‘ऑपरेशन सिंदूर’ के खिलाफ अनुचित टिप्पणी मामले में हुईं थीं गिरफ्तार
धार्मिक भावना पर चोट, फिर भी मिली राहत – शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम जमानत!
नेशनल डेस्क
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर टिप्पणी के मामले में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और लॉ की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाईकोर्ट से मिली अंतरिम जमानत ने एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक सहिष्णुता को लेकर बहस छेड़ दी है। कोर्ट ने 10 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी है, लेकिन देश छोड़ने पर रोक लगा दी गई है। इस मामले में धार्मिक भावनाएं आहत होने के आरोप के बाद पनोली की गिरफ्तारी 30 मई को हुई थी।
एफआईआर के बाद गिरफ्तारी
कोलकाता पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी टिप्पणी को लेकर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि उनकी वीडियो पोस्ट से विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। इस वीडियो के सार्वजनिक होते ही सोशल मीडिया पर नाराजगी फैल गई थी। बढ़ते दबाव के बीच शर्मिष्ठा पनोली ने विवादास्पद वीडियो को डिलीट किया और सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी, लेकिन तब तक एफआईआर दर्ज हो चुकी थी।
गुरुग्राम से गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजी गईं
30 मई को कोलकाता पुलिस ने शर्मिष्ठा पनोली को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया और ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता लाकर सिटी कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद उसे 13 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। 3 जून को ट्रायल कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं होने दिया जा सकता।
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जमानत की अपील में पेश की गईं मजबूरियां, कोर्ट ने दी राहत
शर्मिष्ठा पनोली के वकील ने हाईकोर्ट में पेश होकर दलील दी कि ऑपरेशन सिंदूर टिप्पणी पर शर्मिष्ठा पनोली ने पहले ही माफी मांग ली थी। उनका कहना था कि वह एक कानून की छात्रा हैं और जांच में पूरा सहयोग करेंगी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने उसका लैपटॉप और मोबाइल फोन पहले ही जब्त कर लिया है, और बयान भी दर्ज हो चुके हैं। वकील ने यह भी कहा कि उसे धमकी भरे कॉल आ रहे हैं, जिससे उसकी सुरक्षा भी खतरे में है।
हाईकोर्ट ने माना तर्क, लेकिन यात्रा पर रोक
हाईकोर्ट ने इन दलीलों को गंभीरता से लेते हुए पनोली को 10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दी, लेकिन साफ किया कि वह भारत छोड़कर नहीं जा सकतीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की अगली सुनवाई तक पनोली को पुलिस जांच में सहयोग देना होगा।

ऑपरेशन सिंदूर के पीछे की असली कहानी क्या है?
हालांकि शर्मिष्ठा पनोली की टिप्पणी ने विवाद को जन्म दिया, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर क्या है, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। कई लोगों ने इसे एक सांस्कृतिक विमर्श बताया, जबकि कुछ ने इसे धार्मिक प्रतीकों के अपमान की श्रेणी में रखा। इस बहस ने सोशल मीडिया से लेकर कोर्ट तक विचारों का संघर्ष खड़ा कर दिया है।
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विवादित वीडियो हटाने के बावजूद नहीं मिली राहत
शर्मिष्ठा पनोली द्वारा वीडियो हटाए जाने और सार्वजनिक माफी के बावजूद, इस केस ने साफ कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील विषयों पर सार्वजनिक मंच पर किसी भी तरह की टिप्पणी गंभीर परिणाम ला सकती है। इस बीच उनके समर्थकों का तर्क है कि यह गिरफ्तारी ‘स्वतंत्र विचार की हत्या’ के समान है, जबकि आलोचक इसे कानून सम्मत मानते हैं।
क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है?
यह मामला एक बार फिर इस प्रश्न को उठाता है कि क्या डिजिटल युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाते हुए धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जा सकता है? कोर्ट का यह फैसला अस्थायी राहत तो है, लेकिन यह मामला कई गंभीर संवैधानिक सवालों को जन्म देता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पूरे प्रकरण का केंद्र
शर्मिष्ठा पनोली के गिरफ्तारी के इस पूरे घटनाक्रम में ऑपरेशन सिंदूर शब्द ही पूरे विवाद का केंद्र रहा है। चाहे वह एफआईआर की भाषा हो, कोर्ट में पेश दलीलें हों या सोशल मीडिया पर फैली बहस हर स्थान पर यही शब्द छाया रहा। इस प्रकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि समाज में डिजिटल अभिव्यक्ति की सीमा कहां तय होती है और संवेदनशील विषयों पर जिम्मेदारी किसकी है।
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