Saturday, June 14, 2025
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Cancer Treatment : भारत को मिली चौंकाने वाली कामयाबी

डाक्टरों ने वेलकारटी तकनीक से मात्र 9 दिन में खत्म किया ब्लड कैंसर

Cancer Treatment की यह तकनीक तेज असरकारक और 90 प्रतिशत सस्ती

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। Cancer Treatment ने एक ऐसा चमत्कारी मोड़ ले लिया है, जिसकी गूंज न केवल देशभर में, बल्कि वैश्विक चिकित्सा समुदाय में भी सुनाई दे रही है। तमिलनाडु के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के संयुक्त प्रयास से रक्त कैंसर के इलाज में वेलकारटी (VELCART) नामक कार-टी सेल्स आधारित तकनीक ने केवल 9 दिन में ब्लड कैंसर खत्म करने का दावा किया है।

यह दावा भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के लिए केवल एक मेडिकल रिपोर्ट नहीं, बल्कि एक गेमचेंजर बन गया है। यह तकनीक न केवल तेज़ है, बल्कि 90% तक सस्ती भी है। अब तक जहां CAR-T सेल थेरेपी विदेशों में 3 से 4 करोड़ रुपये में होती थी, वहीं वेलकारटी मॉडल ने इसे भारत में ही बेहद कम लागत में उपलब्ध करा दिया है।

वेलकारटी से मिली अनसुनी सफलता
Cancer Treatment In India का यह नया अध्याय वेलकारटी नामक तकनीक से शुरू हुआ, जिसमें पहली बार CAR-T सेल्स को अस्पताल के अंदर ही तैयार कर मरीजों को दिया गया। आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, इस क्लिनिकल ट्रायल में Acute Lymphoblastic Leukemia (ALL) और Large B-cell Lymphoma (LBCL) जैसे रक्त कैंसर से पीड़ित मरीजों पर परीक्षण किया गया।

इस तकनीक के परिणाम इतने आशाजनक रहे कि 80% मरीज 15 महीने बाद तक पूरी तरह कैंसर मुक्त पाए गए। ALL से ग्रसित सभी मरीज ठीक हो गए, जबकि LBCL से पीड़ित 50% रोगियों में भी पूरी तरह से सुधार दर्ज किया गया। Cancer Treatment की इस तकनीक ने लंबे समय तक निगरानी में भी अपनी उपयोगिता साबित की है।

Cancer Treatment वेलकारटी की चौंकाने वाली सफलता
Cancer Treatment वेलकारटी की चौंकाने वाली सफलता

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कार-टी थेरेपी बनी भारत में ‘पॉवरफुल टूल’
CAR-T सेल थेरेपी, जिसमें मरीज के अपने टी-सेल्स को जेनेटिकली मॉडिफाई कर कैंसर से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है, अब भारत में उपलब्ध है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब भारत में CAR-T तकनीक का परीक्षण हुआ हो। इससे पहले मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल और इम्यूनो एक्ट ने वर्ष 2023 में इसकी शुरुआत की थी।

मगर Cancer Treatment के इस संस्करण में खास बात यह रही कि अस्पताल के अंदर ही सेल्स को संशोधित कर नौ दिनों में मरीजों को थेरेपी दी गई, जो वैश्विक स्तर पर लगभग 40 दिनों में होती है। इससे यह साबित हो गया कि भारत न केवल चिकित्सा तकनीक में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि दुनिया को दिशा भी दे रहा है।

तेज़, सस्ता और असरदार – यही है भारत का मॉडल
Cancer Treatment अब केवल उपचार का मामला नहीं रहा, यह आर्थिक और सामाजिक बदलाव की ओर बढ़ा हुआ कदम है। जहां विदेशों में CAR-T थेरेपी की कीमत लगभग 4 करोड़ रुपये तक जाती है, वहीं भारत की वेलकारटी तकनीक ने 90% तक लागत घटाकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। ईसीएमआर के अनुसार, भारत में हर साल 50,000 से अधिक ल्यूकेमिया के नए मामले दर्ज होते हैं। ऐसे में यह तकनीक लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण है। जिन मरीजों के पास इलाज का खर्च नहीं होता, उनके लिए यह एक लाइफ-सेविंग इनोवेशन साबित हो सकता है।

कुछ हल्के साइड इफेक्ट्स, पर न्यूरो टॉक्सिसिटी नहीं
हालांकि Cancer Treatment के इस सफल ट्रायल में कुछ हल्के दुष्प्रभाव भी देखे गए, मगर विशेषज्ञों के अनुसार इनमें कोई गंभीर न्यूरो टॉक्सिसिटी नहीं पाई गई। मरीजों में मामूली बुखार या शरीर में दर्द जैसे लक्षण देखे गए जो सामान्य थे और नियंत्रित किए जा सके।

Cancer Treatment वेलकारटी की चौंकाने वाली सफलता
Cancer Treatment वेलकारटी की चौंकाने वाली सफलता

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भारत ने दुनिया को दिखाई नई राह
वेलकारटी तकनीक के माध्यम से भारत ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि स्वदेशी तकनीक के ज़रिए किस तरह चिकित्सा के क्षेत्र में ग्लोबल स्टैंडर्ड को मात दी जा सकती है। Cancer Treatment अब वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण बन चुका है। मोलिक्यूलर थेरेपी ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन को चिकित्सा विशेषज्ञों ने अभूतपूर्व बताया है। यह तकनीक भारत में कैंसर इलाज की दिशा बदलने की ताकत रखती है।

आशा की नई किरण
Cancer Treatment के इस नए अध्याय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत न केवल बायोमेडिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि नई तकनीकों में विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर है। वेलकारटी जैसी तकनीकें भविष्य में कैंसर जैसी घातक बीमारियों का इलाज आम लोगों की पहुंच में ला सकती हैं। अब जबकि भारत में CAR-T तकनीक उपलब्ध है, आने वाले समय में यह इलाज और अधिक सुलभ और सस्ता होगा। Cancer Treatment अब केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुका है जिसे भारतीय डॉक्टरों ने मात्र 9 दिन में एक पावरफुल सफलता में बदल दिया।

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