स्तर को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।

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कुछ संगठन कर रहे थे आयोजन का विरोध
इससे पूर्व मार्च महीने में ही कुछ संगठनों ने जिला प्रशासन से मांग किया था कि आगामी जेठ के महीने में होने वाले सैयद सालार मसूद गाजी मेला के आयोजन को अनुमति न दी जाय।

भावनाओं की कशमकश और भविष्य की राह
सैयद सालार मसूद गाजी मेला पर रोक ने एक ओर जहाँ प्रशासन की संवेदनशीलता और सतर्कता को दर्शाया है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ी लोक परंपराओं और धार्मिक भावनाओं पर भी गहरी चोट की है। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में इस मेले को अनुमति दी जाएगी या नहीं।
एक ओर लोग इसे इतिहास और श्रद्धा से जोड़ते हैं, वहीं प्रशासन इसे कानून व्यवस्था और शांति व्यवस्था की कसौटी पर परखता है। यह निर्णय एक गहरे विमर्श की ओर इशारा करता है कि क्या धार्मिक आयोजनों को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान संवेदनशीलता के आधार पर पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है।

श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव व सालार मसूद गाजी की ऐतिहासिक दरगाह
श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव व सालार मसूद गाजी की ऐतिहासिक दरगाह

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