राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किया गया वक्फ संशोधन कानून 'उम्मीद'

वक्फ संशोधन विधेयक ’उम्मीद’ बनकर लागू, विवादों के बीच राष्ट्रपति की मुहर

वक्फ संशोधन विधेयक को भारी विरोध के बावजूद मिली मंजूरी

सरकार ने बताया ‘उम्मीद’ से मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा सशक्तिकरण

विपक्ष ने कहा असंवैधानिक, विधेयक को वापस लेने की रखी थी मांग

वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर लाया गया नया कानून

नेशनल डेस्क

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक अब कानूनी रूप ले चुका है। संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है। इसके साथ ही यह विधेयक पूरे देश में लागू हो गया है और इसे ‘उम्मीद’ नाम दिया गया है। यह कानून केंद्र सरकार की ओर से मुस्लिम समाज, विशेषकर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के उद्देश्य से लाया गया है। हालांकि, इस विधेयक को लेकर संसद के भीतर और बाहर तीव्र विरोध और विवाद देखने को मिला। विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करार दिया।
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में 288 जबकि विपक्ष में 232 वोट पड़े थे, वहीं राज्यसभा में इसे 128 वोटों से समर्थन और 95 से विरोध मिला। वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में विपक्षी दलों ने एक सुर में इसका प्रतिकार किया और इसे धार्मिक स्वतंत्रता तथा संपत्ति के अधिकार में दखल बताया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तो विधेयक को पूरी तरह वापस लेने की मांग करते हुए कहा था कि यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक तरफा फैसला है, जो संविधान की भावना के विपरीत है। विपक्ष का यह भी आरोप था कि सरकार ने इस विधेयक को जल्दबाजी में लाकर जरूरी बहस और विचार-विमर्श से बचने की कोशिश की है।

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वहीं, केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए दावा किया कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता को बढ़ावा देगा। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से बताया गया कि ’उम्मीद’ नामक यह कानून मुस्लिम महिलाओं को वक्फ संपत्तियों पर समान उत्तराधिकार का अधिकार सुनिश्चित करता है, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा और महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिलेगी। साथ ही, इससे वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली अधिक व्यवस्थित और जिम्मेदार होगी।
वक्फ संशोधन कानून में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं। वक्फ बोर्ड की संरचना में इस्लाम के सभी फिरकों को प्रतिनिधित्व मिलेगा, जबकि केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 सदस्य होंगे जिनमें से चार से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं होंगे। एक चैरिटी कमिश्नर की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की निगरानी करेगा। विधवा, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथ बच्चों के हितों की रक्षा के लिए यह प्रावधान किया गया है कि उनकी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा।

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इसके अतिरिक्त, देशभर में वक्फ से जुड़े 31,000 से अधिक विवादों के त्वरित समाधान के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल को अधिक शक्तियां प्रदान की गई हैं। अब ट्रिब्यूनल के निर्णय से असंतुष्ट पक्ष सिविल कोर्ट में अपील कर सकता है। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा। यह संशोधन देश की ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों की सुरक्षा की दृष्टि से एक अहम कदम माना जा रहा है।
वक्फ संशोधन विधेयक को पेश करते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि वर्ष 2006 में देश में लगभग 4.9 लाख वक्फ संपत्तियां थीं, जिनसे कुल 163 करोड़ रुपये की आय हुई थी। 2013 में किए गए संशोधन के बावजूद यह आय केवल तीन करोड़ रुपये ही बढ़ पाई। वर्तमान में देश में वक्फ संपत्तियों की संख्या बढ़कर 8.72 लाख हो चुकी है, लेकिन उनके समुचित प्रबंधन में अब भी भारी खामियां हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून इन संपत्तियों के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करेगा, जिससे न केवल मुस्लिम समाज बल्कि देश की सार्वजनिक परिसंपत्तियों का भी संरक्षण हो सकेगा।

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हालांकि, इस कानून के लागू होते ही इसके विरोध और समर्थन को लेकर राजनीतिक हलकों में बहस फिर से तेज हो गई है। एक ओर जहां भाजपा और उसके सहयोगी दल इसे एक ऐतिहासिक और सुधारात्मक कानून बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दल इसे धार्मिक आजादी के खिलाफ हमला मान रहे हैं। विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने भी मिलेजुले स्वर में प्रतिक्रिया दी है। कुछ संगठनों ने इसे मुस्लिम महिलाओं के हक में सकारात्मक कदम बताया, तो कुछ ने इसे समुदाय की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण का प्रयास करार दिया।
‘उम्मीद’ नामक यह कानून भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन के इतिहास में एक बड़ा बदलाव है। यह कानून जहां एक ओर पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और सशक्तिकरण की दिशा में एक नई शुरुआत करता है, वहीं दूसरी ओर इसके नकारात्मक पक्षों को लेकर भी समाज और राजनीति में प्रश्न उठ रहे हैं। समय ही बताएगा कि यह कानून मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं के लिए कितना उपयोगी और प्रभावशाली सिद्ध होता है।

राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किया गया वक्फ संशोधन कानून 'उम्मीद'
वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों के बीच बना नया कानून ‘उम्मीद’

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