गोंडा की अदालत ने गुरुवार को सुनाया ऐतिहासिक फैसला!
जानकी शरण द्विवेदी
गोंडा। वर्ष 2019 में एक युवक को जिंदा जलाना अब लोगों को भारी पड़ गया। इस दिल दहला देने वाली इस हृदयविदारक प्रकरण के दो दोषियों को न्यायालय ने गुरुवार को सश्रम आजीवन कारावास और आर्थिक दंड की सजा सुनाई। हालांकि न्यायालय ने दो अन्य अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।
फैसले से पहले चार साल तक चलता रहा मुकदमा
इस चर्चित मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय राजेश कुमार की अदालत ने दो अभियुक्तों तुफैल और इमरान को हत्या का दोषी पाते हुए सश्रम आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को 1,26,500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। यह सजा जिंदा जलाना जैसी जघन्य घटना के पीछे की साजिश और क्रूरता को देखते हुए सुनाई गई।
राजमार्ग पर हुई थी दर्दनाक घटना
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) अमित कुमार पाठक ने बताया कि यह घटना 14 मई 2019 की रात की है। वादी राजकुमार गोस्वामी ने कोतवाली देहात थाने में तहरीर दी थी कि उनका ममेरा भाई विष्णु गोस्वामी अपने रिश्तेदार महेश गोस्वामी के साथ रात्रि करीब 8ः30 बजे गोंडा-फैजाबाद मार्ग स्थित एक दुकान पर मौजूद था। उसी दौरान मुगलजोत चिश्तीपुर निवासी तुफैल, रमजान उर्फ मास्टर, निजामुद्दीन और खोरहंसा गांव का रहने वाला इमरान वहां पहुंचे और दोनों युवकों से विवाद करने लगे। अचानक आरोपियों ने पास खड़े एक टैंकर से पेट्रोल निकालकर विष्णु गोस्वामी पर छिड़क दिया और उसे आग के हवाले कर दिया।
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जलते हुए युवक को ग्रामीणों ने बचाया, लेकिन नहीं बची जान
घटना स्थल पर मौजूद पंकज कुमार पांडेय, राजकुमार पांडेय और महेश गोस्वामी ने किसी तरह आग बुझाई और गंभीर रूप से झुलसे विष्णु को तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया। चिकित्सकों ने हालत गंभीर देखते हुए उन्हें लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया, जहां 19 मई 2019 को उनकी मौत हो गई।
विवेचना के बाद चार के खिलाफ भेजा गया था आरोप पत्र
अमित कुमार पाठक ने बताया कि पुलिस ने तफ्तीश पूरी कर चारों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था। लंबी सुनवाई और गवाहों के बयानों के आधार पर न्यायालय ने तुफैल और इमरान को दोषी माना, जबकि साक्ष्य के अभाव में रमजान उर्फ मास्टर और निजामुद्दीन को बरी कर दिया गया।
जज ने सजा सुनाते हुए दोषियों की क्रूरता का लिया संज्ञान
न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि जिंदा जलाना जैसा अपराध समाज को झकझोर देने वाला है और यह सामान्य हत्या से अधिक गंभीर कृत्य है। दोषियों की सजगता, पूर्व नियोजन और भीड़भाड़ वाले स्थान पर इस हद तक पहुंच जाना, न्यायिक दृष्टि से अत्यंत निंदनीय है।
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अगर दोषी अर्थदंड की राशि अदा नहीं करते हैं तो उन्हें अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं, जुर्माने की कुल राशि में से 50 फीसद मृतक विष्णु गोस्वामी के परिजनों को प्रतिकर के रूप में अदा करने का निर्देश भी दिया गया है। पाठक ने बताया कि दोषियों द्वारा पहले से जेल में बिताई गई अवधि को सजा की कुल अवधि में समायोजित किया जाएगा।
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