(लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर विशेष)
अतुल द्विवेदी
आज (31 मई 2025) भारत पुण्यश्लोक महारानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मना रहा है। यह ऐतिहासिक अवसर उनके सुशासन, लोक कल्याणकारी नीतियों और सांस्कृतिक उत्थान के कार्यों को जन-जन तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम बन गया है। अहमदनगर (अहिल्या नगर) के चौंडी गाँव में 31 मई 1725 को जन्मीं लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासनकाल में धर्म, नैतिकता और समृद्धि पर आधारित एक आदर्श राज्य की स्थापना की, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
लोकमाता अहिल्याबाई का सुशासन : एक आदर्श शासन का प्रतीक
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने 1767 में अपने ससुर की मृत्यु के बाद मालवा राज्य का शासन संभाला। उन्होंने 28 वर्षों तक महेश्वर को अपनी राजधानी बनाकर शासन किया। उनका शासनकाल न केवल आर्थिक समृद्धि और सामाजिक कल्याण का प्रतीक था, बल्कि यह भी सिद्ध करता था कि धर्म और नैतिकता पर आधारित शासन व्यवस्था कितनी प्रभावी हो सकती है।
उनके शासन की विशेषताएँ थींः
किसानों का कल्याणः भूमिहीन किसानों को भूमि प्रदान कर उनकी आजीविका सुनिश्चित की।
महिला सशक्तिकरणः महेश्वरी साड़ी उद्योग की शुरुआत कर महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया।
सैनिक कल्याणः 500 महिलाओं की सैनिक टुकड़ी का गठन कर नारी शक्ति को सैन्य क्षेत्र में भी स्थापित किया।
अपराधमुक्त शासनः भयमुक्त और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया।
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने नर्मदा नदी के प्रति अपनी भक्ति को शासन के केंद्र में रखा। उनकी नीतियाँ रामराज्य के आदर्शों से प्रेरित थीं, जहाँ सभी सुखी, स्वस्थ और अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम थे।
यह भी पढें: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : रचना, सृजन और संघर्ष के 100 साल
सांस्कृतिक पुनर्जागरण : आसेतु हिमाचल की विरासत
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का योगदान केवल मालवा तक सीमित नहीं था। उन्होंने भारत के सांस्कृतिक उत्थान में अभूतपूर्व भूमिका निभाई। बद्रीनाथ, केदारनाथ, काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, द्वारिका, पुरी जगन्नाथ और रामेश्वरम जैसे तीर्थस्थलों के पुनर्निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनके द्वारा निर्मित मंदिरों, घाटों और धर्मशालाओं की संख्या 12,500 से अधिक है। यह कार्य उन्होंने राजकोष से नहीं, बल्कि अपनी निजी संपत्ति से करवाया, जो उनकी त्यागमयी भावना को दर्शाता है।
उनके सांस्कृतिक कार्यों में शामिल हैंः
मंदिरों का निर्माणः सभी ज्योतिर्लिंग और शक्ति पीठों का जीर्णोद्धार।
नदियों के घाटः तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए घाटों का निर्माण।
शिक्षा के प्रति समर्पणः संस्कृत पाठशालाओं की स्थापना और विद्वानों का सम्मान।
उनकी शासन मुद्रा पर “श्री शंकरः आज्ञे वरुणः” अंकित था, जो उनके शासन को शिव की सेवा के रूप में देखने की उनकी भावना को दर्शाता है।
पश्चिमी दुष्प्रचार का खंडनः धर्मराज्य की स्थापना
लोकमाता अहिल्याबाई के शासनकाल में पश्चिमी विद्वानों, जैसे जेम्स मिल, ने भारत को नैतिक रूप से खोखला और शासन अयोग्य बताया। उस समय पश्चिम में धर्म के नाम पर अत्याचार हो रहे थे, लेकिन भारत में अहिल्याबाई ने धर्मराज्य की स्थापना की। उनके शासन में धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि, नैतिक उन्नति और सामाजिक सद्भाव था। ऋषि कणाद के वैशेषिक सूत्र में कहा गया हैः “यतो अभ्युदय निःश्रेयस सिद्धिः स धर्मः”
अर्थात, जो भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, वही धर्म है। लोकमाता अहिल्याबाई ने इस सिद्धांत को अपने शासन में साकार किया।
यह भी पढें: गांधी ने ‘प्रधानमंत्री चयन’ में कोई गलती की?
300वीं जयंतीः राष्ट्रव्यापी उत्सव
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती को पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में 21 मई से 31 मई तक 10 दिवसीय अभियान चलाया। इस अभियान में शामिल गतिविधियाँ हैंः
बौद्धिक संवादः अहिल्याबाई के सुशासन और सांस्कृतिक योगदान पर चर्चा।
प्रदर्शनियाँः उनके कार्यों को दर्शाने वाली प्रदर्शनियाँ।
प्रतियोगिताएँः छात्र-छात्राओं के बीच निबंध और चित्रकला प्रतियोगिताएँ।
स्वच्छता अभियानः मंदिरों और घाटों की सफाई।
शोभायात्राएँ और आरतीः धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “विकास से विरासत” के संकल्प को जन-जन तक पहुँचाने के लिए भाजपा कार्यकर्ता सक्रिय हैं। कई राज्यों और स्थानीय प्रशासनों ने योजनाओं और संस्थाओं का नामकरण लोकमाता अहिल्याबाई के नाम पर किया है।
प्रेरणा का स्रोतः लोकमाता का बहुआयामी व्यक्तित्व
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे न केवल एक कुशल शासक थीं, बल्कि एक दूरदर्शी समाज सुधारक भी थीं। उनकी नीतियों ने नारी सशक्तिकरण, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा दिया। उनके शासन में प्रजा के प्रति वात्सल्य भाव था, जिसके कारण उन्हें “लोकमाता” की उपाधि मिली। विदुर नीति में कहा गया हैः “चक्षुषा मनसा वाचा कर्मणा च चतुर्विधम्। प्रसादयति यो लोकं तं लोको नु प्रसीदति”
जो राजा अपनी प्रजा को नेत्र, मन, वाणी और कर्म से प्रसन्न करता है, प्रजा उसी से प्रसन्न रहती है। इस गुण के कारण उन्हें “पुण्यश्लोक” की उपाधि से सम्मानित किया गया।
विश्व कल्याण की दिशा में प्रतिबद्धता
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती न केवल उनके कार्यों को याद करने का अवसर है, बल्कि उनके आदर्शों को अपनाने का भी संकल्प है। उनका जीवन हमें सुशासन, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और विश्व कल्याण के लिए प्रेरित करता है। उनके द्वारा स्थापित मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं और हमें एक समृद्ध, सशक्त और नैतिक समाज की ओर ले जाते हैं।
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और सुशासन और सांस्कृतिक उत्थान के लिए कार्य करें। उनकी 300वीं जयंती हमें यह संदेश देती है कि धर्म, नैतिकता और कल्याणकारी नीतियों पर आधारित शासन ही समाज को सही दिशा प्रदान करता है।

यह भी पढें: भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दैदीप्यमान सूर्य वीर सावरकर
पोर्टल की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें : www.hindustandailynews.com
हमारे वाट्सऐप चैनल को फालो करें : https://whatsapp.com/channel/0029Va6DQ9f9WtC8VXkoHh3h
कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे : जानकी शरण द्विवेदी, प्रधान संपादक मोबाइल- 9452137310 E-Mail : hindustandailynews1@gmail.com
📢 पोर्टल की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए: www.hindustandailynews.com
📱 हमारे WhatsApp चैनल को फॉलो करें
✍️ कलमकारों से: पोर्टल पर प्रकाशन के इच्छुक कविता, कहानियां, महिला जगत, युवा कोना, सम सामयिक विषयों, राजनीति, धर्म-कर्म, साहित्य एवं संस्कृति, मनोरंजन, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं तकनीक इत्यादि विषयों पर लेखन करने वाले महानुभाव अपनी मौलिक रचनाएं एक पासपोर्ट आकार के छाया चित्र के साथ मंगल फाण्ट में टाइप करके हमें प्रकाशनार्थ प्रेषित कर सकते हैं। हम उन्हें स्थान देने का पूरा प्रयास करेंगे।
📞 संपर्क: जानकी शरण द्विवेदी (प्रधान संपादक)
📱 मोबाइल: 9452137310
📧 ईमेल: hindustandailynews1@gmail.com
📣 महत्वपूर्ण सूचना
गोंडा और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं के लिए विशेष अभियान
आपका गाँव, आपकी खबर — अब आपकी कलम से!
मित्रों, आपके आसपास की कई घटनाएं खबर रह जाती हैं। उन्हें मीडिया में स्थान नहीं मिल पाता है। तो अब सरकारी योजनाओं की सच्चाई, गाँवों की समस्याएं, युवाओं की सफलता या स्थानीय मुद्दे, सभी को मिलेगा एक सशक्त मंच!
हिंदुस्तान डेली न्यूज ला रहा है ‘आपका गाँव, आपकी खबर’ मुहिम।
हम तलाश कर रहे हैं ऐसे जागरूक युवाओं को जो अभी बेरोजगार हैं अथवा पढ़ रहे हैं। वे अपने क्षेत्र अथवा स्कूल, कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम, क्षेत्र की सच्चाई, विशेषताएँ और जनहितकारी मुद्दे हमारे साथ साझा करें।
कैसे भेजें: WhatsApp पर हिंदी में टाइप किया हुआ टेक्स्ट, फोटो, ऑडियो या वीडियो, किसी भी रूप में भेज सकते हैं।
कैसे जुड़ें: अपना नाम, उम्र, पता, योग्यता और पहली खबर (Text या Voice में) भेजें। साथ में एक फोटो और WhatsApp नंबर भेजें। चयन होने पर ID कार्ड जारी किया जाएगा और आप टीम के WhatsApp ग्रुप में जोड़ दिए जाएंगे।