Saturday, July 19, 2025
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Hemant Kumar Death Anniversary: संगीत के खोते सुरों में जीवित है उनकी आत्मा

जब दर्द भरे नगमों ने Hemant Kumar की आत्मा को छुआ और संगीत का नया अध्याय लिखा

Hemant Kumar Death Anniversary पर चर्चा में है उनकी 1952 की अनसुनी दास्तान

मनोरंजन डेस्क

Hemant Kumar Death Anniversary पर संगीत प्रेमियों के दिलों में एक खास टीस उठती है। हेमंत कुमार का निधन 26 सितंबर 1989 को हुआ था, लेकिन कई जगहों पर 2 जुलाई को भी उनकी पुण्यतिथि स्मरण के तौर पर मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने अपने आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम का मंच छोड़ा था। Hemant Kumar के Death Anniversary पर जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो पाते हैं कि उनका संगीत दर्द, मोहब्बत और गहराई का अद्भुत संगम था। ‘याद किया दिल ने कहाँ हो तुम’, ‘ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ’, ‘बेकरार कर के हमें यूँ न जाइए’ जैसे गीतों ने कई पीढ़ियों को झकझोर दिया।

Hemant Kumar का महत्व सिर्फ उनके गानों तक सीमित नहीं है। वह एक सफल म्यूजिक डायरेक्टर भी थे। ‘बीवी और मकान’, ‘अनुपमा’, ‘खामोशी’ जैसी फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया, जिसने आज भी अपनी मिठास नहीं खोई। हेमंत कुमार ने ना केवल हिंदी बल्कि बंगाली फिल्मों में भी अपने सुरों से जादू बिखेरा। Hemant Kumar Death Anniversary पर बंगाल में कई विशेष कार्यक्रम होते हैं। उनकी आवाज में एक सादगी थी, जो सीधे दिल में उतरती थी।

उनकी Death Anniversary हमें यह बताती है कि आज के समय में जब ऑटो-ट्यून और ध्वनि तकनीक पर भरोसा बढ़ गया है, तब एक ऐसे कलाकार की याद जरूरी हो जाती है, जिसने अपने गायन से भावनाओं का सागर बहा दिया। उनके समकालीनों ने हमेशा माना कि हेमंत कुमार का संगीत समय से परे था। वह केवल गायक नहीं थे, बल्कि संगीत के माध्यम से कहानी कहने वाले कवि थे। Hemant Kumar Death Anniversary पर हर साल श्रोताओं के लिए विशेष कार्यक्रम, संगीत संध्याएँ और संगोष्ठियाँ आयोजित होती हैं।

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हेमंत कुमार ने जीवन भर सरलता और गहराई को अपनाया। उनके गानों में जो भावनात्मक ईमानदारी थी, वह आज के दौर में कम ही मिलती है। हम न केवल उनके गीतों को सुनते हैं, बल्कि उनके जीवन दर्शन को भी समझने की कोशिश करते हैं। 1989 में अंतिम सांस लेने के बाद भी, उनकी धुनें आज भी रेडियो और लाइव कंसर्ट्स में गूंजती हैं। Hemant Kumar Death Anniversary पर उनकी संगीत यात्रा हमें सिखाती है कि सच्ची कला कभी नहीं मरती।

Hemant Kumar Death Anniversary पर उनकी एक अनसुनी दास्तान भी याद आती है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। बात है 1952 की, जब फिल्म जागृति के लिए संगीतकार का चयन किया जा रहा था। इस फिल्म में सामाजिक संदेश और बच्चों के गीत थे, जिसके लिए सभी ने सुझाव दिया कि कोई युवा, नई सोच वाला संगीतकार लिया जाए। लेकिन निर्माता सत्येन बोस ने Hemant Kumar का नाम आगे बढ़ाया। शुरुआत में Hemant Kumar ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था।

उनका मानना था कि वे बच्चों के गीतों को उस मासूमियत से नहीं सजा पाएंगे जो जरूरी है। परंतु सत्येन बोस ने उन्हें समझाया कि गीतों में केवल बच्चों की मासूमियत नहीं, बल्कि एक गहरा सामाजिक संदेश भी छिपा है। आखिरकार Hemant Kumar ने फिल्म के लिए हाँ कहा और वही फिल्म में ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिन्दुस्तान की’ जैसा कालजयी गीत आया, जो आज भी देशभक्ति गीतों में सबसे ऊपर गिना जाता है।

कहा जाता है कि उस गीत के रिहर्सल के दौरान Hemant Kumar ने स्टूडियो में सबको खड़ा करके बच्चों जैसा गाना गाने को कहा। पूरे स्टाफ ने जब बच्चों की तरह सुर लगाए, तब Hemant Kumar ने गीत की अंतिम धुन तय की। Hemant Kumar Death Anniversary पर यह अनसुनी कहानी हमें बताती है कि वे केवल सुरों के जादूगर ही नहीं थे, बल्कि हर गीत में गहराई और सच्चाई तलाशने वाले कलाकार थे।

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