पूर्व सैन्य अधिकारी ने दिया भारत बांग्लादेश विवाद पर भड़काऊ बयान
कहा-भारत यदि पाक पर हमला करे तो चीन के साथ पूर्वोत्तर राज्यों पर कब्जा कर ले पाकिस्तान
इंटरनेशनल डेस्क
ढ़ाका। भारत बांग्लादेश विवाद ने एक नया मोड़ तब ले लिया जब बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एएलएम फजलुर रहमान ने फेसबुक पर एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि भारत अगर पाकिस्तान पर हमला करता है, तो बांग्लादेश को चीन के साथ मिलकर भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए। भारत बांग्लादेश विवाद से जुड़ा यह बयान न केवल राजनीतिक रूप से गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि इससे भारत के साथ संबंधों में और खटास आ गई है।
रहमान के बयान ने उभारा भारत-बांग्लादेश विवाद का नया संकट
रहमान बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस के करीबी माने जाते हैं। वे 2009 में बांग्लादेश राइफल्स विद्रोह की जांच के लिए गठित राष्ट्रीय स्वतंत्र आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनका यह भड़काऊ बयान ऐसे समय आया है जब भारत पाकिस्तान के बीच पहलगाम आतंकी हमले को लेकर तनाव पहले से ही चरम पर है।
फेसबुक पोस्ट में रहमान ने बांग्ला भाषा में लिखा, ‘अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो बांग्लादेश को पूर्वोत्तर के सात राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए। इसके लिए चीन के साथ संयुक्त सैन्य व्यवस्था पर विचार करना जरूरी है।’ इस बयान ने भारत बांग्लादेश विवाद को नई ऊंचाई दे दी है।
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भारत की तीखी प्रतिक्रिया, कूटनीतिक हलकों में हलचल
भारत ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। पूर्वोत्तर राज्यों में, खासकर मेघालय, असम और त्रिपुरा में जनाक्रोश उभर आया है। बीएसएफ ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल बैंकॉक में बिम्सटेक सम्मेलन के दौरान यूनुस के साथ मुलाकात में भी यह मुद्दा उठाया था, जो अब और अधिक प्रासंगिक हो गया है।
बांग्लादेश सरकार की दूरी, लेकिन विवाद थमा नहीं
भारत बांग्लादेश विवाद के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘रहमान की टिप्पणियां सरकार की आधिकारिक नीति नहीं हैं। हम इस तरह की किसी भी उकसाने वाली भाषा का समर्थन नहीं करते।’ इसके बावजूद भारत में राजनीतिक और सुरक्षा हलकों में भारत बांग्लादेश विवाद की इस घटना को लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही है।
पहलगाम हमला बना रहा है क्षेत्रीय तनाव का केंद्र
इस पूरे घटनाक्रम की जड़ में है जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ हालिया आतंकी हमला, जिसमें 26 लोगों की जान गई। भारत ने पाकिस्तान पर हमले में शामिल आतंकवादियों को समर्थन देने का आरोप लगाया है और 24-36 घंटे में कार्रवाई की चेतावनी दी है। सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा बंद करना और राजनयिक संबंधों को सीमित करना भारत की तीव्र प्रतिक्रिया का हिस्सा है।

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भारत-बांग्लादेश विवाद पर रहमान की टिप्पणी ने पुराने घाव कुरेदे
यह पहली बार नहीं है जब यूनुस या उनके करीबी भारत के प्रति विवादास्पद बयान दे रहे हैं। मार्च 2025 में चीन यात्रा के दौरान यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को ‘भूमि से घिरा’ बताया था, जिस पर भारत ने तत्काल आपत्ति जताई थी। इससे भारत बांग्लादेश विवाद को और हवा मिली थी।
रणनीतिक विशेषज्ञों की राय – खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना
सुरक्षा और कूटनीति के जानकारों ने रहमान के बयान को ‘भड़काऊ, गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक’ बताया है। उनका मानना है कि ऐसे बयानों से न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ती है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन भी प्रभावित होता है। चीन का नाम रहमान के प्रस्ताव में सामने आना नई चिंता का विषय है।
भारत-बांग्लादेश विवाद के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
कतर, सऊदी अरब और कुवैत जैसे देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। वे चाहते हैं कि यह संकट कूटनीतिक स्तर पर सुलझे। भारत-बांग्लादेश विवाद अब केवल द्विपक्षीय विषय नहीं रहा, बल्कि वैश्विक कूटनीति का हिस्सा बनता जा रहा है।
संवाद बनाम सैन्य टकराव
भारत बांग्लादेश विवाद के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत और बांग्लादेश के संबंध इस बयान के बाद पटरी पर लौट पाएंगे? या यह भारत बांग्लादेश विवाद और विकराल रूप लेगा? प्रधानमंत्री मोदी की ओर से अब तक संयम दिखाया गया है, लेकिन इस प्रकार के बयान अगर दोहराए जाते हैं, तो भविष्य में कड़ा कूटनीतिक या यहां तक कि सैन्य उत्तर भी सामने आ सकता है।

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