Saturday, November 15, 2025
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Rashtrabhakti केवल नारों से नहीं, आचरण से झलकनी चाहिए: प्रांत प्रचारक

विजयादशमी उत्सव में बोले कौशल जी– Rashtrabhakti का असली अर्थ अनुशासन, ईमानदारी और कर्तव्यपालन से ही संभव

अतुल भारद्वाज

गोंडा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अवध प्रांत प्रचारक कौशल जी ने कहा कि Rashtrabhakti केवल भाषणों या नारों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि यह हमारे जीवन के हर आचरण में परिलक्षित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान नागरिकों को अधिकारों के साथ कर्तव्यों का पालन करने की भी प्रेरणा देता है। सच्चा नागरिक वही है जो अपने दैनिक जीवन में संविधान की मर्यादाओं का पालन करता है।

वे झंझरी क्षेत्र के बेहड़ा चौबे मंडल में आयोजित विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जैसे पानी और बिजली की बचत करना, ईंधन का संयमित उपयोग, हेलमेट पहनना, ट्रैफिक नियमों का पालन करना, ईमानदारी और शिष्टाचार बनाए रखना—ये सभी कार्य Rashtrabhakti के ही रूप हैं।

कौशल जी ने कहा कि किसी देश की वास्तविक शक्ति उसकी सेना या संसाधनों में नहीं, बल्कि उसके जिम्मेदार नागरिकों में होती है। उन्होंने संघ द्वारा चलाए जा रहे ‘पंच परिवर्तन’ अभियानों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक स्वयंसेवक यदि अपने जीवन में इन परिवर्तनों को अपनाए तो राष्ट्रहित में बड़ा योगदान दे सकता है।

उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक पहले स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करते हैं और फिर समाज को प्रेरित करते हैं। परिवार संस्था को मजबूत बनाना भी राष्ट्र निर्माण की बुनियाद है। उन्होंने सुझाव दिया कि हर परिवार को सप्ताह में एक दिन सामूहिक संवाद और एक साथ भोजन करने की परंपरा अपनानी चाहिए। इससे न केवल पारिवारिक एकता, बल्कि सामाजिक सौहार्द भी बढ़ेगा।

प्रांत प्रचारक ने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनने के लिए समाज के हर वर्ग, जाति और पंथ का योगदान जरूरी है। उन्होंने सभी नागरिकों से Rashtrabhakti की भावना के साथ ‘सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत’ अभियान को अपनाने की अपील की।

उन्होंने संविधान और नियम-कानूनों के प्रति निष्ठा बनाए रखने की आवश्यकता दोहराई और कहा कि मित्रता का आधार जाति या धर्म नहीं, बल्कि मानवता होनी चाहिए। कौशल जी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हर व्यक्ति स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को प्राथमिकता देगा। उन्होंने मातृभाषा के प्रयोग और सम्मान पर भी बल दिया और कहा कि भाषा का गौरव भी Rashtrabhakti का ही हिस्सा है।

इस अवसर पर जिला संघचालक श्रीमान सिंह, बृजेश दास, संतोष, प्रवीण, सतीश, रणविजय, बीएन सिंह, अमित, अजिताभ दुबे, धीरज कुमार, डॉ. तारकेश्वर और डॉ. मनदीप सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

Rashtrabhakti केवल नारों से नहीं, आचरण से झलकनी चाहिए: प्रांत प्रचारक

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