Saturday, June 14, 2025
Homeराज्यमोरवा विस्थापन : जल्द ही मिट जाएगा इस शहर का नामोनिशान!

मोरवा विस्थापन : जल्द ही मिट जाएगा इस शहर का नामोनिशान!

मोरवा विस्थापन की आड़ में उजड़ेंगे दर्जनों स्कूल, अस्पताल और धर्मस्थल, एक तिहाई बचेगा सिंगरौली कस्बा

राज्य डेस्क

भोपाल। मोरवा विस्थापन अब केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एशिया के सबसे बड़े नगरीय विस्थापन का नाम बन चुका है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक शहर सिंगरौली अब कोयले की भूख का शिकार होने वाला है। कोल इंडिया की इकाई नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) अपनी जयंत परियोजना के विस्तार के लिए मोरवा क्षेत्र के 927 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करने जा रही है। इसके कारण मोरवा विस्थापन की चपेट में करीब 30 हजार परिवार आ जाएंगे।

इस विस्थापन के चलते 22 हजार से अधिक इमारतें ध्वस्त की जाएंगी। इनमें शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य सेवाएं, मंदिर, मस्जिद, दुकानें और आवास सभी शामिल हैं। 40 से 60 वर्षों से बसे लोग, जिनका सिंगरौली में योगदान रहा है, अब विस्थापन के भय में जी रहे हैं।

मोरवा विस्थापन से होंगे ये मुख्य नुकसान

4 बड़े कॉलेज और 20 से अधिक प्रमुख स्कूल तोड़ दिए जाएंगे। बड़े अस्पताल और सैकड़ों क्लीनिक उजड़ जाएंगे। हजारों दुकानदारों की आजीविका पर खतरा मंडराएगा। करीब 1 लाख से अधिक आबादी को अपने घर छोड़ने होंगे।

एनसीएल की परियोजना, लेकिन कीमत चुकाएगा मोरवा

मोरवा विस्थापन की जड़ें एनसीएल की उस परियोजना से जुड़ी हैं, जो जयंत कोल परियोजना के विस्तार से संबंधित है। एनसीएल को यहां से 800 मिलियन टन कोयला निकालना है, जिसके लिए भू-अधिग्रहण जरूरी बताया गया है। इसके लिए फरवरी 2023 में कोल बियरिंग एरिया एक्ट की धारा-9 के तहत अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई। भूमि, मकान, दुकान और अन्य परिसंपत्तियों की नाप-जोख जारी है।

मोरवा विस्थापन : इतिहास बनने को तैयार सिंगरौली कस्बा
मोरवा विस्थापन : इतिहास बनने को तैयार सिंगरौली कस्बा

यह भी पढ़ें: पुलिस भर्ती : बेरोजगारों युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी

आंकड़ों में मोरवा विस्थापन का प्रभाव

कुल अधिग्रहण योग्य भूमि: 927 हेक्टेयर
अनुमानित विस्थापित परिवार: 30,000
ध्वस्त की जाने वाली इमारतें: 22,000+
खर्च अनुमान: 30,000 करोड़ रुपये

एक तिहाई ही रह जाएगा सिंगरौली शहर
मोरवा विस्थापन के बाद सिंगरौली नगर निगम का एक तिहाई हिस्सा ही बचेगा। इस अधिग्रहण में निगम के 11 वार्ड सीधे प्रभावित होंगे, जिनमें प्रमुख बाजार, आवासीय क्षेत्र और एनसीएल का मुख्यालय भी शामिल है। जयंत परियोजना को हर वर्ष 30 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना होता है, जिसे अगले तीन वर्षों में 35 मिलियन टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

मोरवा विस्थापन : इतिहास बनने को तैयार सिंगरौली कस्बा

मोरवा विस्थापन से कौन-कौन प्रभावित?

आम नागरिक: लगभग 1 लाख आबादी
छात्र: स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले हजारों छात्र
व्यवसायी: 5000 से अधिक दुकानदार
धार्मिक संस्थान: मंदिर, मस्जिद सहित अन्य स्थल
स्वास्थ्य सेवाएं: अस्पताल, दवाखाने, निजी क्लीनिक

एनसीएल का दावा: बेहतर पुनर्वास मिलेगा

एनसीएल के जनसंपर्क अधिकारी रामविजय सिंह के अनुसार, मोरवा विस्थापन को लेकर उच्चस्तरीय पुनर्वास योजना बनाई जा रही है। प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक जमीन, मकान और मुआवजा देने की प्रक्रिया पारदर्शी और जनकल्याणकारी होगी।

मोरवा विस्थापन : इतिहास बनने को तैयार सिंगरौली कस्बा

यह भी पढ़ें: Road Accident : सीमेंट से भरा ट्रक और कार में भिड़ंत, 9 की मौत

मोरवा विस्थापन पर क्या बोले लोग?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वर्षों पहले उन्होंने अपना घर बसाया था। अब यदि उन्हें हटाया जाता है तो पहले पूरी पुनर्वास योजना की जानकारी दी जाए और स्थानांतरण से पहले हर परिवार को स्पष्ट विकल्प मिलें।

विस्थापन पर असमंजस, समय सीमा तय नहीं

मोरवा विस्थापन की प्रक्रिया भले ही शुरू हो चुकी हो, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट डेडलाइन तय नहीं हुई है। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापना की प्रक्रिया में अभी 1.5 से 2 वर्ष का समय लग सकता है। यह कोल इंडिया के इतिहास का सबसे बड़ा परियोजना विस्थापन माना जा रहा है।

सभी पहलुओं पर करना होगा विचार

मोरवा विस्थापन केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि हजारों सपनों, यादों और जिंदगियों का पलायन है। यह निर्णय कोयले के लिए शहर छोड़ने जैसा है। यदि समय रहते जनहित और पर्यावरण के पहलुओं पर विचार नहीं किया गया तो यह विस्थापन भावी पीढ़ियों के लिए उदाहरण नहीं, चेतावनी बन जाएगा।

यह भी पढ़ें: IPL 2025 : 18 साल के सूखे पर लगा विराम

पोर्टल की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें : www.hindustandailynews.com

हमारे वाट्सऐप चैनल https://whatsapp.com/channel/0029Va6DQ9f9WtC8VXkoHh3h को फालो करें!

कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे : जानकी शरण द्विवेदी, प्रधान संपादक मोबाइल- 9452137310 E-Mail : hindustandailynews1@gmail.com


📢 पोर्टल की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए: www.hindustandailynews.com

📱 हमारे WhatsApp चैनल को फॉलो करें

✍️ कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे।

📞 संपर्क: जानकी शरण द्विवेदी (प्रधान संपादक)
📱 मोबाइल: 9452137310
📧 ईमेल: hindustandailynews1@gmail.com


📣 महत्वपूर्ण सूचना

गोंडा और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं के लिए विशेष अभियान

आपका गाँव, आपकी खबर — अब आपकी कलम से!

मित्रों, आपके आसपास की कई घटनाएं खबर रह जाती हैं। उन्हें मीडिया में स्थान नहीं मिल पाता है। तो अब सरकारी योजनाओं की सच्चाई, गाँवों की समस्याएं, युवाओं की सफलता या स्थानीय मुद्दे, सभी को मिलेगा एक सशक्त मंच!

हिंदुस्तान डेली न्यूज ला रहा है ‘आपका गाँव, आपकी खबर’ मुहिम।

हम तलाश कर रहे हैं ऐसे जागरूक युवाओं को जो अभी बेरोजगार हैं अथवा पढ़ रहे हैं। वे अपने क्षेत्र अथवा स्कूल, कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम, क्षेत्र की सच्चाई, विशेषताएँ और जनहितकारी मुद्दे हमारे साथ साझा करें।

कैसे भेजें: WhatsApp पर हिंदी में टाइप किया हुआ टेक्स्ट, फोटो, ऑडियो या वीडियो, किसी भी रूप में भेज सकते हैं।

कैसे जुड़ें: अपना नाम, उम्र, पता, योग्यता और पहली खबर (Text या Voice में) भेजें। साथ में एक फोटो और WhatsApp नंबर भेजें। चयन होने पर ID कार्ड जारी किया जाएगा और आप टीम के WhatsApp ग्रुप में जोड़ दिए जाएंगे।

RELATED ARTICLES

Most Popular